शाहजहांपुर में पतंगबाजी का ऐसा क्रेज, जानें कौन-कौन राज्य से आते हैं लोग
शाहजहांपुर में जिले में प्रतिदिन पतंगबाजी होती देखी जा सकती है, लेकिन यहां सहारा नाम से बड़ा मैदान है। जहां पर ज्यादातर वहीं पतंगबाजी करने के लिए आते हैं। जिसके क्लब बने होते हैं। जनपद में पतंगबाजी करने वाले खिलाड़ियों ने अलग अलग टीमें बना रखी है। जिनको क्लब का नाम भी दिया गया है।
शाहजहांपुर : अगर आपको पतंगबाजी का क्रेज देखना है तो, शाहजहांपुर आईए, यहां अलग अलग राज्यों से और जिलों से आने वाली टीमों की जबरदस्त मेजबानी की जाती है। ऐसा इसलिए कहे रहे हैं क्योंकि अभी तक आपने देश में होने वाले क्रिकेट, फुटबाल और हाॅकी जैसे खेलों की टीमों की मेजबानी देखी होगी। लेकिन इस जिले में मुम्बई, कलकत्ता ग्वालियर जैसे राज्यों और उत्तर प्रदेश में लखनऊ, बरेली, हरदोई और फर्रुखाबाद जैसे जिलों से पतंगबाजी करने आती हैं, और उसकी मेजबानी के लिए जिले के सभी क्लब होकर उनका मुकाबला करते हैं। यही कारण है कि, जिले में पतंगबाजी का अपना ही अलग क्रेज देखा जाता है।
पतंगबाजी की मेजबानी
दरअसल शाहजहांपुर में जिले में प्रतिदिन पतंगबाजी होती देखी जा सकती है, लेकिन यहां सहारा नाम से बड़ा मैदान है। जहां पर ज्यादातर वहीं पतंगबाजी करने के लिए आते हैं। जिसके क्लब बने होते हैं। जनपद में पतंगबाजी करने वाले खिलाड़ियों ने अलग अलग टीमें बना रखी है। जिनको क्लब का नाम भी दिया गया है। क्लब के नियम भी बिल्कुल उसी तर्ज पर है जैसे क्रिकेट और फुटबाल की टीमों में होते हैं। जैसे क्लब का एक कप्तान होता है। उसके बाद उसके खिलाड़ी होते हैं। हालांकि इसमें एक क्लब में कितने खिलाड़ियों को रखना है, ये पाबंदी नही है। प्रतिदिन सहारा मैदान पर अलग अलग टीमें आपस में पतंगबाजी करते हैं। खास बात ये है कि, पतंगबाजी का शौक रखने वाले पेच देखने के लिए कई किलोमीटर दूर सहारा मैदान जाते हैं।
पतंगबाजी करने इन शहरों से आते हैं लोग
अब बात करते हैं मेजबानी की। शाहजहांपुर में कलकत्ता, मुम्बई, ग्वालियर, और अजमेर जैसे राज्यों और यूपी के लखनऊ, हरदोई, मलिहाबाद बरेली और फर्रुखाबाद समेत कई जिलों से टीमे पतंगबाजी करने आती है, जिसकी मेजबानी जनपद के क्लब मिलकर करते हैं। डायमंड काइट क्लब के खिलाड़ियों से newstrack.com ने बात की तो उन्होंने बताया कि, पूरी जिम्मेदारी मेजबानी करने वाली टीम पर होती है। अगर बाहर से आने वाली टीम कई दिन तक पतंगबाजी करती है तो, उनके रूकने का बंदोबस्त उनके खान पान से लेकर मैदान पर होने वाली दिक्कतों को दूर करना मेजबान टीम की जिम्मेदारी होती है।
जनपद के क्लब आपस में करते हैं पतंगबाजी
वहीं पुराने पतंग उड़ाने वाले रेनू खान का कहना है कि, जब हम लोग किसी दूसरे राज्य या जिलों में पतंगबाजी करने जाते हैं, तब वहां पर उसी तरह से ख्याल रखा जाता है, जैसे एक मेजबानी करने वाली टीम को करना चाहिए। उनका कहना है कि, जब जनपद के क्लब आपस में पतंगबाजी करते हैं तो, सबसे पहले मैदान में आने वाले क्लब के खिलाड़ियों को छूट होती है कि, वह पहला पेच नीचे से या ऊपर से लड़ाएंगे। फिलहाल अभी तक आपने क्रिकेट, फुटबाल और हाॅकी की मेजबानी देखी होगी,लेकिन पतंगबाजी की मेजबानी देखना है तो, शाहजहांपुर आना होगा।
काइट कप्तान रेनू खान ने बताया पतंगबाजी का शौख
डायमंड काइट कप्तान रेनू खान ने बताया कि, पतंगबाजी उड़ाने का शौख बचपन से था, पहले घर की छत से उड़ाते थे, लेकिन शौक का दायरा बढ़ गया है। इसलिए डायमंड काइट क्लब बनाकर मैदान से पतंगबाजी करने लगे है। काम के साथ साथ थोड़ा एन्जॉय करना भी जरूरी है।
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मोहम्मद आरिफ ने ली डायमंड काइट क्लब में एंट्री
पतंगबाज मोहम्मद आरिफ कहते है कि, पतंग उड़ाने से अच्छा कोई और खेल नही लगता है। इसलिए पतंग उड़ाने के लिए पहले डायमंड काइट क्लब में एंट्री ली और उसके बाद मैदान में दूसरे बड़े पतंगबाजों से पेच लड़ाने लगे।
पतंगबाज नुवैद ने बताया पतंगवबाजी का जुनून
वहीं पतंगबाज नुवैद ने बताया कि, पतंग उड़ाने के लिए वह हर वक्त तैयार रहते हैं। लेकिन इस खेल में हवा पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए जब पतंग के लिए किसी मैदान तय करते है तो, सबसे मोबाईल पर हवा का पता लगाते है कि, जिस दिन मैदान में पेच लड़ाने जाना है क्या उस दिन हवा चलेगी।
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पतंगबाज फैज ने की यह अपील
फैज मानते है कि, ये ऐसा शौक है जिसके लिए वह किसी शहर या राज्यों में जाने के लिए तैयार रहते हैं। लेकिन उन्होंने एक अपील भी की है कि, शौख को पूरा करने के लिए अपने रोजगार के साथ बिल्कुल भी खिलवाड़ नही करें। क्योंकि रोजगार होगा, पैसा आएगा, तभी तो पतंग और मांझा खरीदकर शौख पूरा कर सकेंगे।
रिपोर्ट : आसिफ अली
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