नियामक आयोग में मल्टी ईयर रेग्यूलेशन कानून में संशोधन पर चर्चा

उप्र. राज्य विद्युत नियामक आयोग में शुक्रवार को आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह की अध्यक्षता तथा सदस्यों कौशल किशोर और विनोद कुमार श्रीवास्तव की मौजूदगी में सार्वजनिक सुनवाई में मल्टी ईयर रेग्यूलेशन कानून में संशोधन के प्रस्ताव पर चर्चा हुई।

Update: 2020-03-13 14:18 GMT

लखनऊ: उप्र. राज्य विद्युत नियामक आयोग में शुक्रवार को आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह की अध्यक्षता तथा सदस्यों कौशल किशोर और विनोद कुमार श्रीवास्तव की मौजूदगी में सार्वजनिक सुनवाई में मल्टी ईयर रेग्यूलेशन कानून में संशोधन के प्रस्ताव पर चर्चा हुई।

माना जा रहा है कि नियामक आयोग जल्द ही कानून में बदलाव कर देगा जिसके बाद बिजली कम्पनियां बिना नियामक आयोग की अनुमति के इनक्रीमेंटल कास्ट नही बढा पायेंगी।

बगैर उप्र. राज्य विद्युत नियामक आयोग की अनुमति के बीते जनवरी माह में इनक्रीमेंटल कास्ट के नाम पर विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में अधिकतम 0.66 पैसा प्रति यूनिट की वृद्धि करने वाली बिजली कंपनियां अब भविष्य में ऐसा न कर सकें इसके लिए राज्य नियामक आयोग में हुई सार्वजनिक सुनवाई में मल्टी ईयर रेग्यूलेशन कानून में संशोधन के प्रस्ताव पर चर्चा हुई।

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लिखित सुझाव नियामक आयोग के सामने पेश

सार्वजनिक सुनवाई में यूपी पावर कारपोरेशन ने कुछ आपत्तियों के साथ अपना लिखित सुझाव नियामक आयोग के सामने पेश किया। जिसके बाद उप्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का पक्ष रखते हुये कहा कि विगत जनवरी में जिस प्रकार से बिजली कम्पनियों ने मनमाने तरीके से इनक्रीमेंटल कास्ट के नाम पर अधिकतम 0.66 पैसा प्रति यूनिट तक उपभोक्ताओं की दरों में बढोत्तरी कर दी थी उस पर अंकुश लगाने के लिये कानून में बदलाव के लिए प्रस्तावित मसौदा बहुत जरूरी था।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के उपभोक्ताओं के हित में नये कानून में यह भी संशोधन किया जाये कि जिस प्रकार से आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात एवं हरियाणा, एवं पंजाब, बिहार में किसानों पर कोई भी इनक्रीमेंटल कास्ट नही लगता क्योंकि यह सब्सिडी वाली कटेगिरी है।

इसी प्रकार से यूपी में भी सब्सिडी वाली कटेगिरी ग्रामीण किसान व बीपीएल के लिये नयी व्यवस्था प्राविधानित की जाये और जिसे विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 65 के तहत सरकार से लाइसेंसी द्वारा सहमति अनिवार्य की जाये तथा अन्य राज्यों की तरह इस मामलें में जनता की राय भी ली जाए।

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10 प्रतिशत की छूट की मांग

इसके साथ ही अनमीटर्ड उपभोक्ताओं से पैसा लेने के बाद भी उनके घर पर मीटर नही लगाया गया है इसलिये अनमीटर्ड कैटेगरी पर भविष्य में कोई भी इनक्रीमेंटल कास्ट लागू न हो इसकी भी व्यवस्था की जाये। उन्होंने अनमीटर्ड से मीटर्ड में शिफ्ट होने वाले उपभोक्ताओं के लिए प्रस्तावित 10 प्रतिशत की छूट भी उपभोक्ताओं को दी जाने की मांग भी की।

सुनवाई के बाद उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि अब वह दिन दूर नही जब इनक्रीमेंटल कास्ट के मामले में यूपी में नया कानून बनने जा रहा है जिसके तहत बिना आयोग की अनुमति के बिजली कम्पनियाॅं कोई भी कास्ट अब अपने तरीके से लागू नही कर पायेंगी।

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