राहुल के क्षेत्र में दांव पर लगा छात्रों का भविष्य, दिव्यांग टीचर बच्चों से कहता है कि...

Update: 2017-09-07 05:08 GMT

अमेठी: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र में अगर आपने प्राइमरी शिक्षा के ऊंचे ख्वाब देख रखे हैं, तो उसे भूल जाइए, दरअसल यहां दिव्यांग शिक्षक के हाथ में छात्रों का भविष्य है। शिक्षक ऐसा कि जो छात्रों से कहता है 1 हज़ार रुपए मुझसे ले लो और 15 दिन स्कूल मत आओ। ये आरोप है अमेठी के ताला ग्राम प्राइमरी स्कूल के बच्चों का।

छात्रों की गिनती 90 से पहुंची 60 पर

गौरतलब रहे कि अमेठी तहसील के ताला ग्राम प्राइमरी स्कूल में 1 हेड मास्टर और 1 दिव्यांग (नेत्र विहीन) शिक्षक के भरोसे छात्रों की शिक्षा का दारोमदार है। हेड मास्टर जितेंद्र त्रिपाठी की मानें तो वो स्कूल में अकेले हैं। छात्रों के पढ़ाने से लेकर रजिस्ट्रर तैयार करना और इसके अलावा दूसरे सरकारी काम उनके कांधों पर है। उनके अनुसार वो छात्रों को पढ़ाते भी हैं, लेकिन वो कहते हैं कि एक शिक्षक 5 कक्षाओं के बच्चों को कैसे पढ़ाएगा? बात भी कुछ हद तक जायज़ है।

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वहीं हेड मास्टर श्री त्रिपाठी ने बताया कि दिव्यांग शिक्षक का आलम ये है कि आएंगे स्कूल तो छात्रों को पढ़ाएंगे नहीं, अगर पढ़ाने लग भी गए तो छात्रों को कहानी के प्रारूप में पढ़ाएंगे। इससे छात्रों को कुछ समझ में ही नहीं आता है, वो इसलिए के ये छात्र कोई बड़ी कक्षा के तो है नहीं। छोटी कक्षा के छात्र हैं, जिनको हाथ पकड़ा कर लिखाना-पढ़ाना पड़ता है। इसका असर ये हुआ कि पहले इस स्कूल में क़रीब 90 छात्र थे लेकिन मौजूदा समय में ये गिनती 60 पर पहुंच गई है।

छात्र बोले- क्लास में बैठ गाना सुनते हैं शिक्षक

ये दर्द और बातें तो हेड मास्टर की थीं, छात्रों की जुबानी तो इससे भी कहीं ज़्यादा चौंकाने वाली है। छात्र तो खुले तौर पर बोलते हैं कि छोटे सर पढ़ाते ही नहीं, बल्कि दिन भर गाना सुनते रहते हैं और जब बच्चे पढ़ाने की बात की जाती है तो मारने लगते हैं। इससे छात्र इनके क़रीब जाने से कतराते हैं। कुछ छात्रों ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि छोटे सर कहते हैं 1 हज़ार रुपए हमसे ले लो और 15 दिन स्कूल मत आना।

ऐसा ही आरोप छात्रों के अभिभावकों का है, अभिभावक कहते हैं कि जब से इस स्कूल में नेत्र विहीन शिक्षक आए हैं, तब से हमारे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा।

बोले दिव्यांग शिक्षक: जरूरी नहीं ब्लैक बोर्ड पर लिखकर ही पढ़ाया जाए

उधर जब दिव्यांग शिक्षक से बातचीत की गई तो उन्होंने साफ कहा कि जरूरी नही के छात्रों को ब्लैक बोर्ड पर लिखकर ही पढ़ाया जाए। इससे अच्छा मैं छात्रों को बोल के पढ़ा लूंगा और और अगर लिख के पढ़ाने की जरूरत पड़ेगी तो मैं लैपटॉप या मोबाइल में लिख के बच्चों को पढ़ा सकता हूं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार दबाव बनाएगी कि ब्लैक बोर्ड से ही बच्चों को पढ़ाना है तो मैं असिस्टेंट रख लूंगा, और मैं असिस्टेंट रखना भी चाहता हूं तो मुझे असिस्टेंट नहीं रखने दिया जाता है।

बीएसए से बात कर दूसरे शिक्षक की होगी तैनाती: डीएम

इस पूरे मामले में जब डीएम योगेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी हुई है, मैं इस बारे में बीएसए से बात कर के दिव्यांग शिक्षक को वहां से हटा कर दूसरी जगह भेज दूंगा और वहां दूसरे शिक्षक की नियुक्ति करवा दी जाएगी।

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