Bharat Jodo Yatra in UP: सपा-रालोद के गढ़ में ताकत दिखाएंगे राहुल, यात्रा का रूट मचा सकता है गठबंधन में खलबली

Bharat Jodo Yatra in UP: भारत जोड़ो यात्रा गाजियाबाद, बागपत और शामली जिलों को कवर करेगी। इस यात्रा के जरिए कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपना शक्ति प्रदर्शन करने की कोशिश में जुटी हुई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2023-01-03 07:40 GMT

Rahul Gandhi of Bharat Jodo Yatra (Social Media)

Bharat Jodo Yatra in UP: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अगुवाई में निकली भारत जोड़ो यात्रा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तीन जिलों को कवर करेगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह यात्रा 130 किलोमीटर का सफर तय करेगी। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी तीन लोकसभा क्षेत्रों और 11 विधानसभा सीटों को साधने की कोशिश करेंगे। भारत जोड़ो यात्रा गाजियाबाद, बागपत और शामली जिलों को कवर करेगी। हालांकि यह यात्रा सिर्फ तीन जिलों से गुजरने वाली है मगर इस यात्रा में शामिल होने के लिए प्रदेश भर के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को बुलाया गया है। इस यात्रा के जरिए कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपना शक्ति प्रदर्शन करने की कोशिश में जुटी हुई है।

यह यात्रा प्रदेश के जिन इलाकों से होकर गुजरने वाली है,उन्हें सपा-रालोद गठबंधन का गढ़ माना जाता रहा है। भाजपा और बसपा भी इस इलाके में अपनी ताकत दिखाती रही हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटलैंड माने जाने वाले इस इलाके पर विशेष रूप से रालोद की मजबूत पकड़ मानी जाती है। इस इलाके में कांग्रेस की पकड़ पूरी तरह कमजोर पड़ चुकी है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी इस इलाके में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा था। माना जा रहा है कि भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राहुल गांधी जाटलैंड में कांग्रेस की पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे।

सपा-रालोद के गढ़ में ताकत दिखाएंगे राहुल

उत्तर प्रदेश में भाजपा के अलावा सपा और बसपा के सामने कांग्रेस लगातार कमजोर पड़ती जा रही है। ऐसे में कांग्रेस के नजरिए से भारत जोड़ो यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के जरिए विपक्षी एकजुटता का बड़ा संदेश भी देना चाहती थी और इसीलिए पार्टी की ओर से विपक्षी दलों को यात्रा में शामिल होने का न्योता दिया गया था। हालांकि विपक्षी दलों के नेताओं ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों में व्यस्तता के बहाने यात्रा में शामिल होने से इनकार कर दिया है। सपा के मुखिया अखिलेश यादव और रालोद के मुखिया जयंत चौधरी दोनों नेता इस यात्रा में शामिल नहीं होंगे। अखिलेश ने यात्रा को शुभकामनाएं तो जरूर दी हैं मगर यात्रा में शामिल होने से किनारा कर लिया है। बसपा मुखिया मायावती ने भी यात्रा में शामिल होने के आमंत्रण को लेकर राहुल गांधी को धन्यवाद दिया है मगर वे भी यात्रा में शामिल नहीं होंगी।

सियासी जानकारों का मानना है कि दरअसल उत्तर प्रदेश में यात्रा का जो रूट तय किया गया है उसे सपा-रालोद गठबंधन का गढ़ माना जाता है। बसपा भी यहां महत्वपूर्ण सियासी ताकत मानी जाती है। भारत जोड़ो यात्रा को दूसरे राज्यों में काफी समर्थन हासिल हुआ है और इसी कारण सपा और रालोद के नेता इस यात्रा को लेकर सतर्क दिख रहे हैं। गाजियाबाद, बागपत और शामली जिलों में सपा और रालोद दोनों दल पहले भी ताकत दिखाते रहे हैं। इसी कारण सपा-रालोद गठबंधन के नेता भारत जोड़ो यात्रा के सियासी असर को नापतोल रहे हैं।

कमजोर पड़ चुकी है कांग्रेस की सियासी जमीन

उत्तर प्रदेश में यात्रा की शुरुआत लोनी विधानसभा क्षेत्र से होगी जो गाजियाबाद लोकसभा सीट का हिस्सा है। राहुल गांधी आज इस इलाके में सभा को भी संबोधित करने वाले हैं और अगले दो दिनों के दौरान यात्रा बागपत और शामली को कवर करेगी। गाजियाबाद लोकसभा सीट पर कांग्रेस की पकड़ कमजोर पड़ चुकी है और पार्टी को रालोद से गठबंधन के बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में यहां आखिरी बार जीत हासिल हुई थी। तब पार्टी प्रत्याशी सुरेंद्र गोयल चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। 1984 के बाद पार्टी को 2004 में जीत हासिल हुई थी और उसके बाद एक बार फिर अभी तक पार्टी इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी है।

बागपत में कांग्रेस को आखिरी बार 1996 में उस समय जीत मिली थी जब कांग्रेस के टिकट पर चौधरी अजित सिंह चुनाव मैदान में उतरे थे। उसके बाद अजित सिंह ने आरएलडी के टिकट पर चुनाव लड़ना शुरू कर दिया और कांग्रेश हमेशा यहां चुनाव हारती रही।

इसी तरह शामली जिले की कैराना लोकसभा सीट पर भी 1984 के बाद कांग्रेस को लगातार हार मिलती रही है। 1984 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर अख्तर हसन ने जीत हासिल की थी। इस तरह कांग्रेस जाटलैंड माने जाने वाले इस इलाके में लंबे समय से अपनी सियासी जमीन खो चुकी है। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राहुल गांधी कांग्रेस की कमजोर पड़ चुकी सियासी जमीन को मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे।

टिकैत के समर्थन से हौसले बुलंद

कांग्रेस को अपनी इस भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भले ही विपक्षी दलों का साथ न मिला हो मगर किसान नेता राकेश टिकैत का समर्थन मिलने से पार्टी के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं। कांग्रेस की ओर से सामाजिक संगठनों और किसान संगठनों को भी यात्रा में शामिल होने का न्योता दिया गया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रदीप नरवाल का कहना है कि इस यात्रा को कई संगठनों का समर्थन हासिल है। उन्होंने कहा कि किसान नेता राकेश टिकैत भी यात्रा का स्वागत करेंगे।

इसके साथ ही यात्रा के जरिए जातीय समीकरण साधने की कोशिश भी की जाएगी। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पिछड़ी जातियों के विभिन्न संगठनों के नेता भी राहुल की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होंगे। कांग्रेस ने पिछड़ी जातियों पर भी निगाहें लगा रखी हैं और माना जा रहा है कि इसके जरिए कांग्रेस को जातीय समीकरण साधने में मदद मिल सकती है।

प्रियंका गांधी भी देंगी राहुल का साथ

राहुल गांधी की इस यात्रा के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी उनके साथ नजर आएंगी। उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने कांग्रेस की सियासी जमीन को मजबूत बनाने की काफी कोशिश की थी। हालांकि उन्हें इस काम में कामयाबी नहीं मिल सकी क्योंकि कांग्रेस सिर्फ दो विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी।

पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की सियासत में ज्यादा सक्रिय नहीं रही हैं। माना जा रहा है कि अब 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी की सक्रियता भी बढ़ेगी। कांग्रेस को आने वाले दिनों में इसका सियासी फायदा मिल सकता है।

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