Prayagraj News: एयू और केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो का संयुक्त आयोजन, कर्मचारियों ने सीखा अनुवाद की बारीकियां

उल्लेखनीय है कि इस प्रकार की कार्यशाला पहली बार इलाहाबाद में आयोजित हो रही है,जिसमें इलाहाबाद स्थित केंद्र सरकार के अनेक कार्यालयों के कर्मचारी भाग ले रहे हैं।

Written By :  Durgesh Sharma
Update:2022-11-28 20:35 IST

Prayagraj News Joint organization AU and CTB employees learned nuances of translation (Allahabad University)

Prayagraj News: इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं नराकास, प्रयागराज कार्यालय-2 के कार्मिकों हेतु गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सभागार में पांच दिवसीय संक्षिप्त अनुवाद प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। यह आयोजन केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो और राजभाषा अनुभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा है। इस अवसर पर केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, गृह मंत्रालय, नई दिल्ली से विषय विशेषज्ञ के तौर पर मुरारी लाल गुप्ता और जे. तिर्की ने केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो की कार्य संस्कृति, कार्ययोजना और कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से अपनी बातें रखीं। अनुवाद संबंधी चुनौतियों पर बात की।

मुरारी लाल गुप्ता ने केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो की ओर से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इस आयोजन की अनुमति हेतु कुलपति महोदया का आभार व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि इस प्रकार की कार्यशाला पहली बार इलाहाबाद में आयोजित हो रही है,जिसमें इलाहाबाद स्थित केंद्र सरकार के अनेक कार्यालयों के कर्मचारी भाग ले रहे हैं। विषय विशेषज्ञों ने इस तरह के अन्य कार्यक्रमों में आगे भी प्रतिभाग करने की इच्छा ज़ाहिर की।

अनुवाद का प्रशिक्षण ज्ञान का विस्तार है: प्रो.संतोष भदौरिया

उद्घाटन सत्र के स्वागत वक्तव्य में संस्थान के निदेशक एवं राजभाषा अनुभाग के संयोजक प्रो. संतोष भदौरिया ने कहा कि अनुवाद का प्रशिक्षण परिवेश, जीवन और संस्कृति को नज़दीक से जानने का अवसर उपलब्ध कराता है।


कार्यालयी कार्य संस्कृति में अनुवाद की भूमिका बड़ी हो जाती है। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद नगर भाषा संबंधी संवैधानिक उपबंध में समूह क के अंतर्गत आता है, इसलिए कार्यालयीन कार्य संस्कृति में हिंदी को अपनाया जाना चाहिए।

अनुवाद एक कला है: प्रो. एचएस उपाध्याय

इसमें हिंदी अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका है। अनुवाद हमारे ज्ञान का विस्तार करता है। उद्धघाटन सत्र के मुख्य अतिथि कला संकाय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. एच. एस. उपाध्याय ने अनुवाद की व्यवहारिक जटिलताओं को कई उदाहरणों से समझाया।

यह कहा कि अनुवाद एक कला है। उसे समझे जाने की जरूरत है। उन्होंने मातृभाषा और स्वदेशी को अपनाए जाने पर जोर दिया। भारतीय भाषाओं में कार्य किए जाने की जरूरत को बताया।

अनुवाद कार्यालयीन कार्य संस्कृति का ज़रूरी हिस्सा: प्रो. शबनम हमीद

अध्यक्षीय वक्तव्य में उर्दू विभाग की अध्यक्ष प्रो. शबनम हमीद ने कार्य व्यवहार में अनुवाद की भूमिका को बताया। यह भी कहा कि अनुवाद करने के लिए अनूदित भाषा में उतरना ज़रूरी होता है।


उन्होंने कहा कि अनुवाद तो होना ही चाहिए लेकिन हिंदी में कार्य को व्यवहार में लाना होगा। कार्यक्रम का संचालन अनुवाद अधिकारी हरिओम कुमार और धन्यवाद ज्ञापन पोस्ट डॉक्टोरल फेलो धीरेंद्र प्रताप सिंह ने किया।

इस कार्यक्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय और नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, प्रयागराज के दो दर्जन से अधिक कार्मिक उपस्थित थे। आयोजन के प्रथम सत्र में संस्थान के सहायक आचार्य डॉ.सुरेंद्र कुमार, शोधार्थी राहुल कुमार, सृष्टि, श्वेता, करन आदि भी उपस्थित रहे।

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