यमुना एक्सप्रेस वे में मौत का सफर, 181 दिन में 78 मौत : RTI से खुलासा
यमुना एक्सप्रेस वे पर कम समय और तेज रफ्तार का सफर अब कहीं ना कहीं जानलेवा साबित हो रहा है। यमुना एक्सप्रेस वे पर वाहनों की रफ्तार के साथ हादसों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है।
आगरा: यमुना एक्सप्रेस वे पर कम समय और तेज रफ्तार का सफर अब कहीं ना कहीं जानलेवा साबित हो रहा है। यमुना एक्सप्रेस वे पर वाहनों की रफ्तार के साथ हादसों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। बीते 181 दिनों में जहां 432 सड़क हादसे हुए। वहीं 78 लोग इन हादसों के दौरान काल के गाल में समा गए। इस मामले का खुलासा आगरा के एक आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा मांगी गई जानकारी के द्वारा हुआ।
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दरअसल, आगरा डेवलेपमेंट फाउंडेशन (एडीएफ) के सचिव केसी जैन ने यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येडा) से सूचना का अधिकार क़ानून के तहत इस साल 30 जून तक हुए हादसों की जानकारी मांगी थी। येडा द्वारा उपलब्ध कराए आंकड़े चौंकाने वाले थे। इस साल छह महीने (एक जनवरी से 30 जून) में एक्सप्रेस वे पर 432 हादसे हुए। इन हादसों में 78 लोगों की जिंदगी का सफर खत्म हो गया। यमुना एक्सप्रेस वे पर सबसे ज्यादा 1,193 हादसे साल 2016 में हुए। दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 128 थी, हालांकि घायलों की संख्या बहुत ज्यादा रही।
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सीसीटीवी कैमरों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से एक्सप्रेस वे पर दौड़ते वाहनों की गति स्वत: रिकॉर्ड हो जाती है। येडा ने उसका डेटा भी पुलिस प्रशासन को उपलब्ध करा दिया है। हालांकि, मथुरा पुलिस प्रशासन का कहना है यमुना एक्सप्रेस वे डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा उन्हें अभी तक कोई भी डाटा उपलब्ध नहीं कराया गया है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस भी ई-चालान कर रही है। इसके बावजूद हादसों पर ब्रेक लगाने की यह सारी कोशिशें नाकाफी साबित हो रही हैं।
क्या कहना है आरटीआई एक्टिविस्ट का ?
आरटीआई एक्टिविस्ट के सी जैन ने बताया कि स्पीड कंट्रोल करने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने खंदौली टोल प्लाजा पर चौकी बनाई थी। तेज रफ्तार वाहनों का शुरू में चालान भी किया गया। बाद में इसमें लापरवाही बरती जाने लगी। चालानों की संख्या भी बहुत कम हो गई। इससे चालक निडर होकर एक्सप्रेस वे पर वाहनों को बेतहाशा दौड़ाते हैं।
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एक्सप्रेस-वे पर हो रहे लगातार हादसे अब डराने लगे हैं। जहां हादसों के लिए तेज रफ्तार को जिम्मेदार माना जा रहा है। वहीं कहीं ना कहीं इस रोड का निर्माण करने वाली कंपनी भी जिम्मेदार साबित हो रही है। क्योंकि जिस मेटेरियल से इस रोड का निर्माण किया गया वह हिंदुस्तान में पहला प्रयोग है ऐसे में इस रोड के निर्माण करने वाली कंपनी को भी सड़कों पर चलने वाले वाहनों की क्वालिटी के बारे में ध्यान रख कर रोड का निर्माण करना चाहिए था।