Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव का जिक्र कर बीजेपी और मायावती पर तंज कस गए अखिलेश यादव

Presidential Election 2022: सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने दो प्रमुख विरोधियों बीजेपी और मायावती पर राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तंज कसा है।

Published By :  Shreya
Update:2022-04-27 18:43 IST
अखिलेश यादव (फोटो - Newstrack) 

Presidential Election 2022: मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। लिहाजा इससे पहले ही राष्ट्रपति पद का चुनाव (Presidential Election In India) होना है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की समाप्ति के बाद अब राष्ट्रपति चुनाव को लेकर देश में सुगबुगाहट तेज हो गई है। इस बीच सपा (Samajwadi Party) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अपने दो प्रमुख विरोधियों बीजेपी (BJP) और मायावती पर तंज कसा है। सपा मुखिया ने कहा कि अब देखना होगा कि बीजेपी कब तक बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) को राष्ट्रपति बनाते हैं।

दरअसल, विधानसभा चुनाव के बाद ऐसी चर्चा जोरों पर थी कि मायावती के इस समर्थन के लिए बीजेपी उन्हें रिटर्न गिफ्ट के तौर पर राष्ट्रपति भवन भेज सकती हैं। इसके बाद से ही उनपर बीजेपी की बी टीम बनकर चुनाव लड़ने का आरोप चस्पा हो गया। लेकिन मायावती ने बीजेपी के साथ ऐसी किसी डील को खारिज करते हुए बीजेपी और संघ पर बसपा कार्यकर्ताओं को गुमराह करने का आरोप लगाया।

मायावती पर लगा था बीजेपी की बी टीम होने का आरोप

गत उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में बहुजन समाज पार्टी (BSP) का प्रदर्शन बेहद ही चौंकाने वाला था। एक समय पूर्ण बहुमत के साथ प्रदेश में सरकार चलानी वाली मायावती इसबार महज एक सीट पर सिमट गईं। उनकी इस करारी हार ने और बीजेपी की दोबारा बड़ी जीत ने उनपर लग रहे आरोपों की एक तरह से पुष्टि कर दी।

दरअसल, विधानसभा चुनाव के दौरान बीएसपी सुप्रीमो मायावती की कम सक्रियता को देखते हुए कहा जाने लगा था कि वो इस बार बेमन से चुनाव लड़ रही हैं। वो चुनाव लड़कर सपा को नुकसान और बीजेपी को फायदा पहुंचाना चाहती हैं। उन्होंने पूरे चुनाव में केवल 20 रैलियां की, जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 100 से अधिक औऱ बीजेपी ने करीब 200 से रैलियां की थी।


मायावती के इस कदम से हुआ बीजेपी को फायदा

चुनाव संपन्न होने के बाद आए आंकड़ों ने इस बात की लगभग तस्दीक भी की है। मायावती के टिकट वितरण पर शुरू में ही काफी सवाल उठा था। चुनाव नतीजे बताते हैं कि बसपा ने सपा को अच्छा डैमेज किया है। सौ से ज्यादा सीटों पर बसपा ने सपा के प्रत्याशियों के खिलाफ़ सजातीय उम्मीदवारों को टिकट दी थी। 11 मुस्लिम बहुल सीटों पर भी बसपा और सपा के उम्मीदवार मुस्लिम थे। जिसका फायदा बीजेपी को हुआ और 9 सीटों पर जीत मिली। कभी मायावती के बेहद करीब रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशियों को इस टिकट दिया, जिससे मतों का विभाजन हो सके। सपा ने भी कुछ ऐसा ही आरोप लगाया।

इसके अलावा मायावती का ब्राह्मण कार्ड भी हवा साबित हुआ। एक बसपा नेता ने कहा कि 2017 में ही यह कार्ड विफल साबित हुआ था, जब 65 ब्राह्मणों को टिकट दिया गया, जिनमें आधे से अधिक सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। अंदरूनी तौर पर मायावती द्वारा बीजेपी को समर्थन देने की एक दलील ये भी दी गई कि मायावती और उनके भाई पर मुकदमे हैं। केंद्रीय एजेंसियों से बचने के लिए उनका बीजेपी का साथ देना जरूरी था।

मायावती ने बीजेपी और संघ पर लगाया गुमराह करने का आरोप

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो औऱ पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बीजेपी के साथ डील को लेकर चल रही अफवाहों का जोरदार खंडन करते हुए कहा कि संघ और बीजेपी पर बसपा कार्यकर्ताओं को गुमराह करने का आरोप लगाया। मायावती ने कहा कि संघ और बीजेपी ने उनके समर्थकों को गुमराह करने के लिए झूठा प्रचार किया। बसपा कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीतने दिया गया तो मायावती को राष्ट्रपति बना दिया जाएगा। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जब मान्यवर कांशीराम ने बहुत पहले ही राष्ट्रपति का पद ठुकरा दिया था, तो वो उनकी मजबूत शिष्या होने के नाते कैसे इस पद को स्वीकार कर सकती हैं।

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