आशुतोष सिंह
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और काशी का रिश्ता अब किसी से छिपा नहीं है। पीएम मोदी न सिर्फ इस शहर के सांसद हैं बल्कि खुद को एक बेटे के तौर पर भी पेश करते हैं। मोदी का काशी से लगाव इस बात से भी समझा जा सकता है कि जब उन्होंने गुजरात के बाहर कदम रखा तो अपनी सियासी जमीन के तौर पर काशी को ही चुना। भोलेनाथ की ये नगरी मोदी को खूब भाती है। मोदी में काशी को जापान की धार्मिक नगरी क्योटो की शक्ल देने की जिद है और तो स्मार्ट सिटी बनाने का जज्बा भी है।
प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद इस प्रचीन शहर की सूरत बदलने के लिए मोदी ने खजाना खोल दिया है। नतीजा ये रहा कि वर्तमान समय में 27 हजार करोड़ रुपए की दो दर्जन से अधिक परियोजनाएं चल रही हैं। इनमें से कई पूरी हो चुकी हैं तो कुछ पूरी होने के करीब है। अपने 68वें जन्मदिन पर बनारस पहुंचे मोदी जब जनता से रुबरू हुए तो एक प्रधानमंत्री की हैसियत से नहीं बल्कि स्थानीय सांसद के तौर पर। सियासत से दूर सिर्फ अपने संसदीय क्षेत्र काशी की बात करते रहे। चार साल का हिसाब दिया तो आने वाले वक्त के लिए काशीवासियों की आंखों में सपने जगा गए। अब सवाल ये है कि मोदी के आने के बाद बनारस कितना बदला? क्या बनारस की जनता मोदी के दांवों से इत्तेफाक रहती है?
कितनी बदली सडक़ों की सूरत
किसी भी शहर की पहचान वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर से होती है। मोदी ने जब काशी की कमान संभाली तो शहर की सडक़ें टूटी-फूटी थीं। एयरपोर्ट से शहर को जोडऩे वाली सडक़ का गड्ढों से भरी थी। इसके अलावा पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों को जोडऩे वाले नेशनल हाइवे भी चलने लायक नहीं थे। मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही सडक़ों का नया जाल बिछाना शुरू कर दिया। बाबतपुर से एयरपोर्ट रोड तक फोरलेन सडक़ का निर्माण शुरू हुआ। रिंग रोड की नींव पड़ गई। इसी तरह वाराणसी-गाजीपुर फोरलेन, वाराणसी-आजमगढ़ फोरलेन, वाराणसी-हनुमना, वारामसी से जौनपुर तक फोरलेन सडक़ों की नींव पड़ गई। इनमें से अधिकांश सडक़ों का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है।
यकीनन मोदी ने सडक़ निर्माण क्षेत्र में जो कार्य किया वो पूर्वांचल के लिए मील का पत्थर है। अब आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं। मोदी के अनुसार पहले हर साल करीब आठ लाख सैलानी वाराणसी पहुंचते थे, लेकिन अब ये संख्या 21 लाख हो गई है। सडक़ों के निर्माण शहर की जनता भी खुश है। बनारस के लोगों के मुताबिक पिछले चार सालों में मोदी ने सडक़ निर्माण के क्षेत्र में जितना कार्य किया, उतना किसी सरकार ने नहीं किया।
स्वच्छता के मोर्चे पर कितनी कामयाबी
चार साल पहले नरेंद्र मोदी ने अस्सी घाट से स्वच्छता का अभियान छेड़ा था। उन्होंने गंगा किनारे खुद फावड़ा उठाया और गलियों में झाड़ू लेकर खुद निकल पड़े। मोदी अपने हर भाषण में स्वच्छता का जिक्र जरूर करते हैं। काशी में स्वच्छता मोदी के एजेंडे में शामिल है, लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी शहर की सूरत ज्यादा नहीं बदली है।
गंगा किनारे अधिकांश घाटों पर अब भी गंदगी का अंबार दिखता है जबकि नगर निगम की ओर से सफाई के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जाता है। सिर्फ चुनिंदा घाटों पर ही मोदी की अपील का असर दिखता है। घाटों के अलावा बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और प्रमुख बाजारों में भी गंदगी नजर आती है। हालांकि इसमें दो राय नहीं कि सफाई को लेकर बनारस के लोग पहले से संजिदा हुए हैं।
ऊर्जा गंगा-प्रदूषण मुक्त काशी
मोदी की हसरत है कि उनका बनारस वल्र्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर वाला बने। इसी मद्देनजर मोदी ने हर घर में पाइपलाइन के जरिए गैस पहुंचाने का काम शुरू किया। महानगरों की तर्ज पर अब बनारस में पाइप लाइन के जरिए गैस की सप्लाई की जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऊर्जा गंगा की शुरुआत 2017 में हुई जिसके तहत गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) ने डीजल रेल कारखाना (डीरेका) परिसर में पीएनजी पाइपलाइन बिछाने का कार्य शुरू कर दिया। वाराणसी में ऊर्जा गंगा प्रोजेक्ट के तहत 1000 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। फिलहाल अब तक शहर में 8 हजार घरों में पीएनजी लाइन का कनेक्शन हो चुका है। जल्द ही 30 हजार घरों में कनेक्शन बांटा जाएगा।
आईपीडीएस परियोजना
मोदी के आने के पहले शहर में बिजली के लटकते तारों की समस्या से लोग आए दिन परेशान रहते थे। हर वक्त खतरा लोगों के सिर पर मंडराता रहता था। मोदी जब चुनाव प्रचार में यहां पहुंचे तो उन्होंने इस समस्या को समझा और तारों को भूमिगत करने का वादा किया। सत्ता में आते ही मोदी ने 300 करोड़ रुपए की आईपीडीएस परियोजना को मंजूरी दी। इसके तहत अस्सी से लेकर राजघाट तक गंगा किनारे के तीन किमी दूरी के सभी क्षेत्रों में लगे बिजली के खंभों को भूमिगत कर दिया गया। पहले फेज का कार्य पूरा हो चुका है। अब दूसरे पेज के तहत कार्य शुरू होने वाला है। पीएम ने आईपीडीएस की सौगात दी तो शहर की कई कॉलोनियों और मुहल्लों में बिजली के तार भूमिगत हो गए, अब पूरे शहर में यह कवायद बढ़ चली है। लेकिन गलियों के शहर बनारस में लटकते बिजली के तारों को भूमिगत करना एक बड़ी चुनौती है।
काशी को क्योटो बनाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिद काशी को जापान के धार्मिक नगर क्योटो जैसा बनाने की है। इसके लिए पीएम मोदी खुद जापान गए और वहां के पीएम शिंजो आबे से बात की, जिसके बाद शिंजो आबे बनारस आए और दोनों देशों के नेताओं ने राजेंद्र प्रसाद घाट पर पंडित छन्नूलाल मिश्र के गायन के बीच गंगा आरती का लुत्फ उठाया। दोनों देशों में काशी को स्वच्छ और सुंदर बनाने का करार हुआ। इसके बाद जापान से विशेषज्ञों की एक टीम बनारस पहुंची। यह बात अलग है कि विकास और संस्कृति के संघर्ष की वजह से जापान की टीम और वाराणसी नगर निगम, वाराणसी प्रशासन के बीच तालमेल नहीं बैठ पाया। इस कारण चार साल में काशी को क्योटो बनाने की गति धीमी पड़ गई और इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठ पाया।
बुनकरों के लिए हस्तकला संकुल
काशी क्षेत्र में परंपरा से ही शिल्प का ज्ञान है। यही वजह है कि यहां के आठ उत्पादों को जीआई यानि जियोग्राफिकल इंडीकेशन को बौद्धिक सम्पदा अधिकार का दर्जा हासिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि बनारस की बुनकरी और हस्तशिल्प से जुड़े उत्पादों को वैश्विक स्तर पर बुलंदियों पर पहुंचाएंगे। इसी उद्देश्य से वाराणसी के बड़ा लालपुर में दीन दयाल हस्तकला संकुल यानि ट्रेड फैसिलिटी सेंटर खोला गया। इसके जरिए बुनकरों का माल खरीदने की व्यवस्था है ताकि उनका माल सही समय पर सही जगह पहुंच सके और उनकी आमदनी बढ़े। साथ ही यह सेंटर लोगों के साथ विश्व में भी काशी क्षेत्र के हैण्डलूम और हस्तशिल्प के बारे में जानकारी देगा और इसकी संस्कृति भी संजोए रखेगा।
गंगा परिवहन योजना
मोदी चाहते हैं कि वाराणसी को सडक़, रेल और जल तीनों मार्गों से मजबूत बनाया जाए। इसीलिए जिस तरह से सडक़ और रेल मार्ग के क्षेत्र में तेजी से कार्य हो रहे हैं उसी तरह गंगा में इलाहाबाद से हल्दिया के बीच शुरू होने वाली जल परिवहन योजना में काशी को कार्गो हब के तौर पर विकसित करने का काम किया जा रहा है। इसके लिए रामनगर में मल्टी मॉडल टर्मिनल बन रहा है जिसे अब कार्गो हब के रूप में विस्तार दिया जा रहा है। इस टर्मिनल में कार्गो के अलावा कोल्ड स्टोरेज, बेवरेज हाउस और पैकिंग की सुविधा होगी। हब बन जाने के बाद देश के कोने-कोने से उत्पाद रेल, रोड और जलमार्ग से काशी पहुंचेंगे।
जनता के सामने पेश किया रिपोर्ट कार्ड
जन्मदिन के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीएचयू के एंपीथिएटर ग्राउंड पर एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने रिटर्न गिफ्ट के तौर पर काशीवासियों को 557 करोड़ रुपए की सौगात दी। मोदी ने बनारस की जनता के सामने अपने साढ़े चार साल कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। साथ ही अपनी उपलब्धियां भी गिनाईं। अपने पचास मिनट के भाषण में मोदी ने बनारस में हो रहे विकास कार्यों की झलक दुनिया को दिखाने की कोशिश की। स्वच्छता, सडक़, सीवर और सैलानियों का जिक्र कर खुद की पीठ थपथपाई। उस लम्हे का भी जिक्र किया जब सोशल मीडिया पर लोग बदलते बनारस की तस्वीर शेयर करते हैं।
मोदी ने कहा कि वो देश के पीएम होने के अलावा एक जनप्रतिनिधि भी हैं। काशी की जनता को खुद का मालिक बताते हुए अपने को सेवक की तरह पेश किया। बोले-‘आपके सामने आया हूं, साढ़े चार साल के कामों का हिसाब देने। आप मेरे मालिक है, इसीलिए हिसाब देना मेरा दायित्व बनता है।’ मोदी बनारस में हुए विकास कार्यों के सहारे सियासत की नई बिसात बिछाते दिखे, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि मोदी जो तस्वीर दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं, वो अधूरी तो नहीं। अपना भारत की टीम ने मोदी के दांवों की पड़ताल की और लोगों की नब्ज को टटोला।