Mahakumbh 2025: महाकुंभ में 'बुलेट बाबा' का भौकाल, IAS-IPS पड़ते हैं पैर, दिन की 10 चाय पर रहते हैं जिंदा
Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 में प्रयागराज की संगम भूमि पर मौनी बाबा, जो आजीवन मौन और अन्न जल का त्याग कर केवल 10 कप चाय पर जीवन यापन करते हैं, अपनी विशेषता से भक्तों को आकर्षित कर रहे हैं।
Mahakumbh 2025: प्रयागराज की संगम भूमि पर महाकुंभ 2025 के लिए साधु-संतों के जत्थे पहुंच रहे हैं, और संगम की रेती पर तरह-तरह के बाबाओं का आना-जाना जारी है। हर साधु-संत की अपनी एक अलग और दिलचस्प कहानी है। ऐसे में एक बाबा हैं, जो कई सालों से मौन हैं, लेकिन कई लोगों के जीवन में रोशनी भर रहे हैं। ये हैं मौनी बाबा, जिन्होंने आजीवन मौन रहने का संकल्प लिया है। बाबा सिर्फ मौन ही नहीं हैं, बल्कि अन्न और जल का त्याग भी कर चुके हैं। वे दिन में केवल 10 कप चाय पीते हैं, और इसी चाय पर वे जीवित रहते हैं। बाबा जो भी भक्त उनके पास आते हैं, उन्हें भी प्रसाद में वही चाय देते हैं।
बाबा कराते सिविल सर्विसेज की तैयारी
दिलचस्प बात यह है कि बाबा को बाइक चलाने का भी शौक है, और वे स्पीड में बाइक चलाना पसंद करते हैं। लेकिन सबसे खास बात यह है कि बाबा सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे छात्रों को मुफ्त कोचिंग देते हैं। वे अपने हाथ से लिखे नोट्स व्हाट्सएप पर छात्रों के साथ साझा करते हैं। अगर बात करें बाबा की शैक्षिक योग्यताओं की, तो उन्होंने बायोलॉजी में बीएससी की है।
क्या है असली नाम
मौनी बाबा का असली नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है, और वे प्रतापगढ़ के चिलविला स्थित शिवशक्ति बजरंग धाम से आए हैं। कहा जाता है कि उनका संबंध एक शिक्षकों के परिवार से है, क्योंकि उनके पिता एक प्रचार्य थे। पिता की मृत्यु के बाद, उन्हें अनुकंपा के आधार पर नौकरी प्राप्त हुई थी। लेकिन जैसे ही उनके हृदय में भगवान की भक्ति का ज्वाला जाग्रत हुआ, उनका सांसारिक जीवन से मोह टूट गया और उन्होंने संन्यास लेने का निर्णय लिया।
क्या कहना है मौनी बाब का?
मौनी बाबा का कहना है कि उनके आश्रम में जुड़ने वाले बच्चे न केवल शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि अध्यात्म में भी गहरी समझ विकसित कर रहे हैं। इस प्रकार से सनातनी परंपरा का प्रसार तेजी से हो रहा है। बाबा का मानना है कि बिना बोले भी बहुत कुछ सिखाया जा सकता है। वे खुद बिना बोले, कलम को अपनी जुबान बनाकर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। मौन व्रत को उन्होंने पिछले 41 सालों से विश्व कल्याण और शांति के लिए धारण किया हुआ है। इस संकल्प की अवधि प्रभु की इच्छा पर निर्भर है।