Pilibhit: सुप्रीम कोर्ट में 'मैं जिंदा हूं' कहने वाला बच्चा अदालत की चौखट पर, अब पुलिस महकमे में मचा हड़कंप

Pilibhit News : अब उस 11 वर्षीय मासूम अभय सिंह के जिंदा होने का प्रमाण और न्याय के लिए उसके ननिहाल पक्ष ने कोर्ट का दरवाजा खटखटया है। पुलिस अधीक्षक सहित तमाम दोषियों को कोर्ट से नोटिस पहुंचने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा है।

Update:2023-11-15 14:08 IST

ननिहाल में परिजनों के साथ बैठा अभय सिंह (Social Media) 

Pilibhit News : उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से बीते दिनों एक गजब मामला सामने आया था। सुप्रीम कोर्ट में 11 साल के बच्चे की हत्या के खिलाफ उसके नाना और मामाओं पर दर्ज केस में सुनवाई चल रही थी। इस दौरान खुद 'मृत' बच्चा अदालत में पेश हुआ। जज के सामने गवाही दी। उसने बताया कि वह जिंदा है। इस दौरान लड़के ने अपने पिता पर आरोप भी लगाया कि, उन्होंने उनके नाना और मामा को फंसाने के लिए हत्या के झूठे मामले में आरोपी बनाया था। अदालत ने केस के खिलाफ आरोपियों की दाखिल याचिका को स्वीकार कर लिया। इस मामले में अब जनवरी से सुनवाई होगी।

अब उस 11 वर्षीय मासूम अभय सिंह के जिंदा होने का प्रमाण और न्याय के लिए उसके ननिहाल पक्ष ने कोर्ट का दरवाजा खटखटया है। पुलिस अधीक्षक सहित तमाम दोषियों को कोर्ट से नोटिस पहुंचने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा है। 

पीड़ित ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा 

दरअसल, थाना न्यूरिया क्षेत्र के ग्राम रफियापुर गांव निवासी 11 वर्षीय अभय सिंह के पिता भानु प्रकाश ने पत्नी की मौत मामले में दहेज हत्या का आरोप लगने के बाद अपने ससुरालियों को फंसाने का प्रयास किया। उसने अपने ससुर चरण सिंह और साले के खिलाफ अपने ही बेटे की हत्या के मामले में धारा- 302 के तहत एफआईआर दर्ज करवाई थी। अब बच्चे का लालन-पालन कर रहे ननिहाल पक्ष ने के लोगों पर एफआईआर दर्ज होने के तत्काल बाद स्थानीय न्यायालय में न्याय मांगने के लिए अर्जी लगाई गई। जहां कोई सुनवाई नहीं होने पर मृत घोषित अभय सिंह को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में पीड़ितों ने गुहार लगाई है। पूरे मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव गृह, पुलिस अधीक्षक पीलीभीत, थाना न्यूरिया के प्रभारी निरीक्षक को नोटिस भेज कर हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है। 

क्या है मामला?


पीड़ित के मुताबिक, घटनाक्रम वर्ष 2010 का है। न्यूरिया निवासी चरण सिंह ने अपनी बेटी मीना की शादी थाना सुनगढ़ी इलाके के रहने वाले भानु प्रकाश से की थी। दोनों से एक पुत्र हुआ। जिसका नाम अभय सिंह रखा गया। इसी बीच फरवरी 2013 में मीना की मौत हो गई। भानु प्रकाश और उसके परिवार के खिलाफ मीना के परिजनों ने दहेज एक्ट, मारपीट और हत्या के मामले में केस दर्ज कराया। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इसी दौरान मीना के परिवार वाले उसके पुत्र अभय सिंह को ननिहाल ले आए। उसका पालन-पोषण किया।

मामले में हाईकोर्ट ने क्या कहा?

वर्ष 2015 में भानु प्रकाश ने अपने बच्चे को लेने के लिए कोर्ट में गार्जियन वार्ड एक्ट के तहत केस दर्ज किया। 12 जनवरी, 2021 को परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश द्वारा भानु प्रकाश के पक्ष में निर्णय दिया। इधर, मामले में बच्चे के नाना चरण सिंह ने आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट में वाद दायर कर दिया। प्रधान न्यायाधीश के निर्णय को अमल करने के लिए भानु प्रकाश ने अपील की। जिस पर प्रधान न्यायाधीश ने नूरिया पुलिस को ननिहाल से बच्चा वापस लाने के आदेश दिए। हाई कोर्ट में मामला विचाराधीन होने कारण पक्ष में बच्चा देने से इनकार कर दिया।

...तो कर दिया हत्या का केस 

इसके बाद दहेज हत्या आरोपियों ने कोर्ट का सहारा लेते हुए सीआरपीसी की धारा- 156/3 के तहत 24 जुलाई, 2023 को चरण सिंह व उसके पुत्र पत्नी के विरुद्ध अवयस्क नाबालिग अभय सिंह को मार देने का आरोप लगाते हुए थाने में प्रार्थना पत्र दिया। इस पर नूरिया पुलिस ने चरण सिंह सहित उसके परिवार के पांच लोगों के खिलाफ में 302, 504, 506 में मुकदमा दर्ज कर लिया। जबकि, अभय सिंह अभी जीवित है।

कोर्ट ने मांगा हलफनामा 

मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने दबिश देना शुरू की। जिस पर बच्चा हाईकोर्ट पहुंच गया। बच्चे ने याचिका दायर कर कहा कि, उसके पिता भानु प्रकाश की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर गलत है। मैं जीवित हूं। अपने नाना नानी के पास सुरक्षित हूं। जिस पर हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। अब बच्चे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले में दो जजों की बेंच ने स्थगन आदेश करते हुए फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश, प्रमुख सचिव गृह, पुलिस अधीक्षक, थाना न्यूरिया के प्रभारी निरीक्षक को नोटिस जारी कर हलफनामा पेश करने को कहा है। 

खाकी भी सवालों के घेरे में 

बच्चे के मामा वीरेंद्र सिंह ने कहा, 'उस पर मेरी बहन की हत्या का आरोप है। उसने ही अपने बच्चे की हत्या का आरोप ससुराल वालों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज करवाई है। अब खाकी की करतूत भी सवालों के घेरे में है। आखिरकार जब बच्चा जीवित है तो पुलिस ने उसे प्राथमिकी दर्ज कर सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया।'

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