इंसेफेलाइटिस : आंकड़े खोलते है दावों की पोल , प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहें है लोग
''गोरखपुर तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आँकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है ''
गोरखपुर: हिंदी के मशहूर कवि अदम गोंडवी की ये लाइने इंसेफेलाइटिस के अभिशाप के उस सच को बयां करती है जिसे
सरकारी लीपा पोती करके ढ़का जाता रहा है। पूर्वांचल के मासूमों को असमय ही मौत की नींद सुलाने वाली बीमारी इंसेफेलाइटिस की रफ्तार कब धीमी होगी वहां इसका कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरकारी आकड़ों के हिसाब से तो इस जानलेवा बीमारी के आकड़ों में काफी कमी आई है।
वहीं गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस बीमारी से सैकड़ों बच्चे पीड़ित है। इस बीमारी से मासूमों को बचाने के लिये केन्द्र और प्रदेश सरकार ने कई योजनाएं चलाई लेकिन अधिकांश योजनाएं फाईलों में कैद होकर रह गयी हैं जिसके कारण आज भी मासूम तिल-तिल कर मरने को मजबूर हैं। बारिश शुरू होने के बाद इस बीमारी ने मासूम बच्चों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है।जिससे जिला अस्पताल के आईसीयू और जनरल वार्ड में बच्चों की भीड़ बढ़ गयी है।
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पूर्वांचल के पिछड़े जिलों में शुमार कुशीनगर में जापानी बुखार का सबसे अधिक प्रभाव होता है। दिमागी बुखार से इस जनपद में प्रति वर्ष दर्जनों बच्चों की मौत हो जाती है। जानकारी के अभाव में लोग बुखार आने पर सबसे पहले झोलाछाप डाक्टरों को दिखाते हैं और जब उनकी हालत गंभीर हो जाती है तब बच्चों को लेकर जिला अस्पताल या फिर मेडिकल कालेज की ओर रूख करते हैं। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो इस साल जनवरी से लेकर अब तक 80 मरीज जिला अस्पताल में भर्ती हुए हैं जिनमें से 9 मासूम बच्चों की मौत हो चु़की है। जिला अस्पताल के आईसीयू में भर्ती बच्चों में से कई गंभीर मरीजों को गोरखपुर मेडिकल कालेज रेफर किया जा चुका है।
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प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ कभी राजनितिक चर्चा में इस लिए आये कि वे कुशीनगर जिले में पाव पसार रही इस जानलेवा बीमारी के खिलाफ जंग छेड़ कर इसकी रोकथाम के ठोस कदम उठाने की मांग किया था। इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने कुशीनगर जनपद में जगह-जगह रोड पर उतर कर राजनितिक लड़ाई लड़ी तो वहीं कई गाँवों का दौरा कर प्रशासनिक अमले में बेचैनी पैदा कर दी थी। लेकिन अब जब उनके पास उत्तर प्रदेश की कमान है तो उन्ही के अधिकारी और कर्मचारी उनके आखों में धूल झोकने के लिए सरकारी आकड़ो में फेर-बदल कर रहें है।
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इंसेफेलाइटिस पीड़ित मरीज को या तो उन्हें रेफर कर दिया जा रहा है या उनके आकड़ों को सरकारी रजिस्टर में दर्ज ही नहीं किया जा रहा है। उदहारण के लिए आकड़ों पर नजर डाला जा सकता है। जिला अस्पताल के सीएमएस बजरंगी पाण्डेय ने बताया कि पिछले वर्ष जून माह तक 373 मरीज अस्पताल के रिकार्ड में दर्ज किये गए थे जिसमें 21 पॉजिटिव पाए गए थे लेकिन 2018 के जून तक केवल 27 ही दिखाया जा रहा है और पॉजिटिव 0 है।
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वहीं लोगों कि माने तो इस पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए सरकार को अलग से इसपर सर्वे कराना चाहिए क्योकि अधिकतर लोग सरकारी अस्पताल न जाकर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहे है। जिसके कारण सरकारी आकडे झूठे साबित हो रहे है।
पिछले 5 सालों के आकड़ों पर एक नजर
वर्ष भर्ती हुए मरीज मौत
2014 826 145
2015 608 137
2016 1029 161
2017 883 126
2018 (अबतक) 80 9
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इन्सेफेलाइटिस के मामले में कुशीनगर जनपद काफी संवेदनशील माना जाता है। कुशीनगर जिले के 641 गाँव इस भयानक बीमारी से अधिक प्रभावित मानते हुए चिन्हित किये गए है। वहीं दूसरी तरफ इस बीमारी और जनपद से पूरी तरह परिचित प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के बाद कुशीनगर के प्रथम दौरे के दौरान 25 मई को कसया तहसील के मैनपुर गाँव का दौरा कर इस बीमारी के रोकथाम के लिए पूरे प्रदेश में टीकाकरण के अभियान की शुरुआत करने के लिए वृहद् स्तर पर कार्यक्रम किया था।
जिसके बाद पूरे प्रदेश के सभी जनपदों में बारी-बारी टीकाकरण अभियान चलाया गया। उन्होंने हर गाँव को स्वच्छ रखने , समय पर टीकाकरण करने , शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करने और जापानी बुखार से पीड़ित सभी मरीजों का ईलाज शुरू करने का निर्देश दिया था। लेकिन इसके बाद भी लापरवाह अधिकारी और कर्मचारी योगी के निर्देश को ठेंगा दिखा रहे है। इस बीमारी से पीड़ित रोगियों को अस्पताल में ठीक से ईलाज नहीं किया जा रहा है। जिले में सफाई और स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था पूरी तरह बदहाल हो गयी है।