नोएडा: कच्चे माल का आस, तलाशती विकास का राह
कोरोना काल में उद्यमी कच्चे माल की कमी से जूझ रहे हैं। इसकी वजह से बहुत सी इकाइयों में उत्पादन की रफ्तार धीमी हो गई है।
नोएडा: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने सिर्फ अपनो को ही हमसे दूर नहीं किया, बल्कि इस लहर ने प्रदेश के शो विंडो की विकासीय यात्रा को भी रोक दिया। 24 घंटे छेनी हथौड़े की आवाज करने वाले विकासीय परियोजनाओं से अब आवाजे भी कम आती है। उद्योगों की मशीनों के पहिये थमे हुए है। खुले जरूर है, लेकिन काम के लिए न तो लेबर है और न ही कच्चा माल। कच्चा माल नहीं तो उत्पादन नहीं और उत्पादन के बगैर उद्यम व राजस्व जीरो।
बाजार है, शटर भी बंद है, लेकिन इन बंद दरवाजों के पीछे से मुंह मांगा दाम दो, तो कच्चा माल भी यानी आपदा में अवसर यहां भी कम नहीं। आर्थिक तंगी के चलते उद्यमियों ने उद्योग ही बंद करना मुनासिब समझा। बोले जब दिल्ली अनलॉक होगी, नोएडा का बाजार खुलेगा, तो उद्योग भी खोले जाएंगे। बिना बाजार उद्योग व कामगार दोनों ही सिर्फ समय की टिक-टिक पर नजर गड़ाये है। शायद फिर सर्वे होगा और बाजार खुलेंगे।
तैयार माल खरीदने को खरीदार नहीं तैयार
कोरोना काल में उद्यमी कच्चे माल की कमी से जूझ रहे हैं। इसकी वजह से बहुत सी इकाइयों में उत्पादन की रफ्तार धीमी हो गई है। इससे श्रमिक भी खाली बैठे हैं। वहीं, बाजार में कच्चे माल के दाम भी बढ़ रहे हैं। इस कारण उत्पादन लागत बढ़ने से भी उद्यमी परेशान हैं, क्योंकि बढ़ी हुई लागत पर माल लेने के लिए खरीदार तैयार नहीं हैं। शहर के उद्यमियों की मांग है कि जल्द से जल्द बाजार खोला जाया, ताकि कच्चे माल की आपूर्ति हो सके।
गारमेंट एक्सपोर्ट के उद्यमियों को सबसे ज्यादा कच्चा माल गुजरात के सूरत और दिल्ली से मिलता है। दोनों ही जगह लॉकडाउन की वजह से फिलहाल बाजार बंद हैं। सप्लायर चाहकर भी माल नहीं भेज पा रहे हैं। इस कारण इकाइयों में श्रमिक खाली बैठ गए हैं। कुछ लोग माल देने को तैयार भी है, परंतु वे अधिक कीमत मांग रहे हैं। इतने महंगे दामों में माल लेना संभव नहीं है।
ब्लैक लिस्ट होने का डर
प्राधिकरण की कई विकास परियोजनाए चल रही है। सबकी रफ्तार धीमी है। आला कमान का निर्देश है कि समय से गुणवत्ता पूर्ण काम किया जाए। अधिकारी भी बेबस है। ठेकेदारों पर दबाव है तो मुंह मांगे दाम पर कच्चा माल लिया जा रहा है। बांड के तहत बजट और समय दोनों ही तय है। सरकार की ओर से कोई छूट नहीं। पेनाल्टी और ब्लैक लिस्ट होने का डर भी सता रहा है। ऐसे में निर्माण कार्य पूरा करना अब चुनौती बन चुका है। शहर में पर्थला सिग्नेचर ब्रिज, चिल्ला एलिवेटड, भंगेल एलिवेटड, नोएडा ग्रेटरनोएडा एक्सप्रेस-वे रि-सर्फेसिंग, एक्सप्रेस-वे पर चार अंडरपास, प्राधिकरण की नई इमारत , प्रवेश द्वार, गांवों के बारात घर सभी के निर्माण में सिमेंट, बदरपुर, ईंट, गारा, गिट्टी के अलावा लेबर , राज मिस्त्री सब चाहिए। लेकिन दो महीनों में ही इनके दाम भी बढ़ गए।
बढ़ गया कच्चा माल का दाम
कच्चा माल पहले (प्रतिकिलो) अब (प्रतिकिलो)
एल्यूमिनियम 78 रुपए 136-14० रुपए
ब्रास 37० रुपए 44०-46० रुपए
कॉपर 47० रुपए 57०-58० रुपए
ब्रांज 57० रुपए 67०-675 रुपए
जिक 19० रुपए 23०-235 रुपए
एमएस 48 रुपए 57-6० रुपए
स्टेलनेस स्टील 145 रुपए 16०-165 रुपए
सिविल कार्य के लिए कच्चे मॉल का दाम
कच्चा माल पहले अब
सिमेंट 36० रुपए/किलो 37० प्रतिकिलो
गिट्टी 45 रुपए फिट 55 रुपए फिट
बदरपुर 5० रुपए फिट 6० रुपए फिट
मिक्चर 4० रुपए फिट 5० रुपए फिट
मिस्त्री 6००-7०० 8००-85०
लेबर 3०० -35० 45०-5००
नोट - ( करीब 2० प्रतिशत की बढ़ोतरी)
एनईए के उपाध्यक्ष और मीडिया प्रभारी सुधीर श्रीवास्तव का कहना है, "इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने की इकाई है। उनका अधिकांश माल दिल्ली से आता है। दिल्ली में लॉकडाउन को डेढ़ महीने होने को आए हैं। बाजार नहीं खुलने से कच्चे माल की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है। शहर में इंडस्ट्रीज खुलने के बाद भी श्रमिक खाली बैठे हुए हैं।"
वहीं एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा कहते है, "जब तक दिल्ली का बाजार नहीं खुलता यहा की औद्योगिक इकाईयां चला पाना संभव नहीं है। इकाई बंद कर दी है। कच्चा मॉल यदि ले भी लिया जाए तो उत्पादित मॉल लेने को डीलर तैयार नहीं है। बाजार के उद्योग व उत्पादन के बीच की एक मजबूद कड़ी है। बगैर उत्पादन के श्रमिकों को वेतन देना पड़ रहा हैं।"
इसके अलावा आईआईए के अध्यक्ष कुलमणि गुप्ता का कहना है, "केवल चुनिदा जिलों में कोरोना कर्फ्यू से छूट देने से उद्यमियों को राहत नहीं मिलेगी, बल्कि पूरे दिल्ली-एनसीआर में लॉकडाउन खत्म किया जाए। लॉकडाउन खत्म करते समय कुछ विशेष शर्त लगा दी जाएं, मगर लॉकडाउन खोला जाए। लॉकडाउन खुलने बाद ही कच्चे माल की आपूर्ति संभव हो सकेगी। तब तक उद्यमियों को विभिन्न तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।"