Lucknow: जयंत चौधरी का दलित कार्ड, विधायकों को निर्देश, निधि का 35 प्रतिशत से ज्यादा दलितों पर करें खर्च
Lucknow: राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अपने विधायकों से कहा है कि सभी विधायक अपनी निधि का 35 प्रतिशत से ज्यादा की राशि अनुसूचित जाति के लोगों के कल्याण पर खर्च करें।
Lucknow: राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के अध्यक्ष जयंत चौधरी (President Jayant Choudhary) ने लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) से पहले बड़ा दलित कार्ड खेल दिया है। उन्होंने अपने विधायकों से कहा है कि सभी विधायक अपनी निधि का 35 प्रतिशत से ज्यादा की राशि अनुसूचित जाति के लोगों के कल्याण पर खर्च करें। जयंत चौधरी (President Jayant Choudhary) का कदम पार्टी को मजबूत करने से जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि आरएलडी का मुख्य वोट बैंक जाट और गुर्जर माने जाते हैं। 2022 में जयंत चौधरी (Jayant Choudhary) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और उन्हें इसका फायदा भी हुआ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से उनके नौ विधायक जीते हैं। अब वह अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए दलितों को पर फोकस कर उन्हें अपने पाले में करने के लिए यह बड़ा कदम उठाया है।
जयंत चौधरी की विधायकों से अपील
जयंत चौधरी (Jayant Choudhary) ने आरएलडी विधानमंडल दल (RLD Legislature Party) के नेता और बुढ़ाना से विधायक राजपाल बालियान (MLA Rajpal Balyan) को लिखे पत्र में कहा है कि 'आपको विदित है कि राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के सभी कार्यकर्ता सामाजिक न्याय में अटूट विश्वास रखते हैं और हमारा मानना है कि जब तक समाज के कमजोर वंचित तबके तक अधिक से अधिक सरकारी योजना का लाभ ना पहुंचे तब तक पढ़े सामाजिक सुधार एवं सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है। इसी उद्देश्य से मैंने विचार किया है कि हमारे दल के विधायक जोकि क्षेत्रीय विकास निधि है 35 प्रतिशत से अधिक आप सभी अपने क्षेत्र में अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए खर्च करें।
मैं यह भी चाहता हूं कि आप विधानमंडल दल के अध्यक्ष के नाते खुद प्रयास करें और सभी राष्ट्रीय लोकदल के विधायकों को निर्देशित करें कि अनुसूचित जातियों पिछड़े वर्ग के मुद्दे लगातार सदन में उठाने का कार्य करें तथा उन पर होने वाले उत्पीड़न पर पैनी नजर बनाए रखें और उन्हें न्याय दिलाने का प्रयास करें। राष्ट्रीय लोक दल ने विधानसभा चुनाव से पूर्व निकाली गई यात्रा में उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की तथा उनके गांव और आवासीय क्षेत्रों की दयनीय स्थिति देखी और पार्टी लगातार बहुजन उदय अभियान (bahujan uday campaign) के तहत ज्यादा से ज्यादा बहुजन समाज के लोगों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रही है। मुझे उम्मीद है कि हम सब मिलकर समाज में पनप रही असमानता को मिटायेंगे तथा वंचित समाज की आवाज बनेंगे मेरे दादाजी चौधरी चरण सिंह तथा मेरे पिता चौधरी अजीत सिंह की इस विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आप सभी मेरा सहयोग करें।
यूपी का दलित समीकरण
उत्तर प्रदेश प्रदेश में दलित कितने मायने रखते हैं इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इन्हीं के भरोसे मायावती (Mayawadi) उत्तर प्रदेश की 4 बार मुख्यमंत्री बन सके 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस वोट बैंक में सेंध लगाई और उत्तर प्रदेश में लगातार कमल खिलता चला जा रहा है अब जयंत चौधरी (Jayant Choudhary) भी इसमें सेंध लगाने की जुगत तलाश रहे हैं यूपी में करीब 22 फीसदी दलित मतदाता है. तू हमेशा किंगमेकर की भूमिका निभाते आ रहे हैं. यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से 84 सीटें आरक्षित हैं जबकि 50 जिलों की 300 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां दलित मतदाता जीत हार का माता रखते हैं। यूपी में 80 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें 17 आरक्षित सीटें हैं। आरक्षित सीटों पर सर्वाधिक जीत दर्ज करने वाली पार्टियां देश की राजनीति में हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका में रही हैं।
आरक्षित लोकसभा सीटें
नगीना, बुलंदशहर, हाथरस, आगरा, शाहजहांपुर, हरदोई, मिश्रिख, मोहनलालगंज, इटावा, जालौन, कौशांबी, बाराबंकी, बहराइच, बासगांव, लालगंज, मछलीशहर और राबर्ट्सगंज समेत 17 सीटें हैं।