Holi In Pilibhit: पीलीभीत में ब्रज की होली महोत्सव की क्या है विशेषता, आइये जाने
Holi In Pilibhit: कान्हा ठाकुर की प्रिय बाँसुरी नगरी पीलीभीत जिसे मिनी वृंदावन भी कहा जाता है। यहाँ पर होली का उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है।
Holi In Pilibhit: पीलीभीत में होली उत्सव के इस पावन अवसर पर कान्हा के मंदिर में हो रही पुष्प वर्षा, पिचकारी से बरसाया जा रहा टेसू का रंग, गुलाल और मंदिर में राधा रमण सरकार के भजन कीर्तन भक्ति भाव में नाचते झूमते लोग किसी वृंदावन से कम नहीं है। कान्हा ठाकुर की प्रिय बाँसुरी नगरी पीलीभीत जिसे मिनी वृंदावन भी कहा जाता है। यहाँ पर होली का उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। आपको बताते चले कि पीलीभीत की ब्रज की होली महोत्सव की अपनी अलग ही विशेषता है।
यह है विशेषता
दरअसल वृंदावन धाम भगवान राधा रमण लाल जी का श्री विग्रह 479 वर्ष से विराजमान हैं। ऐसे ही कई राधा कृष्ण के मन्दिर जो व्रन्दावन पूजा पद्धति की तरह पीलीभीत में भी मौजूद है। यहाँ भी बाकी मंदिरों की तरह मंगला आरती, धूप आरती, शयन आरती सहित होली उत्सव जो बीते करीब एक हफ्ते से बड़े हर्षोलास के साथ चल रहा है। आपको पूरी तरह से वृंदावन का अनुभव देगा। यहां सभी ठाकुर जी के मंदिरों में टेसू फूलों के साथ होली गीत फगुआ गाकर होली मनाते है।
आस-पास के जनपदों से भक्तगण आकर अपने कान्हा को प्रेम रस सुनाने आते है। साथ ही यह भी मान्यता है कि वरन्दावन बिहारी राधा रमण लाल भक्त गणों की भक्ति रस धारा से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामनाओं को पूरा भी करते है। तो यदि आपको भी वरन्दावन जैसी होली या फिर कुंज की गलियों का आनन्द लेकर एक शांति प्रिय भक्ति मय जैसा माहौल चाहिए तो आप भी चले आइए कान्हा की प्रिय बाँसुरी नगरी पिलीभीत राधारमण धाम जैसा अनुभव आपको मिलेगा।
125 साल पुरानी प्रथा
सभी भक्तगणों का कहना है कि वृंदावन होली उत्सव में नहीं जा पाते हैं। वह आस-पास के जनपदों के मंदिर में आकर होली उत्सव का आनंद लेते हैं। यहां पर भी टेसू फूलों की होली, लड्डू मार होली जैसे ही होली मनाई जाती है। यह लगभग 125 साल पुरानी प्रथा है। कई वर्षों से यहां पर ऐसे ही होली मनाई जाती है।