Saharanpur News: घाटी में मारे गए आतंकी, सहारनपुर में सगीर के घर जश्न, परिवार ने जताई खुशी
Saharanpur News: सगीर के हत्यारों की मुठभेड़ में ढेर किए जाने की खबर पर परिवार ने जताई खुशी
Saharanpur News: जम्मू कश्मीर के पुलवामा में नौकरी करने गए गैर कश्मीरी सगीर अहमद (jammu kashmir sagir hatyakand) जिन्हें 16 अक्टूबर को आंतकियों ने उस समय अपनी गोली का निशाना बना लिया, जब वह एक निजी फर्म में काम करने के बाद घर वापस जा रहे थे। उनके साथ ही बिहार के अरविंद को भी मौत के घाट उतार दिया गया था। इसके बाद लोगों में आक्रोश बना हुआ था। 18 अक्टूबर की सुबह सगीर अहमद का शव जब घर पहुंचा था तो परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था और सभी ने सगीर अहमद के हत्यारों को मौत की सजा देने की मांग की थी।
जम्मू कश्मीर में आज उन आतंकवादियों को सेना ने मार गिराया (today indian army killed terrorist)। जिन्होंने सगीर अहमद को मौत के घाट उतार दिया था। जैसे ही यह खबर सगीर अहमद के परिजनों को मिली, उनके दिल को बड़ा सुकून मिला। उनके भाई नईम अहमद ने कहा कि मैं आज बहुत खुश हूं मेरे दिल को सुकून मिल गया है। हमारे भाई को मौत के घाट उतारने वाला अब इस दुनिया में नहीं रहा। मिलिट्री की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।
उन्होंने कहा कि बस एक जरूरत है कि सरकार सगीर अहमद के परिवार वालों को आर्थिक सहायता भी कर दे। वहीं सगीर अहमद की बेटी का कहना है, इन्होंने हमें अनाथ कर दिया। मां का साया पहले नहीं था। 6 महीने पहले ही कोरोना से मां चल बसी थी और पिता का साया इन आतंकवादियों ने छीन लिया। हमारा घर खाली कर दिया, कोई नहीं रहा। हमारे सिर पर से साया छीन लिया। इन आतंकवादियों के मारे जाने से हम बहुत खुश हैं हमारे दिल को बड़ा सुकून मिला है। अब जरूरत है जैसे बिहार सरकार ने इन आतंकवादियों का शिकार बने परिवारों की मदद की है। ऐसे ही उत्तर प्रदेश सरकार हमारी मदद करे। हमारी माली हालत बहुत ज्यादा खराब है।
पार्षद मंसूर बदर का कहना है कि हमारा सीना चौड़ा हो गया, जब हमने सुना कि हमारी बहादुर फौज ने आंतकवादियों को मार गिराया है। हमारा सिर फक्र से ऊंचा हो गया। हमें दिल में सुकून हो गया कि हमारे भाई सगीर अहमद को मार गिराने वाले इस दुनिया में नहीं हैं (sageer ahmad ke hatyare dhe), लेकिन केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से अब इतनी गुजारिश है कि सगीर अहमद के सिर पर बहुत ज्यादा कर्जा है, जो उन्होंने अपना घर पक्का करने के लिए लिया था, अपनी बेटियों के निकाह के लिए लिया था और अपनी पत्नी का कोरोना के दौरान इलाज कराने के लिए लिया था। हालांकि पत्नी की मौत हो गई थी। इसी कर्ज को चुकाने के लिए वह जम्मू-कश्मीर गए थे नौकरी करने के लिए। जहां उन्हें मौत मिली। सरकार सगीर अहमद के परिवार को एक नौकरी और कुछ आर्थिक मदद कर दे तो उनके हालात बेहतर हो सकेंगे।
आपको बता देगी सगीर अहमद के 4 बेटियां और एक बेटा है। तीन बेटियों की शादी हो चुकी है और एक बेटी का निकाह होना बाकी है। बेटा राजस्थान के जोधपुर में मजदूरी करता है।
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