Sonbhadra news: फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ा लिए गए 340 वाहन, परिवहन महकमे से जुड़ा मामला, खुलासे से हड़कंप, पुलिस को दी गई
Sonbhadra news: प्रकरण को लेकर तहरीर भी पुलिस को दिए जाने की जानकारी सामने आई है। तहरीर में दी गई जानकारी को दृष्टिगत रखते हुए, पुलिस ने मामले की जांच भी शुरू कर दी है। हालांकि अभी इसमें एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
Sonbhadra news: ओवरलोड तथा अवैध परिवहन में थाने में बंद कराए गए वाहनों का विभाग का फर्जी रिलीज आर्डर लगाकर छुड़वाए जाने का मामला अभी शांत भी नहीं हो पाया था कि वाहनों की रिलीजिंग को लेकर एक और फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। प्रकरण को लेकर तहरीर भी पुलिस को दिए जाने की जानकारी सामने आई है। तहरीर में दी गई जानकारी को दृष्टिगत रखते हुए, पुलिस ने मामले की जांच भी शुरू कर दी है। हालांकि अभी इसमें एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
बताते चलें कि जुलाई 2022 में परिवहन विभाग कार्यालय का फर्जी रिलीज आर्डर लगाकर दर्जनों वाहनों को छुड़ाने का मामला सामने आया था, जिसमें तत्कालीन एआरटीओ पीएस राय की तरफ से चोपन, दुद्धी, विढमगंज, हाथीनाला और म्योरपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। पुलिस की जांच में जहां बाहरी व्यक्तियों के साथ ही कार्यालय के लोग भी संलिप्त पाए गए। वहीं तत्कालीन एआरटीओ पीएस राय को भी इस खेल में शामिल पाया गया। मामले में पुलिस जहां अब तक छह लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं जांच के दौरान मिले सबूतों के आधार पर तत्कालीन एआरटीओ पीएस राय सहित दो की गिरफ्तारी के लिए वारंट भी हासिल किया गया है। अभी इस मामले का पटाक्षेप नहीं हो पाया था कि न्यायालय से मिलने वाले अवमुक्ति आदेश पर छूटने वाले वाहनों में फर्जीवाड़े का मामला सामने आने के बाद, एक बार फिर से परिवहन महकमे में हड़कप की स्थिति बन गई है।
बताया जा रहा है कि मामले को लेकर उच्चस्तरीय कमेटी की जांच में 340 वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर का इस्तेमाल कर छुड़ाए जाने की बात सामने आई है। इसको लेकर एक तहरीर भी राबटर्सगंज कोतवाली में दिए जाने की बात बताई जा रही है। प्रभारी निरीक्षक मनोज सिंह का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। उधर, इस मामले में एआरटीओ प्रवर्तन राजेश्वर सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह प्रकरण उनके पहले का है। वह अवकाश पर हैं, इसलिए मामले के बारे में जानकारी दे पाने में असमर्थ हैं। वहीं आरटीओ प्रवर्तन राजेश वर्मा का कहना था कि मामले की जांच उच्चस्तरीय कमेटी कर रही है इसलिए इस मामले में कोई भी जानकारी, कमेटी से जुड़े सक्षम अधिकारी की तरफ से ही दिया जाना उचित होगा।