मेरठ: HC की बेंच स्थापित किए जाने मांग, MP विजयपाल सिंह तोमर ने उठाई आवाज
सांसद विजयपाल सिंह तोमर ने कहा कि जनहित में मैं आपके माध्यम से विधि मंत्री जसे आग्रह करूँगा कि हाई कोर्ट की बेंच पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ में बनायीं जानी चाहिए |
मेरठ। राज्य सभा सांसद विजयपाल सिंह तोमर ने आज सदन में “शून्य काल” के दौरान पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ में हाई कोर्ट की बेंच स्थापित किए जाने मांग की है। उन्होंने कहा कि मुझे सदन मे आए हुये तीन वर्ष हुये है जिसमे पहले ही वर्ष मे मेरे द्वारा पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ में हाई कोर्ट की बेंच स्थापित किए जाने की माँग इस सदन मे की गई थी।
हाई कोर्ट की सर्किट बेंच की स्थापना पर चर्चा
इस संबंध मे पश्चिम उत्तर प्रदेश से एक प्रतिनिधि मण्डल कानून मंत्री भारत सरकार से भी मिला था। मंत्री ने इस पर जल्द से जल्द कार्यवाही करते हुये हाई कोर्ट की सर्किट बेंच की स्थापना करने पर विचार करने का कहा था। परंतु आज तक हाई कोर्ट की बेंच की स्थापना नहीं हो पाई है।
क्यों जरूरी है मेरठ में HC बेंच की स्थापना करना
सांसद ने सदन को अवगत कराया कि कोरोना काल के समय अधिक दूरी एवं यातायात के साधन न होने से बहुत अधिक लोग न्याय से वंचित रह गए । सांसद विजयपाल सिंह तोमर ने मेरठ में हाई कोर्ट की बेंच स्थापित किया जाना क्यों जरुरी है उस पर भी बिन्दुवार प्रकाश डाला है, जिसके अनुसार...
महत्वपूर्ण बिंदु
- उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य हैं| वहा की आबादी लगभग 23 करोड़ हैं तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से लगभग 2.43 लाख कि० मी० है |
- पश्चिम उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से हाई कोर्ट की दुरी 750 किलोमीटर हैं | मेरठ जो पश्चिम क्षेत्र के केंद्र में हैं वहां से हाई कोर्ट की दुरी 620 किलोमीटर हैं। मान्यवर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्यप्रदेश के हाई कोर्ट पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिलो से कम दूरी पर हैं | पश्चिम उत्तर प्रदेश के 22 जिले आन्दोलन में शामिल हैं।
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- यूपी में अप्रूवड न्यायधीशो की संख्या के बराबर नियुक्ति कभी नहीं रही हैं। जहां तक केस की pendency का सवाल हैं । अकेले उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट में 9.31 लाखसे अधिक केस पेंडिंग हैं जिनमें से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जनपदों के करीबआधे से अधिक केस पेंडिंग हैं |
- देश के अन्य राज्यों जैसे कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, आसाम, में एक से अधिक बेंच हैं जबकि उनकी आबादी उत्तर प्रदेश से बहुत कम हैं तो उत्तर प्रदेश के साथ ऐसा अन्याय क्यों ?औरंगाबाद-महाराष्ट्र में जो बेंच हैं उसमें 4 जिले हैं | कर्णाटक की बैंगलोर, हुबली, गुलमर्ग, महाराष्ट्र की मुंबई, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद, मध्य प्रदेश की जबलपुर, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, आसाम में भी गुवाहाटी की 2 सर्किट बेंच हैं |
- पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट की बेंच की मांग करीब 50 वर्षो से अधिक समय से चलती रही हैं |14 दिसम्बर को भी इसके लिए दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन हुआ।
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- दो-दो बार प्रदेश सरकारों ने प्रस्ताव कर दिया हैं | जसवंत सिंह आयोग की नियुक्ति हुयी थी उसकी रिपोर्ट में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए हाई कोर्ट बेंच की संस्तुति की गयी थी |
- जहां तक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश की संस्तुति का प्रश्न है State Reorganisation Act 1956 बना उस समयमें 3 स्टेट को टच नहीं किया गया हैं जिनमें उत्तर प्रदेश व बिहार भी थे | ऐसे में संसद को पूर्ण अधिकार हैं। नई बेंच बनाने का इसी क्रम में संसद ने ही 1976 में कानून बनाकर बिहार हाई कोर्ट की बेंच रांची में बनायीं थी ऐसे में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश की राय लेना जरुरी नहीं हैं ।
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- “न्याय वादकारी के द्वार” की अवधारणा को ध्यान में रख कर ही जिलों से तहसील में मुंसफ कोर्ट स्थानांतरित की गयी जिससे सस्ता, सुलभ न्याय मिल सके | पश्चिम उत्तर प्रदेश की जनता को न्याय के लिए 750 कि० मी० से अधिक दूरी पर भटकना पड़ रहा हैं और न्याय की आस लिए पीढ़ियां गुजर जाती हैं | करोना काल के समय अधिक दूरी एवं यातायात के साधन न होने से बहुत अधिक लोग न्याय से वंचित रह गए ।
सांसद विधि मंत्री से किया आग्रह
आखिर में सांसद विजयपाल सिंह तोमर ने कहा कि जनहित में मैं आपके माध्यम से विधि मंत्री जसे आग्रह करूँगा कि हाई कोर्ट की बेंच पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ में बनायीं जानी चाहिए |
रिपोर्ट- सुशील कुमार
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