Pilibhit News: मंडी में सूने पड़े धान सेंटर, कागजों में हो रही धान खरीद, आढ़तियों और राइस मिलों की बल्ले-बल्ले
Pilibhit News: सरकारी क्रय केंद्र सुने व खाली पड़े है। जिले में छह एजेंसियों के 155 क्रय केंद्र बनाए गए हैं।
Pilibhit News: यूपी के पीलीभीत जनपद में इस बार भी धान खरीद सिर्फ कागजों में भले ही शासन की मंशा को पूरी करती दिखाई दे रही हो। मगर धरातल पर धान के सभी सेंटर सुने व खाली दिखाई दे रहे है। धान की खरीद शुरू हुए दो माह पूरे होने को हैं। खेतों में भी धान की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। सेंटरों पर भी धान खरीद से जुड़े संसाधन तालों में कैद पड़े हैं। यही नही बैनर तक हटा दिए गए हैं। अधिकांश क्रय केंद्र पर न तो किसान है, न ही धान मौजूद है। मगर आंकड़ों में दिन प्रतिदिन उछाल होता दिखाई दे रहा है। वही सभी सेंटर प्रभारी प्रतिदिन 200 से 250 प्रतिकुन्तल तक की धान खरीद होने का हवाला दे रहे है। जिम्मेदार अधिकारी अपनी निगाहे फेरते नजर आ रहे है।
आपको बता दे कि जनपद में धान खरीद को लेकर सभी तैयारियां महीनों पहले कर ली जाती है। इसके बाद एक अक्टूबर से धान खरीद शुरू भी हो जाती है। जिसे अब दो माह भी पूरे होने वाले हैं। किसान को उसकी फसल का सरकारी क्रय केंद्रों पर वाजिब दाम दिलाने के लिए तमाम दावे किए जा रहे है। अधिकारियों ने निरीक्षण कर बंदोबस्त को दुरुस्त बताते हुए बयानबाजी की जाती है। इसके बाबजूद आढ़तियों के यहां किसानों को अपनी फसल का वाजिब दाम नही मिल रहा है।
छह एजेंसियों के 155 क्रय केंद्र
सरकारी क्रय केंद्र सुने व खाली पड़े है। जिले में छह एजेंसियों के 155 क्रय केंद्र बनाए गए हैं। जिनमें लक्ष्य 2.40 लाख मीट्रिक ट्रन के सापेक्ष तेईस नंवबर तक 60594.75 मीट्रिक टन की खरीद दर्शाई गई है, जोकि लक्ष्य के सापेक्ष 25.25 प्रतिशत है। अधिकारियों का दावा है कि वह लक्ष्य हासिल करने में कामयाब भी होंगे। मगर धरातल पर क्रय केंद्रों की मौजूदा तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है। सेंटर प्रभारियों की छोड़िये कई जगह तो सेंटरों का ही अता-पता नहीं लगाया जा सकता।
कई सेंटरों से तो बैनर ही गायब हो गायब है। तो कहीं उतारकर मोड़कर छिपाकर रखे हुए हैं। केंद्र पर एक दाना धान भी दिखाई नहीं दे रहा। कांटे और वारदाना ताले में कैद दिखाई दे रहे है। खरीद शून्य पड़ी हई है। फिर भी लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढ़ने के दावे तमाम सवाल उठा गए हैं।केंद्र के प्रभारी या तो केंद्र से गायब है या कुछ चाय की चुस्की लेते दिखाई दे रहे है। जिम्मेदार अधिकारियों की बात की जाए तो जिम्मेदार अधिकारियों ने तो अपनी नजरें फेर रखी है। और मीडिया से मुंह मोड़ रखा है। कोई कुछ भी बोलने को तैयार नही है। अब देखने वाली बात यह है कि क्या इसी तरह से बाकी बचे दिनों में भी धान खरीद होगी या कोई सुधार भी आएगा। या सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ इस मामले में कोई कड़ा रुख उठाएंगे।