Interview : एक सीजन में किसान कैसे चुकाए 2.5 लाख बिजली का बिल

Update:2018-10-26 16:10 IST
Interview : एक सीजन में किसान कैसे चुकाए 2.5 लाख बिजली का बिल

लखनऊ। देश के कुल चीनी उत्पादन का 38 फीसदी अकेले यूपी में हुआ है। इस साल 120 लाख टन चीनी का रिकार्ड उत्पादन हुआ है। मिलों और गोदामों में चीनी भरी पड़ी है। गन्ने का उत्पादन भी बढ़ता जा रहा है पर चीनी मिलों की संख्या नहीं बढ़ रही है। दो दशक पहले प्रदेश में खांडसारी उद्योग की एक हजार से ज्यादा इकाइयां थीं। पर नीतिगत दिक्कतों की वजह से वो संकट में आ गईं। नतीजतन गन्ना किसानों अपनी उपज के लिए चीनी मिलों पर ही निर्भरता बनी हुई है। किसानों का हजारों करोड़ का गन्ने का भुगतान भी बकाया है। मिलों पर किसानों की इसी निर्भरता को कम करने के लिए सरकार पेराई सत्र 2018—19 के लिए नई खांडसारी नीति लेकर आयी है। इस नीति के नफे नुकसान पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत से राजकुमार उपाध्याय की बातचीत हुई। पेश हैं उसके प्रमुख अंश:

नई खांडसारी नीति पर आपकी क्या राय है?

पहले जो क्रेशर चलता था उसका 58 हजार रुपए बिजली का बिल आता था। इस सरकार में बिजली के रेट बढ गए हैं। सरकार की कोई नीति ही नहीं है। अब 2.5 लाख रुपए तक बिजली का बिल आ रहा है। ट्यूबवेल पहले फ्री चलता था। पहले अधिकारियों ने कहा कि 5 हजार की रसीद कटवा लो। पिछले साल 80 हजार रुपए की रसीद कर दी। अब एक सीजन में 1.5 लाख से लेकर 2.5 लाख तक की रसीद काटने की बात हो रही है।

यह भी पढ़ें :Interview : हम विकास के भरोसे लड़ेंगे चुनाव : महेंद्र नाथ पाण्डेय

खांडसारी उद्योगों को इससे फायदा होगा?

क्या खांडसारी उद्योग प्रदेश में कहीं चल रहे हैं? सरकार क्रेशर मालिकों को बिजली की मार दे रही है। जिसने क्रेशर लगा दिया उसका एक साल में 2.5 गुना तक बिजली का रेट बढ़ा है। एक सीजन में इतना बिल किसान कहां से देगा। इस फसल का सीजन अक्टूबर से मार्च तक होता है।

यह भी पढ़ें :मोदी की चुनौतियां और राम मिसाइल

नीति पर कुछ बताइए?

नीति कागजों पर बनी है। चीनी मिल चल नहीं रही हैं। आंदोलन होगा तभी किसान बचेगा। अब किसानों के लिए बिजली का बिल 33 हजार रुपए महीने का रेट हो गया है। एक छोटे क्रेशर में 30 से 40 लोगों को रोजगार मिल जाता है। पिछली बार बिजली का यही रेट 58 हजार रुपए था। आखिर ऐसा क्या हुआ कि बिजली का दरें बढ़ गईं? क्या चीनी महंगी हो गई? अभी गन्ना किसानों का 12 हजार करोड़ रुपए बकाया है।

एक माह में 50 लाइसेंस जारी

Suresh rana

सुरेश राणा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गन्ना विकास का कहना है कि 1996 से प्रदेश में 1082 खांडसारी इकाइयां थी। पिछले 15 साल में राज्य में खांडसारी उद्योग पूरी तरह समाप्त हो गया। उसका कारण सरकार का असहयोगात्मक रवैया था। शुगर मिल से खांडसारी उद्योग लगाने की दूरी 15 किमी थी जो गैर व्यावहारिक थी और योजनाबद्ध तरीके से इस उद्योग को समाप्त किया गया। योगी सरकार ने मिल से खांडसारी उद्योग की दूरी 15 किमी से घटाकर 7.5 किमी कर दी है। 50 घंटे के अंदर ला

इसेंस की सुविधा और अन्य प्रकार की सुविधाएं दी है। जिसका परिणाम है कि प्रदेश में एक महीने के अंदर 55 नई खांडसारी इकाइयों को लाइसेंस निर्गत हुआ है जो छह नई शुगर मिलों के बराबर है। बिजली के रेट बढऩे का जवाब सिर्फ एक है कि एक माह के अंदर 50 लाइसेंस निर्गत हुए हैं जो आजादी के बाद से सबसे ज्यादा हैं। खांडसारी उद्योग में उत्साह है।

Tags:    

Similar News