Chauri Chaura: 100 साल बाद सामने आएगी चौरीचौरा कांड की हकीकत, सांसद रवि किशन निभा रहे मुख्य 'भूमिका'
Chauri Chaura: गलत तरीके से प्रस्तुत ऐतिहासिक चौरीचौरा कांड पर ‘1922 प्रतिकार चौरीचौरा’ फिल्म की शूटिंग शुरू हो चुकी है।
Chauri Chaura: यूपी की योगी सरकार (yogi Adityanath government) ने ऐतिहासिक चौरी चौरा कांड (chauri chaura kand) की हकीकत को सामने लाने की कई कोशिशें की हैं। शताब्दी वर्ष में चौरीचौरा में कार्यक्रम हुआ, जिसमें पीएम नरेन्द्र मोदी (pm modi) का वर्चुअल संबोधन हुआ। इस कांड को लेकर नाटक का मंचन हो रहा है तो दूरदर्शन पर गोरखपुर (Gorakhpur) के कलाकारों द्वारा बनाई गई शार्ट फिल्म (Short Film) का प्रदर्शन हो चुका है। अब चौरीचौरा कांड की हकीकत रुपहले पर्दे पर सामने आएगी। इसमें मुख्य भूमिका फिल्म स्टार और गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन शुक्ला निभा रहे हैं। फिल्म साल के अंत तक रुपहले पर्दे पर दिखेगी।
ऐतिहासिक चौरीचौरा कांड एक बार फिर जीवंत होने जा रहा है। इतिहास के पन्नों पर गलत तरीके से प्रस्तुत ऐतिहासिक चौरीचौरा कांड पर '1922 प्रतिकार चौरीचौरा' फिल्म की शूटिंग शुरू हो चुकी है। इस फिल्म में मुख्य किरदार के रूप में गोरखपुर के सांसद और फिल्म अभिनेता रवि किशन मुख्य भूमिका में नजर आएंगे। इन दिनों रवि किशन गोरखपुर के गम्भीरनाथ प्रेक्षागृह में शूटिंग में व्यस्त हैं। फिल्म में सांसद रवि किशन शुक्ल 'भगवान अहीर' की भूमिका निभा रहे हैं। योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में इन दिनों इंकलाब जिंदाबाद की गूंज सुनाई पड़ रही है। फिल्म में कोर्ट रूम में खून से सने भगवान अहीर जैसे ही दोनों हाथ बंधे हुए दाखिल होते हैं, क्रांतिकारियों का उत्साह अपने चरम पर पहुंच जाता है। इंकलाब जिंदाबाद हर तरफ गूंज उठता है। क्रांतिकारियों के मुकदमे की पैरवी कर रहे मदन मोहन मालवीय की भूमिका में रवि शंकर खरे उनसे सवाल करते नजर आते हैं। वहीं अंग्रेजों की ओर से वकील की भूमिका अदा कर रहे एम बनर्जी के किरदार से सवाल करते हैं।
फिल्म से टूरिज्म को भी मिलेगा बढ़ावा-रवि किशन
निर्देशक अभिक भानु ने इस सीन को फिल्म का एक अहम क्लाइमैक्स बताया। क्रिएटिव प्रोड्यूसर और मीडिया हेड गौरव शंकर खरे ने फिल्माए गए सीन को इस प्रदेश के लिए ऐतिहासिक बताया। कलाकारों और जनता ने रवि किशन के अभिनय की प्रशंसा की। रवि किशन ने कहा कि गोरखपुर में चार फिल्मों की शूटिंग चल रही है। रोजगार के अवसर लोगों को प्राप्त हो रहे हैं। टूरिज्म को भी बढ़ावा मिल रहा है। यहां के स्थानीय कलाकारों को भी मौका मिल रहा है। रवि किशन कहते हैं कि चौरीचौरा को कांड न कहकर प्रतिकार कहना सही है। जिसमें अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारियों के साथ आमजन का गुस्सा फूट पड़ा था। जिस प्रतिकार ने आजादी के आंदोलन को नई दिशा दी। फिल्म के माध्यम से इस हकीकत को सामने लाया जा रहा है।
घटना के बाद गांधी ने वापस ले लिया था असहयोग आंदोलन
4 फरवरी, 1922 को चौरीचौरा के भोपा बाजार में सत्याग्रही जुटे। थाने के सामने से गुजर रहे सत्याग्रहियों के जुलूस को तत्कालीन थानेदार गुप्तेश्वर सिंह ने अवैध मजमा घोषित कर रोक दिया। एक सिपाही ने वालंटियर की गांधी टोपी को पांव से रौंद दिया। इससे आक्रोशित सत्याग्रहियों के विरोध पर पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें 11 सत्याग्रही मौके पर ही शहीद हो गए, जबकि 50 से ज्यादा घायल हो गए। गोलियां खत्म होने पर पुलिसकर्मी थाने की तरफ भागे। फायरिंग से भड़की भीड़ ने उन्हें दौड़ा लिया। केरोसीन, मूंज और सरपत से थाने में आग लगा दी गई। जिसमें 23 पुलिस वालों की मौत हो गई। इस घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया था।