Mahakumbh 2025: कुंभ में यूपीएससी की तैयारी करवा रहे मौनी बाबा, 41 सालों से रखा है मौन व्रत
Mahakumbh 2025 News: कुंभ में पधारे मौनी महाराज जी 41 सालों से मौन व्रत धारण किए हुए हैं। शिक्षा जा प्रचार करना ही इनके जीवन का उद्देश्य है।
Mahakumbh 2025 Update: संगम की रेती पर लगे महाकुंभ का आगाज अखाड़ों की छावनी से हो चुका है। यहां तरह-तरह के साधु संत कुंभ की धरती पर आने लगे हैं। लेकिन हर एक बाबाओं की अलग कहानी है। इनमें से एक ऐसे ही महाराज हैं, जो प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं। यह भले ही ना बोल पाते हों।लेकिन अनगिनत लोगों के बीच शिक्षा की अलख जलाने का काम कर रहें हैं। लोगों को खुद मौन रहते हुए बोलने का सलीका सिखा रहें हैं। एजुकेशन के जरिए वह हर तरह की प्रतियोगिताओं के लिए विद्यार्थियों को तैयार करते हैं। फिर चाहे वो जो भी तैयारी हो। जिसमें यूपीएससी जैसी बड़ी प्रतियोगी परीक्षा की भी तैयारी यह करवाते हैं। ये बोल नहीं पाते । लेकिन अपनी लेखनी और डिजिटल तकनीक के जरिए अपने फोन पर नोट्स तैयार कर स्टूडेंट्स की निशुल्क मदद कर रहें हैं।
41 सालों से रखा है मौन व्रत
कुंभ में पधारे मौनी महाराज जी 41 सालों से मौन व्रत धारण किए हुए हैं। शिक्षा जा प्रचार करना ही इनके जीवन का उद्देश्य है। इसलिए ये लिखकर जरूरतमंदों को पढ़ाने का काम करते हैं। ये अपने स्टूडेंट्स को व्हाट्सएप के जरिए अलग अलग विषयों पर आधारित तैयार किए गए नोट्स फॉरवर्ड करते हैं।
महाकुंभ में मौजूद ये बाबा तमाम व्यस्तताओं के बीच भी अपने पढ़ाई लिखाई के काम के लिए समय जरूर निकाल लेते हैं। यहां से फोन पर नोट्स तैयार कर स्टुडेंट्स को भिजवा दिया जाता है।
निःशुल्क कर रहे शिक्षा का प्रचार
ज्यादा से ज्यादा लोगों को शिक्षित करने की अपनी मुहिम के चलते मौनी बाबा इसके लिए कोई चार्ज लेते हैं। शिक्षा का प्रचार करना ये सनातन धर्म का ही एक अंग मानते हैं। इनके साथ ही कुंभ में पधारे एक स्टूडेंट का कहना है कि बाबा पीडीएफ फॉर्म में तैयार नोट्स को व्हाट्सअप पर हम लोगों के फोन पर ही भेज देते हैं। कोई भी बाबा से एक बार मिलकर उनका स्टूडेंट बनकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकता है।
जिसके लिए इनके पास जाने की जरूरत नहीं होती। फोन पर ही देश भर में कहीं भी इनके द्वारा तैयार नोट्स भेज दिए जाते हैं। स्टूडेंट का कहना है यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में भी 80 से 90 प्रतिशत अंक बाबा के नोट्स पढ़कर आराम से उनके विद्यार्थी हासिल कर रहे हैं। जिसके लिए दूसरे शिक्षण संस्थान मोटी रकम वसूल रहें हैं वहीं बाबा बिना एक पैसा लिए गरीब विद्यार्थियों की मदद कर रहें हैं।
क्या कहते हैं मौनी बाबा
मौनी बाबा का कहना है कि आश्रम से जुड़ने वाले बच्चे शिक्षा के साथ ही साथ अध्यात्म में भी पारंगत हो रहे हैं। इस तरह से सनातनी परम्परा की अलख तेजी से अपना विस्तार कर रही है। बाबा का यह भी कहना है कि एक प्रकार से बिना बोले बहुत कुछ सीखा और सिखाया जा सकता है। मैं भी बिना बोले कलम को अपनी जबान बनाकर बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहा हूं। मौन व्रत विश्व कल्याण और शांति के लिए 41 साल से धारण किया हुआ है। यह संकल्प कब तक कायम रहेगा ये प्रभु की इच्छा पर निर्भर है।