गौरैया संरक्षण के लिए सहारनपुर नगर निगम शुरू करेगा गो स्लो अभियान

छ शॉर्ट मूवी जैसे (हू किल्ड माय चिल्ड्रन शॉर्ट फिल्म) को देखें तो पता चलता है कि पेस्टीसाइट्स के इस्तेमाल से मरी इल्लियों को खाकर बड़ी संख्यां में गौरैया के बच्चों की मौत होती चली गई।

Update:2021-03-20 18:04 IST
गौरैया संरक्षण के लिए सहारनपुर नगर निगम शुरू करेगा गो स्लो अभियान

सहारनपुर: सहारनपुर नगर निगम द्वारा सहारनपुर विकास के लिए अनेकों प्रकार के कार्य तेजी से किए जा रहे हैं जिस से सहारनपुर को स्मार्ट सिटी बनाया जा सके। वहीं अब सहारनपुर नगर निगम द्वारा एक ऐसा कार्य किया जा रहा है जिससे विलुप्त होती गौरैया चिड़िया को बचाया जा सकता है, और वही सहारनपुर नगर निगम नगर आयुक्त ज्ञानेंद्र द्वारा इस पर कार्य भी चालू कर दिया गया है।

अचानक से गायब हो रही है गौरैया

आपको बता दें गौरैया चिड़िया एक ऐसा पक्षी है जो घरेलू माना जाता है। जो इंडिया के साथ साथ यूरोप और एशिया में सामान्य रूप से हर जगह पाया जाता है। इसके अतिरिक्त पूरे विश्व में है जहाँ-जहाँ मनुष्य गया इसने उनका अनुकरण किया और कुछ स्थानों अन्य नगरीय बस्तियों में अपना घर बनाया। जी हां, वही गौरैया जिसे आप और हम रोज अपने घर के आसपास फुदकते हुए देखते ते पर अब यह गौरैया चिड़िया अचानक से गायब होती नजर आ रही है, क्योंकि अब यह आसानी से देखने को नहीं मिलती है। अगर ऐसा ही रहा तो आप कुछ दिनों बाद गौरैया की आवाज सिर्फ वीडियो डॉक्यूमेंट्रीज के प्ले बैक साउंड में ही सुन पायेंगे,और जल्द ही गौरैया चिड़िया हर सुबह को गुलजार करने वाली गौरैया जल्दी ही लाल सूची में शामिल हो जाएंगी।

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पंछियों का उजड़ता बसेरा

जी नहीं, हम निगेटिव अप्रोच नहीं रख रहे, आगाह कर रहे हैं, आप सब को। शहरीकरण की होड़ में हम जंगल काटते गये और पंछियों का बसेरा उजड़ता चला गया। पहले हर आंगन में पेड़ हुआ करते थे, अब कंक्रीट युग में गगनचुंबी इमारतों में किचन गार्डन और ड्राइंगरूम गार्डन का दौर है. ऐसे में गौरैया, जिसे होम स्पैरो या स्पैनिश स्पैरो कहा जाता था, धीरे धीरे विलुप्त होती जा रही हैं. वही एक रिसर्च के मुताबिक मोबाइल टावर्स की तरंगे इनकी प्रजनन क्षमता पर असर डाल रही हैं. धीरे धीर उजड़ते आशियाने के चलते ये शहरों से अब गांवों की ओर पलायन कर रही हैं, पर अफसोस गांव भी कमोबेश शहर से ही स्वार्थी होते जा रहे हैं.

कैसे होती है गौरैया की मौत

बहुत से कीड़े मकौड़ों को खाकर ये पारिस्थिक संतुलन बनाकर हम मनुष्यों की मदद करती आ रहीं थीं, पर हमने ये भुला दिया। कुछ शॉर्ट मूवी जैसे (हू किल्ड माय चिल्ड्रन शॉर्ट फिल्म) को देखें तो पता चलता है कि पेस्टीसाइट्स के इस्तेमाल से मरी इल्लियों को खाकर बड़ी संख्यां में गौरैया के बच्चों की मौत होती चली गई। अगर आप ये चाहते हैं कि आने वाले समय में गौरैया आपके बच्चों की किताबों में सिमट कर न रह जाये।

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गौरैया चिड़िया के लिए होगा गो स्लो का इंतजाम

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जल्द ही गौरैया चिड़िया के लिए नगर निगम द्वारा एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। सहारनपुर नगर निगम नगर आयुक्त ज्ञानेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि वह जल्द ही गौरैया चिड़िया के लिए शहर में एक अच्छी व्यवस्था करने जा रहे हैं जिससे कि गौरैया दुबारा से हम लोगों को देखने को मिलेगी। गौरैया चिड़िया के लिए इधर वह गो स्लो का इंतजाम किया जा रहा है और लोगों से भी नगर आयुक्त ज्ञानेंद्र सिंह ने अपील करते हुए कहा कि अपने घर, कॉलोनी के आसपास जहां जगह मिले, पेड़ लगाइए. और साथ ही गर्मियों को देखते हुए परिंदें बांधिए ताकि ये पंछी प्यास से न मर जायें।

रिपोर्ट- नीना जैन

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