महिला दिवस पर न्याय: बेटी के बलात्कारी को फांसी, जाने अब तक कितने को हुई सजा

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बलात्कारी अभियुक्त बाल गोविन्द उर्फ गोविन्दा को फांसी की सजा सुना दिया गया है। शासकीय अधिवक्ता के रूप में मुकदमे की पैरवी राजेश उपाध्याय एवं वीरेन्द्र प्रताप मौर्य ने किया।

Update:2021-03-08 17:46 IST
महिला दिवस पर न्याय: बेटी के बलात्कारी को फांसी, जाने अब तक कितने को हुई सजा

जौनपुर। जनपद में दीवानी न्यायालय में आज अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन बेटी के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या करने वाले अभियुक्त को अपर सत्र न्यायाधीश पाक्सो प्रथम के न्यायाधीश रवि कुमार यादव द्वारा फांसी की सजा के साथ 10 हजार रुपये के अर्थ दन्ड की सजा सुनाया है। इस तरह जिले की दीवानी न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा यह नौवीं फांसी की सजा रही है। इसके पहले 08 अभियुक्तों को विभिन्न अपराधों में फांसी की सजा दी जा चुकी है।

11 वर्षीय एक बालिका के साथ हुआ अपहरण

यहां बता दे कि विगत वर्ष 06 अगस्त 2020 को अभियुक्त जनपद चन्दौली निवासी बाल गोविन्द उर्फ गोविन्दा ने थाना मड़ियाहूं क्षेत्र स्थित ग्राम कुम्भ से 11 वर्षीय एक बालिका का अपहरण किया। बच्ची के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दिया।क्रूरता की हदों को पार करते हुए हत्या के पश्चात मृतका के चेहरे पर तेजाब डाल कर जला दिया ताकि शिनाख्त न हो सके। लाश 08 अगस्त 2020 को गांव के खेत में बरामद हुई। इसके बाद मृतका के पिता कोलई उर्फ बांके लाल की तहरीर पर मु.अ.सं. 186/ 20 से धारा 363, 302, 201, 376 एबी भादवि एवं 5/6 पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

पुलिस ने अभियुक्त को किया गिरफ्तार

विवेचना के पश्चात पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार करते हुए अभियोग पत्र न्यायालय में भेजा था। 08 माह तक लगातार मुकदमे की सुनवाई करने के पश्चात आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बलात्कारी अभियुक्त बाल गोविन्द उर्फ गोविन्दा को फांसी की सजा सुना दिया गया है। शासकीय अधिवक्ता के रूप में मुकदमे की पैरवी राजेश उपाध्याय एवं वीरेन्द्र प्रताप मौर्य ने किया।

8 अभियुक्तों को विभिन्न अपराधों में फांसी की सजा सुनाई गई

यहां बता दे कि इसके पहले जिला एवं सत्र न्यायालय से 08 अभियुक्तों को विभिन्न अपराधों में फांसी की सजा दिया गया है। पहली फांसी की सजा सन् 1976 में पिता और सगी बहन के हत्यारे शहर के निवासी स्वतंत्र कुमार बैंकर को दिया गया था। इसके पश्चात दूसरी फांसी की सजा थाना मड़ियाहूं क्षेत्र के ग्राम रामपुर नद्दी निवासी लालचन्द मिश्रा को सन् 1977 में हुईं थी एक कटहल के लिए चाची और भतीजे की हत्या किया था। तीसरी फांसी थाना लाईन बाजार स्थित ग्राम पचोखर में तीन बच्चों की हत्या के जुर्म में जीत बहादुर एवं मुख्तार की सन् 1980 में हुईं थीं जो बाद में आजीवन कारावास में बदल गयी थी। चौथी फांसी की सजा सन् 1984 में थाना सुजानगंज क्षेत्र के निवासी हत्या आरोपी गोपाल को दिया गया था।

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जौनपुर दीवानी न्यायालय

पांचवी फांसी की सजा 30अक्तूबर 2009 को थाना रामपुर क्षेत्र स्थित जमालापुर बाजार में तिहरे हत्या काण्ड के अभियुक्त आलम सिंह को दिया गया था। छठवीं फांसी की सजा श्रमजीवी बम काण्ड के आरोपी आतंकवादी आलम गीर उर्फ रोनी को 30 जुलाई 2016 को सजा सुनाया गया था। सातवीं फांसी की सजा 31अगस्त 2016 को श्रमजीवी बम काण्ड के दूसरे आतंकवादी अभियुक्त ओबैदुर रहमान को न्यायधीश ने फांसी की सजा दिया था। आठवीं फांसी की सजा 18 मई 2018 को थाना बक्शा क्षेत्र के ग्राम सरौली निवासी मनोज कुमार को अपने पत्नी को जिन्दा जला कर मार डालने के जुर्म में इसी एक्ट की अदालत ने दिया था। इस तरह जौनपुर दीवानी न्यायालय के इतिहास में अब तक कुल नौ हत्या के अभियुक्तों को विभिन्न अपराधों में फांसी की सजा दिया गया है।

रिपोर्ट : कपिल देव मौर्य

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