UP Politics: लोकसभा चुनाव से पहले सियासी दलों को बड़ा झटका, नए साल में रैलियों के लिए खर्च करने होंगे अधिक पैसे

UP Politics: आने वाले दिनों में राजधानी लखनऊ में बड़े – बड़े सियासी आयोजन देखने को मिल सकते हैं। इन आयोजनों के लिए राजनीतिक दलों को अब अधिक जेब ढ़ीली करनी होगी।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-12-23 12:24 IST

नए साल में रैलियों के लिए खर्च करने होंगे अधिक पैसे (photo: social media )

UP Politics: नए साल के आगमन में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। कुछ दिनों बाद 2023 के रूप में नए वर्ष का आगाज हो जाएगा। राजनीतिक रूप से ये साल देश की सबसे बड़ी आबादी बाले राज्य उत्तर प्रदेश के लिए काफी अहम होने वाला है। क्योंकि 2024 के आम चुनाव के लिए सियासी दलों की तैयारियां इसी साल से जुड़ी हो जाएंगी। आने वाले दिनों में राजधानी लखनऊ में बड़े – बड़े सियासी आयोजन देखने को मिल सकते हैं। इन आयोजनों के लिए राजनीतिक दलों को अब अधिक जेब ढ़ीली करनी होगी।

यूपी सरकार ने राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए बड़े सार्वजनिक स्थानों या मैदानों में आयोजन के लिए ली जाने वाली फीस में बढ़ोतरी कर दी है। नए साल में सियासी दलों को अब इन जगहों पर कोई कार्यक्रम करने के लिए अधिक खर्च करना पड़ेगा। स्मारक समिति ने रमाबाई रैली स्थल, कांशीराम सांस्कृतिक स्थल और स्मृति उपवन का किराया बढ़ा दिया है।

किस स्थल का कितना बढ़ा किराया ?

मिली जानकारी के मुताबिक, स्मारक समिति ने रमाबाई रैली स्थल का किराया 1.68 लाख से बढ़ाकर 4.48 लाख कर दिया है। ये किराया प्रतिदिन के हिसाब से है। स्मृति उपवन का किराया 1.35 लाख से बढ़ाकर 3.84 लाख रूपये कर दिया गया है। इसी तरह डोरमेट्री रैनबसेरा और बसों के प्रतिदिन पार्किंग शुल्क में भी बढ़ोतरी की गई है। नए प्रस्तावित किराये में 10 फीसदी जमानत राशि और 18 फीसदी जीएसटी भी शामिल होगा। स्मारक समिति ने बताया कि नया किराया 1 अप्रैल 2023 से अमल में आएगा।

किराया बढ़ाने की वजह

स्मारक समिति ने किरायों में की गई भारी वृद्धि की वजहें गिनवाई हैं। समिति का कहना है कि जिस अनुपात में महंगाई बढ़ रही है, उस हिसाब से आय में वृद्धि करना जरूरी है ताकि इन सार्वजनिक स्थलों के रखरखाव में खर्च करने के लिए बजच कम ना पड़े। समिति का कहना है कि मरम्मत, रखरखाव और साफ-सफाई के अलावा आयोजन से जुड़े इंतजामों के लिए भी उसे ही व्यवस्था करनी होती है। कर्मचारियों के वेतन – भत्ते में बढ़ोतरी को देखते हुए ये वृद्ध जरूरी हो गया है।

छोटे दल होंगे प्रभावित

इन सार्वजनिक स्थानों का इस्तेमाल अक्सर बड़ी सियासी पार्टियां किसी बड़े राजनीतिक कार्यक्रम के लिए करती हैं। इनमें शपथग्रहण समारोह, राष्ट्रीय अधिवेशन और मेगा रैलियां शामिल हैं। बड़े सियासी दलों के पास बजट की कोई कमी नहीं है। लेकिन छोटे सियासी दलों के साथ ऐसी स्थिति नहीं है। यही वजह है वो इस वृद्धि से सबसे अधिक प्रभावित होंगे। हालांकि, अभी तक किसी भी विपक्षी दल ने सरकार के इस कदम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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