पुलिस की बिना जांच बर्खास्तगी रद्द, सेवा बहाली का निर्देश
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एस.एस.शमशेरी की खण्डपीठ ने वाराणसी के प्रमोद प्रसाद व अन्य की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने एकलपीठ द्वारा याचिका खारिज करने के आदेश को भी रद्द कर दिया है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सामान्य दृष्टिदोष पर पीएसी कांस्टेबलों की बर्खास्तगी रद्द कर दी है और सेवाजनित परिलाभों के साथ सेवा बहाल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि विभाग नियमानुसार कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एस.एस.शमशेरी की खण्डपीठ ने वाराणसी के प्रमोद प्रसाद व अन्य की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने एकलपीठ द्वारा याचिका खारिज करने के आदेश को भी रद्द कर दिया है। अपील पर अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने बहस की। याचीगण 4 अप्रैल 04 को पीएसी कांस्टेबल नियुक्त हुए। शिकायत पर 06 में इनकी मेडिकल जांच की गयी तो इन्हें अनफिट पाया गया। कोर्ट के आदेश पर मेडिकल बोर्ड ने भी जांच की।
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कलर विजन आंशिक रूप से रेड ग्रीन डिफेक्टिव पाया गया जिस पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया, जिसे चुनौती दी गयी। याची का कहना था कि ड्राइवर की नियुक्ति में कलर देखा जाता है, पुलिस में नहीं। कोर्ट ने मेडिकल अनफिट होने के कारण याचिका खारिज कर दी।
इस आदेश को अपील में चुनौती दी गयी थीं याची का कहना था कि पुलिस में मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की नियुक्ति की जाती है। देखने में कलर दोष के आधार पर बर्खास्त नहीं किया जा सकता। उन्हें दूसरे कार्य में लगाया जा सकता है।
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बर्खास्तगी से पूर्व विभागीय जांच किया जाना जरूरी है। खण्डपीठ ने कहा कि यह नियुक्ति आदेश निरस्त करने का मामला नहीं है बल्कि सेवा से बर्खास्तगी का है। सेवा के दौरान बीमारी पर दूसरे कार्य लिये जा सकते हैं। बिना जांच बर्खास्तगी नहीं की जा सकती।