जब पत्रकार ने फरिश्ता बन बचाई फांसी पर लटके शख्स की जान..
कहते है ज़िन्दगी हो या मौत, बिना ऊपर वाले की मर्जी के कुछ भी नहीं होता। शाहजहांपुर में एक शख्स अपनी जिंदगी से तंग
शाहजहांपुर: कहते है ज़िन्दगी हो या मौत, बिना ऊपर वाले की मर्जी के कुछ भी नहीं होता। शाहजहांपुर में एक शख्स अपनी जिंदगी से तंग आकर आत्महत्या कर रहा था. मगर शायद ये ऊपर वाले को मंजूर नहीं था, तभी किसी फरिश्ते को भेज कर उसकी जान बचा ली।
क्या है पूरा मामला?
- शाहजहांपुर के काशीराम कॉलोनी में गुरुवार को 40 वर्षीय राजकुमार की पत्नी के साथ लड़ाई हो गई थी।
- वो काफी नशे में था और अपनी बीवी से शराब के पैसे मांग रहा था।
- पत्नी के मना करने पर उसने मारपीट शुरू कर दी। काफी देर तक दोनों के बीच लड़ाई हुई।
- उसी रात लड़ाई से निराश वो घर से कुछ दूर सड़क किनारे पेड़ पर फांसी लगाकर लटक गया।
-तभी वहाँ से गुजर रहे एक शख्स ने उसे देखा और वहां से तुरंत उतार कर जानकारी दी।
पत्रकारों ने की मदद
- मौके पर पहुंची पुलिस ने जब देखा कि उसकी सांसें चल रही हैं, तो बजाए उसको अस्पताल ले जाने के। वहां खड़े होकर शख्स को नसीहत दे रहे थे।
- तभी वहां पहुंचे पत्रकार मेहराज और आसिफ ने एम्बुलेंस को फ़ोन किया।
- मगर वहां से भी उनको सुनने में यही मिला कि 'अभी थोड़ा लेट होगा, इतंजार करें '
- ये सुनते ही पत्रकार मेहराज ने बिना देरी किये अपनी ही गाड़ी पर बैठा कर राजकुमार को अस्पताल पहुंचाया और इलाज करवाया।
जरा से देर होती तो चली जाती जान
- अस्प्ताल में मौजूद डॉक्टर का कहना है कि मरीज की हालत बेहद नाजुक थी। अगर जरा भी देर होती तो इसकी जान जा सकती थी।
- पत्रकारों की बहादुरी ने राजकुमार की जान बचा ली। अगर पुलिस और एम्बुलेंस के भरोसे रहते तो शायद राजकुमार मौत को गले लगा चुका होता। ।
वहीं राजकुमार की पत्नी का कहना है कि उसकी आए दिन शराब को लेकर पति राजकुमार से मारपीट होती थी। उसके पांच बच्चे है। उसका पति एक वकील की गाड़ी चलाता है। आए दिन उसका पति शराब पीने के लिए पैसे मांगता है। गरीबी के चलते वो पैसे नही दे पाती है। जिसके बाद विवाद होता है। कल भी शराब के लिए पैसे मांग रहा था।