Sakarni River: सांसद ने सकरनी नदी उद्गम स्थल का किया शिलान्यास, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
Pratapgarh News: सांसद ने कहा कि गंगा नदी के किनारे बसा प्रतापगढ़ जनपद ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। उत्तर प्रदेश का यह जिला रामायण एवं महाभारत के कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा हैं।
Pratapgarh News: सांसद संगम लाल गुप्ता ने विकास खण्ड मानधाता की ग्राम पंचायत नेवाड़ी में स्थित सकरनी नदी उद्गम स्थल खुइलन तालाब में नदी पुनरोद्धार का शिलान्यास किया। इस अवसर पर विधायक विश्वनाथगंज जीतलाल पटेल, मुख्य विकास अधिकारी नवनीत सेहारा, पर्यावरण सेना प्रमुख अजय क्रान्तिकारी सहित ग्राम प्रधान व खण्ड विकास अधिकारी उपस्थित रहे। सांसद ने कहा कि गंगा नदी के किनारे बसा प्रतापगढ़ जनपद ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। उत्तर प्रदेश का यह जिला रामायण एवं महाभारत के कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा हैं।
सई के तट से गये थे प्रभु श्रीराम
उन्होनें कहा कि ऐसा मान्यता है कि जिले के पौराणिक नदी सई के तट से होकर प्रभु श्रीराम वनागमन के समय अयोध्या से दक्षिण की ओर गये थे, उनके चरणों से यहां की नदियों के तट पवित्र हुये थे। प्रतापगढ़ जिले से होकर बह रही गंगा, सई और गोमती की पतित पावनी जलधारा हमारे जीवन में विद्यमान है। सौभाग्य की बात यह कि इन बड़ी नदियों के परस्पर ही आधा दर्जन छोटी नदियां भी जनपद को वरदान के रूप में मिली है। सकरनी नदी इनमें से एक है, लेकिन सकरनी नदी में सिर्फ बरसात के दिनों में ही पानी नजर आता है। सकरनी नदी की उत्पत्ति/उद्गम जनपद के विकास खण्ड मानधाता की ग्राम पंचायत नेवाड़ी में स्थित खुइलन तालाब से है। यह नदी जनपद की तीन विकास खण्ड क्रमशः मानधाता, लक्ष्मणपुर एवं सदर के कई ग्राम पंचायतों से होती हुई सई नदी से मिल जाती है।
लोगों को मिलेगा रोजगार
उन्होने कहा कि नदी के पुनरोद्धार की परिकल्पना ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने एवं एकता के सूत्र में संजोने की है, जहां सम्पूर्ण ग्राम पंचायत एकत्र होकर श्रमदान करते हुये अपने नेतृत्व में नदी का पुनरोद्धार करते हुये अपनी सहभागिता दर्ज करायेगी। नदी के पुनरोद्धार का मुख्य उद्देश्य सकरनी नदी की अविरलता एवं निर्मलता को बढ़ाना है। नदी के पुनरोद्धार से जल स्तर में वृद्धि होगी। नदी के पुनरोद्धार के समय मनरेगा जाबकार्ड धारको को अपनी ही ग्राम पंचायत में कार्य का अवसर प्रदान होगा जिससे श्रमिकों को कार्य हेतु बाहर नही जाना पड़ेगा एवं मनरेगा मजदूरों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा तथा उनके अपनी ही ग्राम पंचायत में एक रमणीक स्थल का विकास होगा। इससे जलीय जीव व पशु-पक्षियों को पानी की समस्या नही होगी। इस कार्य पर लगभग रूपये 1.35 करोड़ की धनराशि का व्यय संभावित है।