UP Election 2022: भाजपा-सपा दोंनो को ही सता रही त्रिशंकु विधानसभा बनने की चिंता

Up Election 2022 : उत्तर प्रदेश में बीजेपी (BJP) और सपा (Samajwadi party) की जबरदस्त टक्कर देखने को मिल रही है, लेकिन इसमें जीत किसकी होगी यह कहना अभी मुश्किल है।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Ragini Sinha
Update: 2022-02-28 07:21 GMT

भाजपा-सपा दोंनो को ही सता रही त्रिशंकु विधानसभा बनने की चिंता (Social media)

Up Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Up Election 2022) के पांचवें चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। अभी तक जैसे रुझान मिल रहे हैं, उसमें एक बात तो साफ है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी (BJP) और सपा (Samajwadi party) की जबरदस्त टक्कर देखने को मिल रही है। लेकिन, इसमें जीत किसकी होगी यह कहने से अभी हर कोई चुनाव विश्लेषक बच रहा है। लेकिन, सत्ताधारी दल भाजपा (Bjp news ) के अंदर से जिस तरह की खबरे छनकर बाहर आ रही है उससे तो यह लग रहा है कि भाजपा को इस बार 2017 जैसी जीत की उम्मीद कतई नहीं है। ऐसे में भाजपा (BJP) को चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा (Hung Assembly) बनने की चिंता सताने लगी है।

शाह ने मायावती की तारीफ की थी

 वैसे, सच्चाई यही है कि चुनाव से पहले ही भाजपा को उत्तर प्रदेश में अपनी जमीनी हकीकत की सच्चाई मालूम पड़ने लगी थी। शायद यही वजह है कि भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह, जयंत चौधरी के बाद अब बहनजी को लेकर भी नरम हो गए हैं। हाल ही में उनका बसपा को लेकर दिया गया बयान तो राजनीतिक हलकों में काफी सुर्खियों में रहा है, जिसमें उन्होंने एक तरह से मायावती की तारीफ करते हुए कहा कि मायावती का परंपरागत जाटव वोट बसपा के साथ बना हुआ है। यही नही अमित शाह ने इस बात से साफ इंकार किया कि मुस्लिमों  को लेकर यह जो धारणा बनाई जा रही है कि मुस्लिम वोट एकजुट होकर समाजवादी पार्टी को जो रहा है, वह सही नहीं है।

जयंत चौधरी ने सिरे से इस ऑफर को ठुकरा दिया

मायावती को लेकर अमित शाह के रुख में नरमी तो फिर भी तीसरे चरण के चुनाव के बाद आई है। लेकिन,जयंत चौधरी को तो चुनाव की शुरुआत होने से कुछ दिन पहले ही भाजपा की ओर से खुलेतौर पर साथ आने का न्यौता दिया गया। हालांकि, सपा के साथ चुनाव लड़ रहे जयंत चौधरी ने सिरे से इस ऑफर को ठुकरा दिया। यही नही अमित शाह ने जाट नेताओं से मुलाकात के बाद कहा था कि जयंत चौधरी ने गलत घर का चुनाव कर लिया है और चुनाव बाद भी बीजेपी का दरवाजा उनके लिए खुला हुआ है। जयंत चौधरी ने बीजेपी के इस न्यौते को ठुकराते हुए कहा था कि वह चवन्नी नहीं हैं जो पलट जाएं। इसके बाद शाह ने एक जनसभा में यह भी कहा कि चुनाव बाद अखिलेश यादव जयंत चौधरी का साथ छोड़ देंगे। यानी साफ है कि  चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा बनने की स्थिति भाजपा  अपनी सरकार बनवाने के लिए  रालोद व बसपा का समर्थन  लेने की सोच रही है।

सपा को बसपा और कांग्रेस की जरुरत पड़ सकती है

 भाजपा ही नही बल्कि सपा को भी उत्तर प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा बनने की आशंका दिख रही है। यही वजह है कि बुलंदशहर में अखिलेश यादव का कहना था, अगर लोकतंत्र और संविधान नहीं बचेगा तो सोचो हमारे अधिकारों का क्या होगा? पत्रकारों के सवालों पर अखिलेश यादव बोले, 'मैं फिर अपील करता हूं कि हम सब बहुरंगी लोग हैं। लाल रंग हमारे साथ है। हरा, सफेद, नीला हम चाहते हैं कि अंबेडकरवादी भी साथ आयें और इस लड़ाई को मजबूत करें।' साफ है कि अखिलेश को लगता है कि त्रिशंकु विधानसभा बनने की स्थिति में समाजवादी पार्टी सरकार बनाने के लिए उन्हें बसपा और कांग्रेस की जरुरत पड़ सकती है। कांग्रेस के समर्तन को लेकर तो अखिलेश इसलिए बेफिक्र है कि क्योंकि उन्हें मालूम है कि भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस के लिए सपा का समर्थन करना मजबूरी होगी। लेकिन,मायावती के पुराने रिकार्ड को देखते हुए अखिलेश को मायावती के भाजपा पाले में जाने का खतरा है।

दरअसल,अखिलेश का मायावती को लेकर खतरा गलत भी नही है। पुराने इतिहास को देखा जाय तो बसपा ने न केवल भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई है। बल्कि, संसद में भी कई मौकों पर भाजपा का साथ दिया है। मायावती 1995 और 2002 में भाजपा के समर्थन से उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बन चुकी हैं।

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