Mahant Narendra Giri Aatmhatya : महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध आत्महत्या पर उठे कई सवाल, खुल सकते हैं कई बड़े राज
Mahant Narendra Giri Aatmhatya : अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि की सन्दिग्ध आत्महत्या पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं।
Mahant Narendra Giri Aatmhatya : प्रयागराज अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि की आत्महत्या (Mahant Narendra Giri Aatmhatya) की खबर ने आज पूरे देश को झकझोर दिया है।
उनकी इस सन्दिग्ध आत्महत्या पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। सवाल खड़े होना लाजिमी भी हैं क्योंकि उनके जानने वाले लोग यह नहीं मान पा रहे हैं कि इतना जिंदादिल,सह्र्दयी इंसान आत्महत्या जैसे निर्णय ले सकता है?
प्रयागराज के संगम स्थित बड़े हनुमान जी मन्दिर के प्रबंधक महंत स्वामी नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri Ka Jeevan) ने अपना सारा जीवन अध्यात्म की सेवा करते हुए एक साधक के तौर व्यतीत किया था।
इनकी इस सन्दिग्ध मौत पर यह सवाल फिर खड़ा होता है कि एक साधक संत क्या अपने जीवन को इस तरह से समाप्त करने का निर्णय ले सकता है? जबकि उन्हें यह पता था कि इस तरह से अपने जीवन को नष्ट करना अध्यात्म की दृष्टि से सबसे बड़ा पाप होता है।
हत्या या आत्महत्या?
Mahant Narendra Giri Ki Maut Ya Aatmahatya
प्रयागराज के बड़े हनुमान जी मन्दिर के कर्ता-धर्ता व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरि की आत्महत्या(Mahant Narendra Giri Aatmhatya) की खबर अध्यात्म प्रेमियों के गले नहीं उतर रही है। अब सवाल है कि स्वामी जी की इस आत्महत्या को लोग हत्या के एंगिल से क्यों देख रहे हैं? इस प्रश्न पर लोगों तर्क हैं कि उनके साथ चल रहे सम्पत्ति विवाद उनकी हत्या के कारण बन सकते हैं।
स्वामी नरेन्द्र गिरि पर भी लगाया गया था हत्या का आरोप
विगत वर्ष 2019 में निरंजनी अखाड़े के पूर्व सचिव महंत आशीष गिरि की सन्दिग्ध मौत हो गयी थी। तब योग गुरु स्वामी आनंद गिरि ने अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरी पर यह आरोप लगाते हुए कहा था कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरि ने जमीन घोटाला करके एक ऐसा माहौल तैयार कर दिया है, जिससे महंत आशीष गिरि की मौत एक स्वभाविक मौत लगे।
जबकि महंत आशीष गिरि की भी लाश कमरे में ही मिली थी।तब आशीष गिरी की सन्दिग्ध मौत पर आनंद गिरि ने सूबे के सीएम योगी को पत्र लिखकर इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग तक कर डाली थी।
इन विवादों की तह तक अब पुलिस को जाना होगा
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरि की आत्महत्या या हत्या?(Mahant Narendra Giri Ki Maut Ya Aatmahatya) इस सवाल का जवाब तो अब प्रयागराज पुलिस को खोजना ही होगा।साथ ही स्थानीय पुलिस को प्रयागराज (Prayagraj) में काफी लंबे समय से चल रहे संम्पत्ति व गद्दीदारी के विवादों की दिशा पर भी अपनी जांच केंद्रित करनी होगी।
निरंजनी आखड़े के पूर्व सचिव महन्त आशीष गिरि की सन्दिग्ध मौत व 8 जुलाई को लखनऊ-सुल्तानपुर हाइवे (Lucknow-Sultanpur Highway) पर हुए सन्तो के साथ सड़क हादसे भी अब पुलिस की जांच के प्रमुख केंद्र बिंदु होने चाहिए।