बलिदान से जागा हिन्दूः ऐसी थीं राजमाता सिंधिया, नहीं भूलेंगे कारसेवकों की आहुति
राजमाता ने कहा हम अपनी राष्ट्रीय मर्यादा को भूल बैठे हैं अपने राम को भूल बैठे हैं रामराज्य सिर्फ रामलीला और कहानियों का विषय ना बने इसके लिए हमें जन-जन को अपनी संस्कृति का बोध कराना होगा राम हमारी संस्कृति की महान पहचान हैं।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया रामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन की एक सशक्त कड़ी रहीं। और अंतिम सांस तक रामजन्मभूमि मुक्ति के लिए लड़ती रहीं। 5 अगस्त को होने वाले भूमिपूजन पर यदि कारसेवकों की शहादत का जिक्र अनिवार्य है तो राजमाता का जिक्र होना भी आवश्यक है।
करीब 19 साल पहले राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने कहा था कि रामभाव के जागरण से ही देश जगेगा। कारसेवकों के बलिदान की पहली बरसी पर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राजमाता ने यह बात कही थी।
धन्य है माता पिता
विजयाराजे सिंधिया ने कहा था कि मैं समझती हूं वह माता-पिता धन्य हैं जिन्होंने ऐसे वीरों को जन्म दिया, जो प्राणों पर खेलकर देश और धर्म की बलिवेदी पर न्योछावर हो गए। मै उन माता-पिता भरोसा देना चाहती हूं कि वह अकेले नहीं हैं उनका एक बेटा हुतात्मा हुआ, तो लाखों बेटे अभी भी उनके साथ हैं।
राजमाता सिंधिया ने कहा, इस अवसर पर मैं यह कहना चाहूंगी कि 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी अयोध्या नरसंहार के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं होने से मन बेचैन है, छटपटाहट बढ़ रही है, हमारी उत्कृष्ट इच्छा है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही हो ताकि उन्हें अपने किए की सजा मिले।
उन्होंने कहा इस बारे में उत्तर प्रदेश सरकार ने मुलायम सरकार द्वारा गठित जांच आयोग भंग कर एक नए जांच आयोग का गठन भी किया है यह ठीक कदम है जो सरकार अयोध्या हत्याकांड के दोषी हो उसके द्वारा नियुक्त जांच आयोग की निष्पक्षता पर कैसे यकीन हो सकता है।
बलिदान मंदिर के लिए नहीं हिन्दू समाज के लिए
राजमाता सिंधिया ने कहा कारसेवकों ने मंदिर निर्माण के लिए ही अपना बलिदान नहीं दिया वह बलिदान सिर्फ एक मंदिर के लिए नहीं बल्कि हिंदू समाज के सोए हुए स्वाभिमान को जगाने के लिए हुआ है। सैकड़ों वर्षो की गुलामी के कारण हमने अपना स्वाभिमान खो दिया था। उसी स्वाभिमान को हम राष्ट्र और समाज में पुनः प्रतिष्ठापित करना चाहते हैं।
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सिंधिया ने कहा कि कुछ लोगों का यह मंतव्य है कि राम आंदोलन के कारण भारतीय जनता पार्टी की चार राज्यों में सरकारी आ गई तथा लोकसभा में भी उसकी उपस्थिति बढ़ी, लेकिन उन लोगों को यह भी समझ लेना चाहिए कि इस तरह के आंदोलन किसी वर्ग या दल विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं किए जाते।
भावनात्मक जागृति आवश्यक
विजयाराजे सिंधिया ने कहा हमारा लक्ष्य इन सबसे परे है। हम इतने वर्षो की गुलामी के बाद हर क्षेत्र में पिछड़ गए। आजादी के 44 साल बाद भी इस देश की जो हालत है वह किसी से छिपी नहीं है। हमारी नैतिकता खो गई। स्वाभिमान कुचला गया। यदि इन सब की पृष्ठभूमि में हम देखें क्यों हम इतने हेय और तुच्छ समझे जाते हैं, क्यों हम हीन भावना से ग्रस्त हैं इसका एक ही उत्तर सामने आएगा कि हम आत्मविस्मृत हो गए हैं।
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उन्होंने कहा हम अपना प्राचीन गौरव भुला बैठे फलतः हम हीन भावना से ग्रस्त हो गए हैं। इसे दूर करने के लिए एक भावनात्मक जागृति आवश्यक है। यह भावबोध जागृत करना है कि हम हीन या पिछड़े नहीं बल्कि विश्व की सर्वोत्कृष्ट संस्कृति के वाहक हैं। शूरवीर हैं और श्रेष्ठ देश के उत्थान के लिए यह जरूरी है।
राम का भाव जागेगा तभी भारत जागेगा
बातचीत के आधार पर पांजजन्य में प्रकाशित अंशों में राजमाता ने कहा हम अपनी राष्ट्रीय मर्यादा को भूल बैठे हैं अपने राम को भूल बैठे हैं रामराज्य सिर्फ रामलीला और कहानियों का विषय ना बने इसके लिए हमें जन-जन को अपनी संस्कृति का बोध कराना होगा राम हमारी संस्कृति की महान पहचान हैं। उनके गौरव स्थल से देश का गौरव जुड़ा है। उन स्थलों को उनका गौरव दिलाने का अर्थ होगा भारत का आत्मबोध जागृत करना। यदि राम का भाव जगेगा तो भारत जगेगा। तभी सही अर्थों में राष्ट्र की प्रगति होगी।
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राजमाता ने कहा राम का आदर्श व उनका चरित्र भारतवर्ष की गौरवमय परंपरा की कड़ी है। उसी प्रकार श्रीकृष्ण भी हमारी सनातन संस्कृति के उज्ज्वल प्रतीक हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर तो सैकड़ों वर्षों से बल्कि मै तो यह मानती हूं पौराणिक काल से हमारे ज्ञान का केंद्र रहा है। वहां अध्ययन के लिए सारे भारतवर्ष से ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं। काशी विश्वनाथ हमारी संस्कृति का केंद्र है, हमारी गौरवशाली परंपरा, हमारी आस्था का केंद्र बिंदु है।