'जुल्म और अनाचार खिलाफ उठने वाली हर आवाज है भगत सिंह'

शहीद—ए—आजम भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव के बलिदान दिवस पर भारतीय नागरिक परिषद् के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में शहीदों का स्मरण किया गया।

Update: 2021-03-23 14:08 GMT
फोटो— सोशल मीडिया

लखनऊ। शहीद—ए—आजम भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव के बलिदान दिवस पर भारतीय नागरिक परिषद् के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में शहीदों का स्मरण किया गया। इस मौके पर शहीदों के सपनों के भारत की आधारशिला देश के बड़े सार्वजानिक क्षेत्रों को निजी घरानों को कौड़ियों के मोल बेचने के फैसले को सरकार से वापस लेने की मांग की गई। राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल में आयोजित संगोष्ठी "शहीदों के सपनों का भारत-सार्वजानिक क्षेत्र का सशक्त योगदान" में मुख्य वक्ता ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे थे।

विशिष्ट वक्ता के तौर पर प्रदेश के वरिष्ठ ट्रेड यूनियन और कर्मचारी नेता रमाकांत दुबे, प्रभात सिंह, पल्लवमुखर्जी, एसएस निरंजन, आशीष यादव, जय प्रकाश, सुहेल आबिद, निशा सिंह, वाईएन उपाध्याय, नौशाद अहमद, राम सेवक शुक्ल, डीके मिश्रा, मोहम्मद इलियास, शीला पाण्डेय, रेनू त्रिपाठी, ब्रजेश त्रिपाठी, अलोक श्रीवास्तव, कुलेन्द्र प्रताप सिंह, सुशील श्रीवास्तव, दीपक चक्रवर्ती, एपी सिंह, अमर नाथ यादव, बीएल कुशवाहा, एचएन मिश्रा, डॉ. महेश दत्त शर्मा, शिक्षक प्रतिनिधि महेश मिश्रा, अनिल सिंह, रामसेवक शुक्ला, राघवेन्द्र सिंह, हरिशंकर मिश्रा ने मुख्यता संबोधित किया।

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संगोष्ठी की अध्यक्षता भारतीय नागरिक परिषद् के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री ने की और संचालन महामंत्री रीना त्रिपाठी ने किया। मुख्य वक्ता शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि भगत सिंह के स्मरण का अर्थ है हर क्षेत्र, हर दल और विचार में घुसी जातीय विद्रूपताओं व संकीर्णताओं को अपने व्यवहार से ख़त्म करे, दहेज़, कन्या भ्रूण हत्या, स्त्री अपमान, अंध विश्वास भगत सिंह की क्रांतिकारी ज्वालाओं में भस्म हों तभी उनका स्मरण सार्थक होगा। उन्होंने कहा जहां भी अन्याय, जुल्म और अनाचार है उसके खिलाफ उठने वाली हर आवाज भगत सिंह है।

बड़े पैमाने पर मुनाफा कमा रहे सार्वजनिक क्षेत्रों भारत पेट्रोलियम, राष्ट्रीयकृत बैंकों, एलआईसी, रेलवे, चंडीगढ़ व दादरा नगर हवेली की बिजली वितरण कंपनियों आदि को निजी घरानों को बेचने को शहीदों के सपनों के साथ कुठाराघात बताते हुए उन्होंने कहा कि भगत सिंह मजदूरों और किसानों का राज्य चाहते थे जबकि सार्वजानिक क्षेत्र बिकने से कारपोरेट घरानों का वर्चस्व स्थापित होगा। भगत सिंह ने कहा कि युद्ध छिड़ा हुआ है और यह युद्ध तब तक चलता रहेगा जब तक कि शक्तिशाली व्यक्ति भारतीय जनता और श्रमिकों की आय के साधनों पर एकाधिकार जमाये रखेंगे। ऐसे व्यक्ति चाहे अंग्रेज पूंजीपति हों या सर्वथा भारतीय पूंजीपति। भगत सिंह ने कहा कि यह युद्ध न तो हमने प्रारम्भ किया है और न यह हमारे जीवन के साथ समाप्त होगा। भगत सिंह ने कहा हम गोरी बुराई की जगह काली बुराई को लाकर कष्ट नहीं उठाना चाहते। बुराइयां एक स्वार्थी समूह की तरह एक—दूसरे का स्थान लेने के लिए तैयार रहती हैं।

वक्ताओं ने कहा बिजली, पानी, सड़क, बुनियादी जरूरतों और स्पेस रिसर्च व डिफेन्स सेक्टर का निजीकरण भगत सिंह के विचारों के भारत से मेल नहीं खाता। इससे बेरोजगारी तो बढ़ेगी ही राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा पैदा होगा। संगोष्ठी में संकल्प लिया गया कि व्यापक राष्ट्रहित में सार्वजानिक क्षेत्र बचाओ- देश बचाओ अभियान चलाया जाएगा।

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