Pilibhit: वरुण गांधी का अपनी ही सरकार पर वार, बोले- '5 सालों में 18 लाख से अधिक लोगों को नौकरी से हटाया'

Pilibhit News: वरुण गांधी ने कहा कि, 'निजी कारणों की वजह से यूपी के 18 लाख लोगों को पिछले पांच साल में नौकरी से हटाया गया है। यूपी पहले से ही बेरोजगारी की चपेट में था। अब 18 लाख लोगों का आंकड़ा और बढ़ा है।

Report :  Pranjal Gupata
Update:2023-11-20 20:52 IST

वरुण गांधी (Social Media)

Pilibhit News: पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी (Pilibhit MP Varun Gandhi) ने बेरोजगारी के मुद्दे पर एक बार फिर अपनी ही सरकार पर निशाना साधा। वरुण ने सोमवार (20 नवंबर) को कहा कि 'देश और प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है। पीलीभीत के लोग हरियाणा और गुजरात में जाकर मजदूरी करने को मजबूर हैं। स्थानीय सांसद बोले, सरकार नौकरियां निकालती हैं। बेरोजगार पांच-पांच बार आवेदन भी करते हैं, लेकिन हर बार पेपर लीक हो जाता है। उन्होंने कहा, बार-बार आवेदन करने में बेरोजगार युवाओं का काफी पैसा खर्च हो रहा है। उन्हें नौकरी भी नहीं मिल रही।'

दो दिवसीय दौरे पर वरुण गांधी अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचे। बीसलपुर की सीमा में पहुंचते ही कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। सांसद ने क्षेत्र के गांव अभय भगवंतपुर, सोरहा, मझगवां, रड़ेता, रोहनिया, भूड़ा आदि गांवों में जनसंवाद कार्यक्रमों को संबोधित किया। साथ ही, लोगों की समस्याएं भी सुनी।

वरुण- पहले आसानी से मिल जाती थी सरकारी नौकरी 

अपनी ही सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार करते हुए सांसद वरुण गांधी ने कहा कि, 'निजी कारणों की वजह से यूपी के 18 लाख लोगों को पिछले पांच साल में नौकरी से हटाया गया है। यूपी पहले से ही बेरोजगारी की चपेट में था। अब 18 लाख लोगों का आंकड़ा और बढ़ा है। जिसका असर करीब एक करोड़ लोगों पर पड़ा है। सांसद ने आगे कहा, सरकारी नौकरी पहले आम आदमी के लिए एक मात्र सहारा था। पहले अप्लाई कर आसानी से मिल जाती थी। जब से निजीकरण हुआ है तब से नौकरी पाना तो दूर उसके बारे में सोचना भी कठिन लगता है।'

'इंजीनियर का सबसे बुरा हाल'

वरुण बोले, 'यही वजह है कि भारत दो बन गए हैं। एक भारत में लोग आसानी से दौड़ रहे हैं, लेकिन दूसरे भारत का भट्टा बैठता जा रहा है। पिछले सात सालों में 28 करोड़ लोगों ने सरकारी नौकरी के लिए परीक्षाएं दीं, लेकिन नौकरी मात्र सात लाख लोगों को ही मिली। पीलीभीत सांसद ने आगे कहा, पहले हमारे देश में इंजीनियर की बहुत बड़ी नौकरी मानी जाती थी, लेकिन आज इंजीनियर का सबसे बुरा हाल है। प्रत्येक वर्ष 15 लाख से अधिक इंजीनियर पढ़ाई कर निकलते हैं, लेकिन नौकरी मात्र 15 फीसदी लोगों को ही मिलती है।'

निजीकरण की वजह से संविदा नौकरियां 

उन्होंने आगे कहा, 'एक गांव का किसान कर्ज लेकर अपने बेटे को पढ़ाता है, लेकिन जब उसको नौकरी नहीं मिलती है तो सोचो उसके दिल पर क्या गुजरती होगी। जबकि   आज के दौर में कर्ज लेकर पढ़ाई करना आसान नहीं है। कहा कि मौजूदा समय में अस्थाई रोजगार बढ़ रहा है, जो संविदा पर है। संविदा की नौकरी कब छीन ली जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है। निजीकरण की वजह से ही सभी नौकरियां संविदा पर हो गई है।'

महंगाई के हिसाब से वेतन नहीं बढ़ रहा

सांसद बोले कि, 'एक अफसर या आर्मी का योद्धा बनने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है। अग्निवीरों से पांच साल सेवा लेने के बाद उनको निकाला जाएगा। गांव लौटने के बाद जब उनके पास गांव में कोई काम नहीं होगा तो भला वह क्या करेंगा। क्या यह सेना का अपमान नहीं है। सांसद बोले पिछले आठ सालों में वास्तविक वेतन मात्र एक फीसदी बढ़ा है, लेकिन महंगाई कई गुना बढ़ी है, जिसका असर आम लोगों पर पड़ रहा है। लोगों के पास जो जमापूंजी थी वह इस महंगाई ने खत्म कर दी।'

कार्यक्रम के दौरान में ये रहे मौजूद

सांसद वरुण गांधी के जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान सांसद सचिव कमलकांत, प्रभारी गोपाल, राजेश सिंह, अचल दीक्षित, बंटी गुप्ता, तिलक शर्मा, सूरज शुक्ला, शिवेंद्र शुक्ला, भरत शर्मा, प्रकाश शर्मा, अनमोल सिंह, बंटी मिश्रा, विमल शुक्ला, राजू जायसवाल, प्रमोद गुप्ता, सुशील शर्मा, अमर सिंह, ललित मोहन गंगवार, अमर जायसवाल, सुमित मिश्रा, दीपक पांडेय आदि मौजूद रहे।

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