क्या आप जानते हैं कैसे पड़ा जिले का नाम सिद्धार्थनगर, यहीं उपजता है भगवान बुद्ध का 'महा प्रसाद'

Siddharthnagar News : सिद्धार्थनगर जिले की स्थापना 29 दिसंबर, 1988 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने की थी।

Written By :  aman
Published By :  Shraddha
Update:2021-10-25 13:22 IST


जानते हैं ऐसे पड़ा जिले का नाम सिद्धार्थनगर (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


Siddharthnagar News : देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का एक जिला है, सिद्धार्थनगर (Siddharthnagar) । यह जिला भारत और नेपाल सीमा पर बसा है। इस जिले का अपना ऐतिहासिक महत्त्व है। जिले का इतिहास बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध (Gautam buddha) के जीवन से जुड़ा हुआ है। इसीलिए इस जिले का नाम गौतम बुद्ध के बाल्यावस्था के नाम राजकुमार 'सिद्धार्थ' के नाम पर हुआ है। यहां महात्मा बुद्ध के नाम से 'सिद्धार्थ विश्वविद्यालय'(Siddharth University) भी है। 


सिद्धार्थनगर जिले की स्थापना 29 दिसंबर, 1988 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी (Chief Minister Narayan Dutt Tiwari) ने की थी। उत्तर प्रदेश के कुल 75 जिलों में यह अन्य की तुलना में पिछड़ा माना जाता है। बावजूद, इसके यह देश के महत्वपूर्ण जिलों में एक है। इतिहास के नजरिए से देखें तो शाक्य वंश के राजा शुद्धोधन की राजधानी गनवरिया कपिलवस्तु में थी। वर्तमान में यह जिला मुख्यालय से महज 19 किलोमीटर दूर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान महात्मा बुद्ध ने अपने जीवन के शुरुआती  29 वर्ष यहीं गुजारे थे। 


जिले का सामरिक महत्व


सिद्धार्थनगर रेलवे स्टेशन (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


भारत और नेपाल सीमा के पास स्थित इस जिले का महत्व कई मायनों में बढ़ जाता है। पड़ोसी देश से सटे होने की वजह से सिद्धार्थनगर का सामरिक और व्यापारिक महत्व बढ़ जाता है। नेपाल से 68 किलोमीटर तक खुली सीमा होने के कारण यह जिला और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इन्हीं वजहों से वर्तमान में यहां पर एसएसबी (SSB) की बटालियन पूरी जिम्मेदारी से डटी रहती हैं।


यहीं उपजता है विश्व प्रसिद्ध 'काला नमक' चावल

सिद्धार्थनगर जिले का काला नमक चावल (kala namak chaval) दुनियाभर में मशहूर है। इस चावल की मांग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है। जानते हैं, इस चावल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह औषधीय गुणों से भरा हुआ है। मधुमेह यानी डायबिटीज के मरीजों के लिए यह गुणकारी माना जाता है। इसके अलावा यह भगवान बुद्ध का 'महा प्रसाद' भी माना जाता है। इस चावल का इस्तेमाल बौद्ध देशों में प्रसाद के रूप में किया जाता है। 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' के तहत सरकार की ओर से इसकी उपज बढ़ाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। 


 'काला नमक' चावल अब ऑनलाइन भी उपलब्ध


सिद्धार्थनगर जिले का मशहूर 'काला नमक' चावल (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


सिद्धार्थनगर जिले का मशहूर 'काला नमक' चावल एक बार फिर तब सुर्खियों में रहा जब इसकी बिक्री ऑनलाइन माध्यम से होने की बात कही गई। ऑनलाइन पोर्टल फ्लिपकार्ट पर इस चावल को उपलब्ध करा दिया गया है। हाल के वर्षों में इस चावल की विदेशों में भी मांग बहुत बढ़ गई है। इसकी खासियत यह है कि इसे एक घर में बनाया जाता है। लेकिन खुशबू पूरे मोहल्ले तक फैल जाती है।  

पौराणिक मान्यताएं 

इसके अलावा सिद्धार्थनगर जिले से जुड़ी कई पौराणिक मान्यताएं भी हैं। जिले में त्रेता युग से जुड़े कुछ मंदिर हैं। इनके बारे में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। जिले में पलटा देवी, भारत भारी शिव मंदिर, सिंघेश्वरी मंदिर, डाला देवी, कठेला देवी एवं योग माया आदिकाल के पुराने एवं सिद्ध मंदिर यहां स्थित हैं। बिस्कोहर में आदिकाल से 101 शिव मंदिरों का निर्माण कर विष हरण करने का कार्य किया जाता था, जिससे उस कस्बे का नाम बिस्कोहर पड़ा। वहीं, डुमरियागंज स्थित भारत भारी शिव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान राम के भाई भरत ने इस मंदिर को बनवाया था। यहां पर पांडवों द्वारा इस मंदिर की पूजा किए जाने की कथाएं भी प्रचलित हैं।

ये हुआ विकास


केंद्र सरकार की ओर से अब तक दो राष्ट्रीय राजमार्ग ककरहवा से बस्ती और बढ़नी से बस्ती तक बनवाया गया था, जिससे इस जिले में आवागमन सुलभ और आसान हुआ। वहीं, गोरखपुर से बढ़नी तुलसीपुर के रास्ते बलरामपुर तक जाने वाले नए राजमार्ग के बनने से सीमावर्ती क्षेत्र के रहने वालों को यहां आने-जाने में काफी सुविधा हुई है। केंद्र सरकार की ओर से सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से भी जिले में मार्गों के निर्माण के लिए शिलान्यास एवं लोकार्पण किया जा चुका है। वहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की बदौलत मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो सका है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार (25 अक्टूबर, 2021) ने इसी मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण किया है। 'माधव प्रसाद त्रिपाठी चिकित्सा महाविद्यालय' नाम है। 


सिद्धार्थ विश्वविद्यालय (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)



प्रधानमंत्री मोदी ने सिद्धार्थनगर स्थित जिस राजकीय मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण किया है, उसका नाम 'माधव प्रसाद त्रिपाठी चिकित्सा महाविद्यालय' तय हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी के मेडिकल कॉलेज के शुभारंभ से पूर्व ही राज्य सरकार के प्रमुख सचिव ने पत्र जारी कर नामकरण की जानकारी दी। इस कॉलेज का शिलान्यास 25 दिसंबर, 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। उसी समय उन्होंने माधव बाबू के नाम की घोषणा की थी। 


जानें कौन थे माधव प्रसाद त्रिपाठी

बता दें कि पीएम मोदी जिस मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण किया उसका नाम पंडित माधव प्रसाद त्रिपाठी के नाम पर रखा गया है। हम आपको बता दें कि पंडित माधव प्रसाद त्रिपाठी का जन्म बांसी नगर से सटे गांव तिवारीपुर में 12 सितंबर, 1917 को हुआ था। इनके पिता सुरेश्वर प्रसाद त्रिपाठी थे। माधव प्रसाद की उच्च शिक्षा काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से हुई थी। साल 1937 में वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए। जनसंघ की स्थापना के दौरान इन्हें उत्तर प्रदेश का प्रथम प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। साल 1977 में पंडित जी एक बार डुमरियागंज लोकसभा सीट से सांसद भी चुने गए। इससे पूर्व 1958 से 1962 तक वो बांसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे थे।


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