Meerut News: आखिर क्यों डग्गामार बसों के आगे बेबस है पुलिस और प्रशासन, बेखौफ किया जा रहा संचालन

Meerut News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी मेरठ समेत पश्चिमी यूपी में डग्गामार बसों का संचालन किया जा रहा है। बसों का संचालन रात में ही नहीं दिन में भी जारी है।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2022-09-03 17:58 GMT

मेरठ: आखिर क्यों डग्गामार बसों के आगे बेबस है पुलिस और प्रशासन

Meerut News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी मेरठ समेत पश्चिमी यूपी में डग्गामार बसों (Buses) का संचालन किया जा रहा है। बसों का संचालन रात में ही नहीं दिन में भी जारी है। यही नही कई डग्गामार बसों के संचालकों ने बसों का रंग रोडवेज बस व अनुबंधित बसों जैसा कर लिया है। इन पर उत्तर प्रदेश परिवहन (Uttar Pradesh Transport) की जगह उत्तर प्रदेश परिवार या इसी से मिलता जुलता अन्य नाम लिखवा लिया है। मसलन, उत्तर प्रदेश परिवहन और रोडवेज की जगह उत्तर प्रदेश परिवार, भैंसाली डिपो, उत्तर प्रदेश दिल्ली जैसे नाम लिख कर ड्ग्गामार बसें यात्रियों को धोखा देती हैं। खुले आम चल रही यह बसें आम लोगों को नजर आ रही हैं लेकिन आरटीओ (RTO) और ट्रैफिक पुलिस (traffic police) को नजर नहीं आ रही हैं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीती 18 मई को पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को प्रदेश में अवैध अथवा डग्गामार बसों के संचालन पर हर कीमत पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे,लेकिन तीन माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद आज भी डग्गामार वाहनों व बसों का संचालन न केवल जारी है बल्कि इनकी संख्या भी तेजी से चरम पर हैं।


डग्गामार वाहनों व बसों के संचालकों के हौंसले बुलंद

मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, अलीगढ़, बुलंदशहर जोरों पर डग्गामारी की जा रही है। डग्गामार वाहनों व बसों के संचालकों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि उन्हें किसी भी शासन प्रशासन का डर बिल्कुल भी नहीं है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये डग्गामार बसें बकायदा रोडवेज बस अड्डों के सामने से सवारियां बैठा-उतार रही हैं।

रोडवेज कर्मचारी संघ के मेरठ क्षेत्रीय मंत्री राजीव त्यागी कहते हैं,मेरठ शहर से दिल्ली, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, गजरौला और मुरादाबाद आदि रूट पर सैंकड़ों डग्गामार बसें न केवल यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ कर रही है बल्कि रोडवेज को भी करोंड़ों का झटका दे रही है। सत्ताधारी नेताओं, परिवहन विभाग और पुलिस की तिकड़ी के आशीर्वाद से डग्गामार वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

डग्गामार बसों की सूची

राजीव त्यागी (Rajeev Tyagi) के अनुसार परिवहन निगम मेरठ के अफसरों ने हाल ही में डग्गामार बसों के संचालन के सुबूत के तौर पर ऐसी बसों का सर्वे कराकर कुछ बसों की सूची नंबर सहित शासन को भेजी थी। साथ ही मंडलायुक्त, एसएसपी और आरटीओ को भी सूची भेजी थी। मंडलायुक्त ने इस पर संबंधित विभागीय अफसरों को रोक लगाने के निर्देश भी दिए थे। लेकिन, डग्गामर बसों का संचालन आज भी बादस्तूर जारी है।


त्यागी ने ऐसी कुछ डग्गामार बसों के नम्बर UP15ET-1699,UP11T-3579,UP14AT-0777,UP81BT-3546,UP14DT-9757,UP17C-5880,UP15FT-3214,UP11T-4631,UP15BT-7422 उपलब्ध कराए हैं। त्यागी कहते हैं, आमतौर पर एक बस रोजाना औसतन 20-50 हजार रुपये की कमाई करती है। वहीं अगर इन बसों की कमाई पर नजर डालें तो यह कमाई लाखों रुपये रोजाना बैठती है अर्थात महीने में कमाई का आंकड़ा करोड़ों रुपये का बैठता है।

त्यागी समेत रोडवेज कर्मचारी यूनियन से जुड़े नेता इसे भाजपा सरकार की निगम का निजीकरण करने की सोची-समझी साजिश मानते हैं। उनका कहना है कि सरकार जानबूझ कर निगम की आर्थिक हालत को कमजोर कर रही है ताकि आर्थिक संकट का बहाना बनाकर निगम को निजी हाथों में दिया जा सके।

Tags:    

Similar News