मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: लखनऊ में अब चाय के ठेलों-गुमटियों में प्लास्टिक के गिलास नजर नहीं आते। इनकी जगह कागज के गिलास चल रहे हैं। दावत -भंडारे के लिए प्लास्टिक के गिलास बाजार में खोजने पर भी नहीं मिलते। थर्मोकोल की प्लेटें भी नदारद हैं। सीतापुर रोड हो या मुंशी पुलिया, नख्खास या कोई और सब्जी मंडी, सब्जी-फल वालों के पास पॉलिथीन नहीं दिखता। हां, प्लास्टिक-कॉटन वूवन बैग जरूर कहीं कहीं मिल जाते हैं। बिग बाजार, स्पेंसर्स जैसे स्टोर्स में प्लास्टिक के बैग अब नहीं मिलते। आप चाहें तो कपड़े के बैग खरीद सकते हैं।
ये है प्लास्टिक-पॉलिथीन पर प्रतिबंध का असर। अभी तो शुरुआत ही है। अब दो अक्टूबर से कई और चीजें भी शायद बाजार से अंडरग्राउंड हो जाएं। जैसे कि प्लास्टिक के बड़े गिलास। शराब की दुकानों के पास ऐसे गिलास ब्लैकमार्केट में आठ रुपए का मिलता है और वह भी चोरी-छिपे। इन हालातों की वजह है बीते कई महीनों से चल रहे अभियान का असर। दरअसल, यूपी में जुलाई 2018 में ही प्लास्टिक-पॉलिथीन के खिलाफ अभियान छेड़ा गया था। 50 माइक्रॉन से नीचे की प्लास्टिक पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई थी। व्यापारियों से कहा गया कि इस तरह की प्लास्टिक को 02 अक्टूबर 2018 तक नगर निगम को वापस कर दें अन्यथा कार्रवाई झेलें। वैसे, यूपी में पहले भी कई सरकारों में प्लास्टिक पर बैन लग चुका था जिसका कोई नतीजा नहीं निकला,लेकिन इस बार कुछ एक्शन दिखा। 14 अगस्त 2019 तक करीब 500 टन प्रतिबंधित प्लास्टिक और थर्माकोल आइटम जब्त किए गए। इसके बाद एक ही महीने के भीतर 200 टन प्लास्टिक आइटम जब्त किये गये।
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मोदी का संकल्प
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2022 तक भारत से सिंगल यूज प्लास्टिक को समाप्त करने का संकल्प लिया है और इसके लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण संबंधी सर्वोच्च पुरस्कार 'यूएनईपी चैम्पियंस ऑफ द अर्थ' से सम्मानित भी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से प्लास्टिक-पॉलिथीन को त्यागने के अभियान में सारे देशवासियों का सहयोग व समर्थन मांगा। मोदी ने प्लास्टिक के खिलाफ अभियान को महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन में शामिल कर लिया है और गांधी जी की 150वी जयंती यानी आगामी 02 अक्टूबर से इसे पूरे देश मे सख्ती से लागू करने की तैयारी है। हालांकि यूपी समेत देश के करीब 18 राज्यों में प्लास्टिक के तमाम आइटम्स पर बैन पहले से लागू है और जमीनी स्तर पर अब ये दिखाई भी देने लगा है।
यूपी में बाहर से आ रही प्लास्टिक
उत्तर प्रदेश नगर निकाय निदेशालय में प्लास्टिक वेस्ट का मैनेजमेंट देख रही भूमिका पुरी बताती हैं कि हाइग्रेड प्लास्टिक और थर्मोकोल उत्पादों पर कोई रोक नहीं है। यूपी में करीब 350 प्लास्टिक निर्माता हैं। कानपुर में सबसे ज्यादा प्लास्टिक बनाने की करीब 80 फैक्ट्रियां हैं। प्रतिबंधित ग्रेड की प्लास्टिक बनाने के लिए एक भी फैक्ट्री का लाइसेंस नहीं है। यूपी में जो भी प्रतिबंधित प्लास्टिक है वह अवैध रूप से बनायी जा रही है।
प्रतिबंधित ग्रेड की प्लास्टिक के बैग बनाने के लिए छोटी अलमारी के बराबर की मशीन का प्रयोग होता है। इसे कोई भी ऑपरेट कर सकता है। सो कई बार लोग अपने घरों में ही ऐसी मशीनें लगाकर बैग बनाने लगते हैं। इनको पकड़ पाना मुश्किल काम है क्योंकि हर घर में घुसकर जांच नहीं की जा सकती। भूमिका पुरी बताती हैं कि प्रतिबंधित प्लास्टिक निर्माण के लिए लखनऊ में 11 मुकदमे दर्ज हुए हैं और तीन फैक्ट्रियां सीज की गईं। इनमें से एक घर में ही चल रही थी और इसे एक गृहणी चला रही थी।
आफत निपटारे की
सरकार की सख्ती के बाद प्रतिबंधित प्लास्टिक का चलन तो बंद हो गया है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या इनके निपटारे की है। इसे जला सकते नहीं, डम्ंपग ग्राउंड ओवरफ्लो कर रहे हैं। करें तो करें क्या? नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों से कहा गया है कि वे पकड़ी गई प्रतिबंधित प्लास्टिक को पास के नगर निगम को भेजें ताकि उसके निस्तारण का काम हो सके। जबकि हाल यह है कि नगर निगमों के पास खुद ही कोई व्यवस्था नहीं है। इस बारे में लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया का कहना था कि लखनऊ नगर निगम जल्द ही प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग सड़क बनाने में करेगा और इसके लिए मशीन खरीदी जा रही है।
सड़कों को बनाने में करें इस्तेमाल
बहरहाल, 18 सितम्बर को प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह ने सभी नगर आयुक्तों को पत्र लिखा है कि जब्त किए गए प्रतिबंधित प्लास्टिक व थर्मोकोल उत्पादों का निस्तारण नियमानुसार नहीं किया जा रहा है और इनके फिर से बाजार में आने की शिकायतें मिल रही है। ऐसे में सभी नगर निगमों से कहा गया है कि 2 अक्टूबर के बाद वे एक या दो सड़कों को चुनें और उस सड़क को बनाने के लिए जब्त की गयी प्लास्टिक व थर्मोकोल का उपयोग करें। वैसे, नगर निकाय निदेशालय के अनुसार यूपी में कानपुर, गाजियाबाद, लखनऊ, मेरठ और झांसी नगर निगमों में सड़क निर्माण में जब्त प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग किया जा चुका है।
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अच्छी पहल
लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया बताती है कि कुछ एनजीओ लोगों से पुराने कपड़े एकत्र करके झोले बनाने और उन्हें जनता में बांटने के लिए आगे आए हैं। प्रतिबंधित प्लास्टिकऔर थर्मोकोल की प्लेटों व गिलासों के विकल्प के लिए भी स्वयंसेवी संस्थाओं से सहयोग के लिए कहा गया है कि वह अपने-अपने इलाकों में लोगों के लिए बर्तन बैंक की स्थापना करें। एक एफएम चैनल ने भी पुराने कपड़े एकत्र करने का अभियान चलाया है। इनसे थैले बनाकर बांटे जाएंगे।
प्रयागराज में स्वच्छता मिशन की एक रैली में लोगों से पुराने कपड़े लिए गए और कुछ एनजीओ को इन्हें देकर झोले बनवाए गए। ये झोले लोगों में फ्री में बांटे गए हैं।
स्किन केयर उत्पादबनाने वाली कंपनी बॉडी शॉप अपने प्लास्टिक की खाली बोतलें वापस करने पर10 फीसदी छूट दे रही है।
बर्तन बैंक की अनोखी पहल
प्लास्टिक का कचरा फैलाने में थर्मोकोल की प्लेट, प्लास्टिक के गिलास-कटोरी जैसे सिंगल यूज आइटम का बड़ा योगदान है। इस दिशा में इंदौर, नोएडा, बंगुलरु जैसे कई शहरों में अनोखी पहल की है-बर्तन बैंक शुरू करके। इन बर्तन बैंकों द्वारा लोगों को फ्री में स्टील के बर्तन उपलब्ध कराए जाते हैं। इस्तेमाल के बाद इन बर्तनों को वापस कर देना होता है।
नोएडा प्राधिकरण के बर्तन बैंक में लोगों को मुफ्त में 24 घंटे के लिए 100 रुपए सिक्योरिटी जमा करके बर्तन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कोई भी व्यक्ति नोएडा प्राधिकरण से बर्तन ले सकता है। बर्तनों के सेट शहर के लोगों द्वारा ही डोनेट किये गये हैं। बर्तन बैंक से बर्तन अपने खर्च पर ले जाने और साफ करके वापस पहुंचाने की जिम्मेदारी बर्तन ले जाने वाले की होती है। देरी करने पर प्रतिदिन जुर्माना भी लगाया जाता है। बर्तन लेने के लिए उपभोक्ता को आईडी देनी होती है।
इंदौर नगर निगम दे रहा बर्तन
देश के सबसे साफ शहर इंदौर में किसी के घर में कोई कार्यक्रम है तो मेहमानों को खाना खिलाने के लिए डिस्पोजल प्लेट-दोने खरीदने की जरूरत नहीं। इसके लिए निगम के टोल फ्री नंबर पर कॉल कर बुकिंग करवा सकते हैं। यहां फ्री में बर्तन दिए जाते हैं। शर्त यह रहेगी कि आयोजन में किसी भी तरह के डिस्पोजल सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इस सुविधा का नाम आईएमसी बर्तन बैंक रखा गया है। प्रारंभिक चरण में निगम ने करीब 500 लोगों के कार्यक्रम के हिसाब से बर्तन की व्यवस्था की है।
कार्पोरेटी दुनिया में तो लग गया बैन
सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ देश के कार्पोरेट्स और पब्लिक सेक्टर की कंपनियों ने स्वेच्छा से पहल शुरू कर दी है। एयर इंडिया ने अपनी उड़ानों में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर दिया है। एयर इंडिया ने अपनी सभी उड़ानों में 200 मिली की बोतलों को बंद करके सिर्फ 1500 मिली की बोतलें ही प्रयोग करने का फैसला किया है। इसके अलावा प्लास्टिक कप की बजाय कागज के कप तथा चिप्स, सैंडविच आदि को प्लास्टिक की बजाय बटर पेपर पाउच में दिया जाएगा।
विस्तारा एयर ने पानी की बोतलों की बजाय कागज के कप में पानी सर्व करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा फ्लाइट में भोजन सामग्री ऑक्सो-बायोडिग्रेडबल प्लास्टिक में परोसा जा रहा है। दावा है कि ऑक्सो-बायोडिग्रेडबल प्लास्टिक दो साल में पूरी तरह नष्ट हो जाती है।
मेरियट इंटरनेशनल ग्रुप ने अपने सात हजार होटलों में शैम्पू, कंडीशनर और जेल की छोटी बोतलों की जगह पम्प वाली बड़ी बोतलों को इस्तेमाल में लाने की योजना बनाई है। 'ओयोÓ होटल्स पहले से ही ये काम कर रहा है।
हिमाचल ने लगाया तगड़ा जुर्माना
हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार द्वारा प्लास्टिक के कप-प्लेट्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब सिंगल यूज प्लास्टिक वाली कटलरी पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य सरकार ने इसके इस्तेमाल को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया है, लेकिन निर्माताओं को बने हुए सामान को तीन महीने के भीतर निपटाने को कहा है। लेकिन ये आइटम प्रदेश से बाहर ही बेच सकेंगे। प्लास्टिक के ऐसे सामान में चम्मच, कटोरी, बाउल, स्टीरिंग स्टिक, फोक्र्स, चाकू व स्ट्रॉ आदि शामिल हैं। इन प्रतिबंधित वस्तुओं का प्रयोग करने पर सरकार ने ५०० रुपए से २५ हजार रुपए तक का जुर्माना तय किया है।