UP Election 2022 News: जयन्त चौधरी की प्रेशर पालिटिक्स का जवाब है हरेंद्र मलिक और उनके पुत्र पूर्व विधायक पंकज मलिक ?
जयंत चौधरी ने कांग्रेस का हाथ पकड़ने के लिए कांग्रेस नेताओं के साथ मेलजोल बढ़ाते हुए यह संकेत दे दिया है कि अगर अखिलेश यादव ने रालोद के साथ सीटों के तालमेल को लेकर अपने व्यवहार में बदलाव नहीं किया तो रालोद अलग राह पर चल पड़ेगा। जयंत चौधरी के इस दांव ने अखिलेश यादव को विचलित कर दिया है।
UP Election 2022: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता (UP Ke Jaat Neta) पूर्व राज्यसभा सदस्य हरेंद्र मलिक और उनके पुत्र पूर्व विधायक पंकज मलिक को सपा में शामिल करना एक तरह से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav Today News) का राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के अध्यक्ष जयन्त चौधरी (Jayant Chaudhary) की उस प्रेशर पालिटिक्स का जवाब माना जा रहा है, जिसमें जयंत चौधरी ने अपेक्षित सीटें नही मिलने पर अलग राह चलने का संकेत दिया था। अलग राह का मतलब रालोद का यूपी के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन माना जा रहा है।
दरअसल, बीते लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav) में साथ रहे अखिलेश व जयंत चौधरी में पश्चिमी यूपी में सीटों का बंटवारे को लेकर बात बन नहीं पा रही है। सूत्रों के अनुसार जयंत चौधरी सपा से पश्चिमी यूपी में कम से कम 40 सीटें चाहते हैं। जबकि अखिलेश रालोद को 25 सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं हैं। जैसा कि रालोद के पश्चिमी यूपी के एक बड़े नेता कहते हैं, रालोद मुखिया जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के साथ बीती 25 जुलाई को दिल्ली में अखिलेश यादव की वार्ता हुई थी। दोनों नेताओं के बीच हुई इस वार्ता में सीटों के तालमेल को लेकर जो फार्मूला तय हुआ था, उसके अनुसार अभी तक अखिलेश यादव ने रालोद (RLD) को दी जीने वाली सीटों का ऐलान नहीं किया है। ऐसे में जयंत को लगता है कि अखिलेश यादव उन्हें कम सीटें देना चाहते हैं, इसलिए उनके साथ सीटों के तालमेल को फाइनल नहीं कर रहे हैं।
ऐसे में जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने कांग्रेस का हाथ पकड़ने के लिए कांग्रेस नेताओं के साथ मेलजोल बढ़ाते हुए यह संकेत दे दिया है कि अगर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने रालोद (RLD) के साथ सीटों के तालमेल को लेकर अपने व्यवहार में बदलाव नहीं किया तो रालोद अलग राह पर चल पड़ेगा। जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के इस दांव ने अखिलेश यादव को विचलित कर दिया है। क्योंकि इससे अखिले्श को अपने समूचे चुनावी गणित के गड़बड़ाने का डर है। गौरतलब है कि किसान आंदोलन के बाद से ही लगातार राष्ट्रीय लोकदल कम से कम पश्चिमी यूपी में पहले के मुकाबले काफी मजबूत हुआ है।
जयंत चौधरी के कांग्रेस नेताओं से मेलजोल बढ़ाने की खबरों से विचलित सपा मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी के विकल्प के रुप में एक ऐसे जाट चेहरे की जरुरत थी, जिसका कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट मतदाताओं पर प्रभाव हो और वो जयंत चौधरी की कमी पूरी तरह ना सही लेकिन काफी हद तक पूरी कर सके। पूर्व राज्यसभा सदस्य हरेंद्र मलिक और उनके पुत्र पूर्व विधायक पंकज मलिक के रुप में अखिलेश की यह चाहत आज पूरी हो गई है।
हालांकि पश्चिमी यूपी की राजनीतिक के जानकारों की मानें तो पूर्व राज्यसभा सदस्य हरेंद्र मलिक और उनके पुत्र पूर्व विधायक पंकज मलिक जाटों के कोई सर्वमान्य नेता नहीं हैं। बाप-बेटों का अगर थोड़ा बहुत प्रभाव है भी तो वो केवल मुजफ्फरनगर व आसपास के इलाकों तक सीमित है। इसलिए इन दोंनो नेताओं को जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) का विकल्प तो बिल्कुल भी नहीं माना जा सकता है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि कांग्रेस छोड़ने के बाद हरेंद्र मलिक और उनके पुत्र पूर्व विधायक पंकज मलिक ने रालोद में सशर्त शामिल होने की कोशिश की थी। बताते हैं हरेन्द्र मलिक बुढ़ाना सीट से अपने लिए तथा शामली से पंकज मलिक के लिए टिकट मांग रहे थे। लेकिन,जयंत चौधरी ने इसके लिए राजी नही हुए। इन दोंनो नेताओं के सपा में शामिल होने से रालोद को इसलिए भी नुकसान होने वाला नही है क्योंकि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद से जाटों में सपा को लेकर जो गहरी नाराजगी थी वह आज भी कायम है।
रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश के पूर्व मंत्री डॉ.मैराजु्उद्दीन कहते हैं,जाटों के ही नही बल्कि किसानों के सर्वमान्य नेता चौधरी चरण सिंह रहे हैं। उनके बाद अजित सिंह और वर्तमान में जयंत चौधरी हैं। बकौल मैराजुउद्दीन एक समय हरियाणा के चौधरी देवीलाल को उत्तर प्रदेश में अजित सिंह के विकल्प के रुप में स्थापित करने की कोशिश की गई थी। लेकिन काफी प्रयासों के बाद भी वें सफल नही हो सके थे। बकौल डॉं मैराजुउद्दीन जब तक चौधरी चरण सिंह रहे देवीलाल जाटों के भी सबसे बड़े नेता नहीं बन पाए। इसी तरह हरियाणा के ओम प्रकाश चौटाला ने अजित सिंह का विकल्प बनने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने 2002 में हरेंद्र मलिक इनेलो में शामिल कर अपनी पार्टी के कोटे से राज्यसभा भी पहुंचाया। लेकिन फिर भी चौटाला यूपी में अजित सिंह का विकल्प नही बन सके।
पश्चिमी यूपी के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक कुंवर शुजाअत अली कहते हैं, फिलहाल पश्चिमी यूपी में मुस्लिम समाज जाट के साथ है। इसके चलते ही हाल में पश्चिम यूपी के तमाम मुस्लिम नेताओं ने भी आरएलडी का दामन थामा है। पश्चिम यूपी में रालोद के पक्ष में ऐसे माहौल को देखकर जयंत को लगता है कि सूबे की राजनीति में कांग्रेस हो या सपा किसानों के वोट पाने के लिए उसे रालोद को साथ लेना ही होगा। अपनी इसी सोच के तहत जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) सपा से गठबंधन (SP Gathbandhan) उसी सूरत में करना चाहते हैं जब सपा उन्हें कम से कम पश्चिमी यूपी में 40 सीटें देगी।
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