Gorakhpur News: अब प्राइवेट डॉक्टर तलाशेंगे दिव्यांग कुष्ठ रोगी, यूपी सरकार देगी 2500 पेंशन

Gorakhpur News: कुष्ठ रोगियों को प्रदेश सरकार (UP Government) जहां 2500 रुपये प्रति माह पेंशन दे रही है तो वहीं कालाजार के रोगियों की भी सरकार आर्थिक मदद कर रही है।

Published By :  Shreya
Update: 2021-09-25 05:54 GMT

IMA (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Gorakhpur News: कुष्ठ रोग और कालाजार बीमारी के उन्मूलन में स्वास्थ्य विभाग निजी क्षेत्र के चिकित्सकों का भी सहयोग लेगा। इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के तकनीकी सहयोग से स्वास्थ्य विभाग (Medical Health & Family Welfare Department UP) ने 75 से अधिक निजी चिकित्सकों (Private Doctor) को इस कार्य के लिए लगाया है। कुष्ठ रोगियों को प्रदेश सरकार (UP Government) जहां 2500 रुपये प्रति माह पेंशन दे रही है तो वहीं कालाजार के रोगियों की भी सरकार आर्थिक मदद कर रही है। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के गोरखपुर चैप्टर के साथ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय (Dr. Sudhakar Pandey) ने शुक्रवार की रात के उन्मूलन कार्यक्रम में निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी को लेकर चर्चा की। डब्ल्यूएचओ के जोनल कोआर्डिनेटर डॉ. सागर घोड़ेकर, जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. गणेश प्रसाद यादव, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एके चौधरी और जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले चिकित्सकों के साथ कालाजार और कुष्ठ रोग के उन्मूलन को लेकर चर्चा किया।

चिकित्सकों से अपील की गयी कि वह कालाजार और कुष्ठ रोग के लक्षणों वाले आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के मरीजों को सरकारी क्षेत्र में रेफर करें ताकि उन्हें निःशुल्क चिकित्सा के साथ-साथ सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके। डब्ल्यूएचओ एसएमओ डॉक्टर संदीप पाटिल ने एएफपी, एमआर सर्विलांस और वीपीडी रिपोर्टिंग के बारे में चिकित्सक समुदाय को संवेदीकृत किया। 

कालाजार के मरीजों को 4000 रुपये तक की मदद

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को जीवनपर्यंत 2500 रुपये की मासिक पेंशन देने के साथ निःशुल्क इलाज व पुनर्वास की सुविधा भी सरकार उपलब्ध करवा रही है। जिले में इस समय कुष्ठ के 172 सक्रिय रोगी हैं। निजी क्षेत्र में इलाज कराने पर कुष्ठ रोगी को 2500-3000 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं, जबकि सरकारी क्षेत्र में यह सुविधा निःशुल्क है।

इसी प्रकार कालाजार के मरीज को निजी क्षेत्र में इलाज करवाने के लिए डेढ़ से दो लाख तक खर्च करने पड़ जाते हैं, जबकि जिला अस्पताल में इसका निःशुल्क इलाज किया जाता है। सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने पर कालाजार के सामान्य मरीज को 500 रुपये और चमड़ी वाले कालाजार (पीकेडीएल) मरीज को 4000 रुपये उसके खाते में देने का प्रावधान है। कच्चे मकान वालों को पक्का मकान देने की भी सरकार की योजना है। 

कमजोर वर्ग तक योजना पहुंचाने में करेंगे मदद- डॉ. मंगलेश

डॉ. पांडेय ने कहा कि योजनाओं का लाभ आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों तक पहुंच सके, इसके लिए निजी चिकित्सकों का योगदान अहम है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. मंगलेश कुमार श्रीवास्तव व सचिव वीएन अग्रवाल ने स्वास्थ्य विभाग को आश्वस्त किया कि ऐसे मरीजों को सरकारी अस्पताल तक पहुंचाने और सरकारी सहायता दिलवाने में उन लोगों की तरफ से पूरा सहयोग किया जाएगा। इस अवसर पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉक्टर नीरज कुमार पांडेय, उप जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉक्टर अनिल कुमार सिंह, एपिडेमोलाजिस्ट डॉक्टर एसके द्विवेदी, कुष्ठ रोग विभाग से कंसल्टेंट डॉक्टर भोला गुप्ता और डॉक्टर आसिफ और आईएमए के कई वरिष्ठ पदाधिकारी प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।

दाग-धब्बा सुन्न रहे तो चिकित्सक को दिखाएं

शरीर में कोई ऐसा दाग-धब्बा जो सुन्न रहता है वह कुष्ठ रोग हो सकता है। यह रोग लैपरी नामक माइक्रो बैक्टेरिया से होता है जो बहुत धीमी गति से इंफेक्शन करता है। अगर समय रहते इसकी पहचान हो जाए तो इलाज हो सकता है। यह हेल्दी कान्टैक्ट से नहीं फैलता है। इसका इंफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे में तभी होता है जबकि वह 16-18 घंटा प्रतिदिन कई महीनों तक रोगी के निकट संपर्क में रहे।

भूख कम लगे और शरीर पर काला चकत्ता पड़े तो रहे सावधान

वेक्टर जनित रोग कालाजार की वाहक बालू मक्खी कालाजार रोग के परजीवी लीशमेनिया डोनोवानी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है। कालाजार एंडेमिक जनपदों में यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा से बुखार हो और वह मलेरिया या अन्य उपचार से ठीक न हो तो उसे कालाजार हो सकता है। कालाजार की वाहक बालू मक्खी के काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है। इस बीमारी में मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर पर काला चकत्ता पड़ जाता है।   

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