Raebareli News: सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को भी तक नहीं मिले डीबीटी के 12 सौ रुपये, ये है बड़ी वजह

Raebareli News: बेसिक शिक्षा विभाग के सरकारी स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक लगभग 217133 बच्चे पढ़ते हैं। जिसमें अभी तक 37684 बच्चों का डीबीटी यानि 1200 रुपया अभी तक प्राप्त नहीं हो सका है।

Report :  Narendra Singh
Update:2024-10-11 21:50 IST

बच्चों को भी तक नहीं मिले डीबीटी के 12 सौ रुपये  (फोटो: सोशल मीडिया )

Raebareli News: उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावक के खाते में सीधे 1200 रुपया का अनुदान दिया जाता है। उनके बच्चों के लिए दो जोड़ी ड्रेस, जूता, मोजा, बैग, स्वेटर, कॉपी, पेन, पेंसिल की खरीद की व्यवस्था हैं।

1 अप्रैल से शुरू हुए शैक्षिक सत्र में आधा साल बीत जाने के बाद भी बच्चों के माता-पिता के खाते में 1200 रुपया नहीं भेजा जा सका हैं। जिसके कारण बच्चे बिना ड्रेस, कॉपी, बैग, जूता, मोजा स्कूल आने के लिए मजबूर हैं । इसकी सबसे बड़ी वजह यह है जिले में सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 13000 छात्र छात्राओं के आधार कार्ड जो अभी तक नहीं बन सके। बिना आधार के डीबीटी प्रक्रिया में सत्यापन नहीं होता है और अकाउंट में पैसा नहीं आ सकता हैं।

बैंकों में और पोस्ट ऑफिस के सामने लम्बी लाइन  

आधार बनवाना आज इस समय में बहुत टेढ़ी खीर है। बैंकों में और पोस्ट ऑफिस के सामने सुबह 5 बजे से ही लाइन लग जाती है। बहुत मारामारी है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा विभाग के ब्लॉक स्तर कार्यालय में प्रत्येक बीआरसी में बच्चों के आधार बनने के लिए व्यवस्था की है। शिक्षक और कर्मचारियों को आधार बनाने की ट्रेनिंग दी गई और संसाधन भी दिए गए हैं। प्रिंटर, कंप्यूटर, लैपटॉप व अन्य सामग्री दिए गए हैं। लेकिन सरकारी स्कूल के बच्चे और उनके माता-पिता आधार बनवाने के लिए बीआरसी से खाली हाथ लौटते हैं।

आधार बनवाने के लिए सरकारी कंप्यूटर, प्रिंटर का इस्तेमाल कहां और कैसे हो रहा है इस सवाल पर जिले के जिम्मेदार अधिकारी ठीक उसी प्रकार मौन हैं जैसे कक्षा का छात्र 17 का पहाड़ा सुनाते समय मौन हो जाता हैं।

बेसिक शिक्षा विभाग के सरकारी स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक लगभग 217133 बच्चे पढ़ते हैं। जिसमें अभी तक 37684 बच्चों का डीबीटी यानि 1200 रुपया अभी तक प्राप्त नहीं हो सका है। बड़ा सवाल यह है कि 37000 में 13000 मामलों में तो बच्चों का आधार नहीं बना है। बाकी 24000 बच्चों के खातों में पैसा विभागीय लापरवाही के कारण नहीं जा सका हैं। सबसे बड़ा अपराध यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रत्येक ब्लॉक कार्यालय पर शिक्षक कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर आधार बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है और साथ ही साथ कंप्यूटर लैपटॉप और प्रिंटर सहित संपूर्ण सामग्री दी गई है । लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी शिवेंद्र प्रताप सिंह से पूछने पर की ब्लॉक स्तर पर कितने बच्चों का आधार बना है। इसका कोई भी आंकड़ा जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे सके।


बच्चे स्कूल से छुट्टी लेकर लाइन में लगते हैं 

आधार कार्ड बनवाने के लिए सरकारी स्कूल के बच्चे स्कूल से छुट्टी लेकर अपने माता-पिता के साथ सुबह से ही लाइन में लग जाते हैं। छात्र-छात्राओं से बात करने पर मालूम पड़ा कि आधार बनवाने में दो से तीन दिन लग जाते हैं। 200 से 300 रुपया आधार बनाने के नाम पर ले रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और कुंभकर्णी नींद के कारण ब्लॉक स्तर पर छात्र छात्राओं का आधार पंजीकरण न होने के कारण सीधे-साधे गरीब अभिभावकों पर कितना आर्थिक, मानसिक और शारीरिक कष्ट उठाना पड़ रहा है।

आधार बनवाने की लाइन में लगे रहने के कारण बच्चे दो से तीन दिन स्कूल नहीं आ पाते हैं। अब देखना यह है कि आधा वर्ष बीत जाने के बाद 37000 बच्चों को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मिलने वाले 1200 रुपया कब मिल पाते हैं और विभागीय अधिकारी कब इस ओर ध्यान देते हैं।

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