विवाहिता का उजड़ा सुहाग: बेसहारा हुए मासूम, ऐसी है कुछ दर्द भरी ये स्टोरी

देश-प्रदेश में जब लोग नए साल के जश्न में डूबे थे ठीक उसी समय सुशीला (30) ने अपना पति खो दिया था। दो मासूम से बच्चे आदर्श (6) और अनुभव (4) भी साल के पहले दिन बेसहारा होने पर आंसू बहा रहे थे।

Update: 2020-01-01 11:05 GMT

रायबरेली: देश-प्रदेश में जब लोग नए साल के जश्न में डूबे थे ठीक उसी समय सुशीला (30) ने अपना पति खो दिया था। दो मासूम से बच्चे आदर्श (6) और अनुभव (4) भी साल के पहले दिन बेसहारा होने पर आंसू बहा रहे थे। ये दर्द भरी कहानी है जिले के भद्खोर थाना अंतर्गत पूरे ममौली गांव की, जहां साल के पहले ही दिन मातम पसरा है।

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5 नवम्बर को पत्नी से की थी आख़री बात अगले दिन रूम पार्टनर ने दी मौत की खबर

उम्र के बढ़ते पड़ाव में जवान बेटे को खो देने का दर्द लिए हुए 58 साला मेवालाल बताते हैं कि उनका पुत्र सुनील कुमार (32) रोजी-रोटी के सिलसिले में सऊदी अरब के दम्माम शहर गया था। 19 अक्टूबर 2018 को उसने मुंबई से सऊदी अरब के लिए फ्लाइट लिया था। सुनील दम्माम में स्थापित ओशो कंपनी में सफाई के काम के वीजे पर गया था। साल भर तक सब कुछ सही चलता रहा था। इस दौरान बीते वर्ष 5 नवम्बर 2019 को उसने अपनी पत्नी सुशीला से रात क़रीब 10 बजे बात किया। बताया मेरे सीने में दर्द हो रहा है। रात गुजर कर सुबह होते ही सुनील के रूम पार्टनर अब्दुल सलाम ने पत्नी को फोन करके बताया कि आपके पति की मौत हो गई है।

शव लाने में सहारा बना सुल्तानपुर का मुस्लिम समाज सेवी

ये खबर सुनील की पत्नी सुशीला ने परिवार में बताया तो कोहराम मच गया। मां, भाई बहन सभी रोने लगे। इसके बाद

सुनील के भाई अनिल कुमार डीएम रायबरेली से मिले, उन्हें घटना से अवगत कराया। अनिल के अनुसार उस समय डीएम के पास एडीएम प्रशासन रायबरेली बैठे थे, डीएम ने उन्हें मामले को देखने के लिए कहा। एडीएम रायबरेली ने अखबारों के माध्यम से इस बाबत सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल हक निवासी कादीपुर सुलतानपुर के बारे में पढ़ रखा था। उन्होंने अब्दुल हक का नंबर अरेंज कर अनिल की बात करवाई।

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88 वर्षीय दादा से लेकर मां-भाई-बहन और गांव वालों की शव देख छलक उठी आंखें

अब्दुल हक़ ने बताया कि पासपोर्ट की कॉपी और अन्य कागजात मैने व्हाट्सएप के माध्यम से मंगवा कर मैंने एंबेसी में भेजा। एंबेसी और विदेश मंत्री से टेलीफोनिक वार्ता में अवगत कराया गया के जल्द से जल्द सुनील का शव भारत आ जाएगा। वही एंबेसी ने अब्दुल हक को मेल पर अवगत कराया कि आपके शपथ पत्र को संज्ञान में ले लिया गया है। इस क्रम में एक जनवरी 2020 को बाई प्लेन शव लखनऊ पहुंचा। वहां से जब शव गांव आया तो सुनील के 88 वर्षीय दादा सूरज दीन, मां रामावती 56 समेत दो भाई दो बहन और गांव वालों की आंखें छलक उठी।

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