Mulayam Singh Yadav Interview: हाल खराब है कांग्रेस और बीजेपी का, ऐसा क्यों बोले थे मुलायम सिंह यादव

Mulayam Singh Yadav Interview: समाजवाद को नई और लंबी उम्र देनेवाले सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से जरूरी मसलों पर वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र की बातचीत।

Written By :  Yogesh Mishra
Update: 2022-12-14 13:59 GMT

मुलायम सिंह यादव (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Mulayam Singh Yadav Interview: अगले लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर कांग्रेस और भाजपा भले ही लंबे-चौड़े दावे करें। पर तमाम निगाहें तीसरी तरफ भी देख रही हैं। क्योंकि उन्हें मालूम है कि वहां एक ऐसा शख्स बैठा हुआ है, जिसने पिछले डेढ़ दशक के गठबंधन और विरोध की राजनीति के दौर में खुद को हमेशा उपयोगी बनाए रखा। समाजवाद को नई और लंबी उम्र देनेवाले सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से जरूरी मसलों पर वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र की बातचीत।

बातचीत के मुख्य अंश

# आप लगातार कह रहे हैं कि चुनाव लोकसभा के पहले हो जाएंगे। आप समर्थन भी दे रहे हैं कांग्रेस को। क्या आधार है इसके पीछे, आप क्या कहेंगे ?

= अब पहले चुनाव होने में कांग्रेस को कोई दिक्कत नहीं है। कार्यकाल लगभग पूरा हो चुका है। अब 'महीना बचा है, साल नहीं बचा है। अब जो चुनाव है, तो चुनाव में यह लग रहा है कि हमेशा चुनाव से पहले आम जनता के लिए कुछ करते हैं। पहले चुनाव से पहले मनरेगा कर दिया। जानते हुए कि मनरेगा का पैसा कहीं विकास में नहीं लगेगा। हमने लोकसभा के अंदर भी कहा कि मनरेगा बंद करके कोई नई योजना में लगा दो। इस पर एक सरकारी पक्ष के नेता ने कहा कि मुलायम सिंह तो मनेरगा चाहते नहीं। इसलिए विरोध कर रहे हैं। जबकि सच्चाई है कि यह पैसा गरीबों के लिए नहीं गया। मजदूरों को 120 रुपए मिलना चाहिए। इसको 60-70 रुपए देकर काम चलाया जा रहा है। वह भी बिना काम किए 60 रुपए ले रहा है। वह दूसरा काम कर रहा है और घास छीलकर नाली बना दी जा रही है। विकास दिखाया जा रहा है। इसी तरह कांग्रेस फिर चुनाव से पहले कोई नई योजना लाएगी। यह कांग्रेस की पद्धति रही है कि चार साल पहले खूब लूट-खसोट भ्रष्टाचार, अन्याय और अत्याचार करो और आखिर में कोई विकास की नई योजना ला दो। अब ये कोई ऐसी योजना ला रहे हैं कि सीधे पैसा किसी को देंगे। या सरकारी, दलाल होंगे उनको या ऐसे लोग होंगे, जो असहाय होंगे, ताकि इनको थोड़ी मदद हो सके। ऐसी योजना पहले थी, चुनाव जल्दी करने की। इसी सत्र में लाने की थी, लेकिन लोकसभा नहीं चल पाई। लोकसभा चलना सही था। अगर विपक्ष में भाजपा बड़ी पार्टी, उसके ज्यादा सदस्य हैं, लेकिन हमारी पार्टी भी लगातार लड़ रही थी। कोयला कांड पर भी हमने विरोध किया। यह सब पहले चुनाव कराने के लिए हो रहा था। लेकिन अब तो.. चुनाव तत्काल नहीं होंगे। अब तो ज्यादा से ज्यादा चार महीने पहले करा सकते हैं। नवंबर में करा सकते हैं।

# चुनाव में आप अपनी पार्टी की तैयारियों से कितने संतुष्ट हैं?

= हमारी पार्टी उत्तर प्रदेश में सबसे मजबूत है। और, अन्य सूबों में भी है। चार सीटें हम मुंबई में जीते थे। एक सीट राजस्थान में भी जीते। आंध्रा में लड़की जीती तो कांग्रेस ने तोड़ लिया। मध्य प्रदेश में भी एमएलए हैं। पश्चिम बंगाल में भी एमएलए हैं। और, जगह भी हैं। लेकिन दिल्ली के चुनाव प्रभावित दो सूबे ही करते हैं। एक उत्तर प्रदेश और एक बिहार । उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी है और बिहार में मिलीजुली है। वह कांग्रेस के खिलाफ है। चाहे बीजेपी की हो या नीतीश कुमार जी की हो। तो अब इन दोनों सूबों में अब भी कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं है। अच्छी बीजेपी की भी नहीं है। हमें तो लग रहा है कि बसपा भी अब यह सोच रही है कि कैसे ज्यादा सीटें यहाँ ले। वह अभी अपना बेस मजबूत करने की सोच रही है। ऐसी स्थिति में सपा ही आगे आएगी। अभी जो चुनाव जीते, उससे ज्यादा सीटें आएंगी। अब हम आपको एक-डेढ़ महीने बाद सही स्थिति बत्ता देंगे। हम हर प्रत्याशी को बुला रहे हैं। बात कर रहे हैं।

# आपका उत्तर प्रदेश में मुख्य मुकाबला किससे होगा ?

= अभी तो किसी के साथ नहीं लग रहा। हमने जो एनालिसिस किया है, उसे मैंने पहले ही बता दिया। उसमें तो यही आया है कि कांग्रेस आगे नहीं बढ़ पा रही। बीजेपी कोशिश कर रही है। कर्नाटक के चुनाव के बाद बीजेपी कमजोर हो गई है। पार्टी में गुटबाजी बढ़ रही है। जहां तक बसपा की बात है, उसकी हालत जनता के बीच खराब है। ऐसे में कांग्रेस ही बचती है, लेकिन कांग्रेस भी यूपी और बिहार में अपनी स्थिति सुधार नहीं पा रही। ऐसे में समाजवादी पार्टी अच्छी स्थिति में होगी। हम गिनती तो नहीं बताएंगे, लेकिन अभी जो जीत के आ रहे थे, उससे ज्यादा ही जीतेंगे।

# आप कह चुके हैं कि सीबीआई के मार्फत कांग्रेस परेशान करती है। फिर कांग्रेस को समर्थन देने की जरूरत क्या है ?

= हम अभी इस बारे में कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 'जो स्टैंड लिया है सीबीआई पर, इससे परिस्थितियां बदल रही हैं। इसलिए सीबीआई पर उंगली उठाना अभी ठीक नहीं है।

# आपको क्या लगता है कि सीबीआई पर नियंत्रण नहीं होना चाहिए ?

= देखिए सीबीआई अब जिस तरह काम कर रही है, जैसा मैंने आपको बता दिया, वह स्टैंड मामूली नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देना बहुत अहम है।

# क्या आपको नहीं लगता कि सरकार सीबीआई का दुरुपयोग करती है। ऐसे में सरकार पर तो उंगली उठाई जा सकती है?

= अब वर्तमान में यह तो साबित हो गया है कि सीबीआई नियंत्रण में काम नहीं करेगी।

# सीबीआई प्रधानमंत्री मंत्री के नियंत्रण में है तो कैसे कह सकते हैं कि सीबीआई स्वतंत्र होकर काम करेगी ?

= अब नियंत्रण में न रहे, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट भी प्रयास कर रहा है।

# आपने एक बयान दिया कि सरकार के सौ हाथ होते हैं, क्या यह सच है कि सरकार इस बहाने अपने विरोधी नेताओं को भी परेशान करती है? इसमें कितना सच है?

= हां, यह सच है। मान लीजिए, देश को महाशक्ति बनाना है तो उत्तर प्रदेश के बिना तो देश महाशक्ति बन ही नहीं सकता। उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ है। इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होगी तो देश कैसे महाशक्ति बन सकता है। खाने का इंतजाम नहीं होगा, मकान नहीं होगा। उत्तर प्रदेश की उपेक्षा तो हो ही रही है। केंद्र ने लगातार उत्तर प्रदेश की उपेक्षा की। पहले तो इसलिए उत्तर प्रदेश की उपेक्षा हुई, क्योंकि सारे प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश के थे। इसलिए वह यह सोचकर ध्यान नहीं देते थे कि उन पर आरोप लगेगा कि यहां के रहने वाले हैं, इसलिए पक्ष ले रहे हैं। हालांकि प्रधानमंत्री बनते ही चंद्रशेखर ने उत्तर प्रदेश को विशेष सहायता दी थी।

# तीसरे मोर्चे की बात हो रही है। तीसरा मोर्चा कैसे बनेगा ? वह भी तब, जब आज ही वामपंथियों ने कहा कि तीसरे मोर्चे की कोई उम्मीद नहीं है?

= तीसरा मोर्चा जब बनता है तो चुनाव के बाद बनता है। चुनाव से पहले बनाएंगे तो टिकटों व सीटों को लेकर पहले ही टूट जाता है। कांग्रेस और बीजेपी का बहुमत इस बार नहीं आ रहा। इस बार तीसरे मोर्चे के दलों को, जो राज्यों में प्रभावी हैं, उनको ज्यादा सीटें मिल रही हैं।

# मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जयललिता से मिले थे, तीसरे मोर्चे को लेकर और किस-किस तो है?

= अभी मेरी अखिलेश जी से बात तो हुई नहीं कि उनकी जयललिता से क्या बात हुई। मैं उनसे पूछूंगा। हालांकि डॉ. लोहिया बात सही हो रही है कि अब राष्ट्रीय नेतृत्व नहीं रहेगा क्षेत्रीय नेतृत्व रहेगा। पंजाब में प्रकाश सिंह बादल हैं। बिहार में नीतीश हों या लालू। तमिलनाडु में जयललिता आएं या करुणानिधि । यहाँ सपा का प्रभाव है। इसी तरह ज्यादा राज्यों में आप देखें तो तीसरा मोर्चा कांग्रेस और बीजेपी से ज्यादा मजबूत है।

# इनमें से किसी से आपकी बातचीत हुई है क्या?

= अभी बातचीत नहीं शुरू की। लेकिन अंडरस्टैंडिंग तो है ही।

# आप अपने कार्यकर्ताओं से कहते हैं कि आपके लिए, प्रधानमंत्री बनने का यह सबसे बेहतर मौका है। लेकिन आपकी पार्टी रिलीज जारी करती है कि आप प्रधानमंत्री की दौड़ में नहीं हैं। यह विरोधाभास क्यों ?

= कार्यकतां क्यों नहीं चाहेंगे कि हम प्रधानमंत्री बनें। कार्यकर्ता तो चाहते ही हैं कि दिल्ली पर कब्जा हो। यह शुरू से रहा। चौधरी साहब और चंद्रशेखर जी भी प्रधानमंत्री बने। वह भी दौड़ में नहीं थे।

# नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश से लड़ते हैं या उत्तर प्रदेश में प्रचार करते हैं तो आप अपने लिए और दूसरे दलों के लिए कैसा सोचते हैं ?

= यूपी विचित्र सूबा है। बिहार तो सबको स्वीकार करता है। दूसरों को भी स्वीकार कर लेता है। आप देख लीजिए, चाहे मधु लिमए रहे हों या इंद्र कुमार गुजराल रहे हों। बिहार तो स्वीकार कर लेता है, लेकिन उत्तर प्रदेश किसी बाहरी व्यक्ति को स्वीकार नही करता। उत्तर प्रदेश तो खुद नेतृत्व देता रहा है। शक्ति भी देता है। नरेंद्र मोदी का कोई प्रभाव नहीं आएगा। एक दिन ऐसा आएगा कि नरेंद्र मोदी को उनकी ही पार्टी के लोग मना करेंगे कि उत्तर प्रदेश में मत लड़ो।

# कोलगेट मामले में जांच की आंच प्रधानमंत्री पद तक जा रही। क्या आपको नहीं लगता कि प्रधानमंत्री पद पर -परिवर्तन होना चाहिए ?

= देखिए, जो लोग इस विभाग को देखते रहे हैं, वह मांग कर रहे हैं। लेकिन अभी ठोस रिपोर्ट नहीं आई कि प्रधानमंत्री दोषी हों।

# सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय की जानकारी में रिपोर्ट में छेड़छाड़ की गई। तो भी क्या आप इसके लिए उन्हें दोषी नहीं मानते?

= अब वह सामने आ जाएगा। जहां तक मुझे लगता है कि सीबीआई ने अपनी जिम्मेदारी सही से निभाई, अब प्रधानमंत्री कितना निभाते हैं, यह सामने आ जाएगा।

# क्या आप मानते हैं कि प्रधानमंत्री के पद पर परिवर्तन अभी जरूरी नहीं है ?

= यह विचित्र देश है। यह देश इमोशनल है। अभी हटाया जाएगा तो यही कहेंगे कि हमें हटा दिया। इसलिए मुझे लगता है कि अभी इन्हें गलतियां करने दी जाएं। अभी आगे वह और गलतियां करें, ताकि इमोशन खत्म हो जाए।

# केंद्र से आपके रिश्ते बड़े खट्टे-मीठे और उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। क्या आपको रिश्तों में कोई स्थाई सुधार नजर आता है?

= हम एक किताब लिख रहे थे रिश्तों पर। इस किताब के तीन पेज ही लिख पाए थे कि मधु लिमए जी को पता चला। उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि आपको लंबी राजनीति करनी है। बहुत लोग मिलेंगे, आप किताब लिखेंगे तो लोग आपके विरोधी हो जाएंगे। इसलिए और कोई लिखे तो लिखने दो, लेकिन आप मत लिखो।

# क्या आपको नहीं लगता कि आपके न लिखने से बड़ा सच छिप गया ?

= नहीं, हिंदुस्तान की जनता बहुत समझदार है। वह जानती है। जो अयोध्या कांड के समय 18 साल के हो गए थे, उन्हें सब पता है। उस वक्त अल्पसंख्यक बहुत दुखी था। इसलिए उसकी आस्था डिग रही थी। उसके साथ अन्याय हुआ। जब मामला अदालत में था तो यह नहीं होना चाहिए था । हमने 70 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव दिया, लेकिन माने नहीं। यह तो मस्जिद गिराने में अपनी कामयाबी मान रहे थे। हमने यह भी कहा था कि बाकी जमीन का जो मामला अदालत में चल रहा है, उसका फैसला आने दीजिए। भाजपा और विहिप ने हमारी बात नहीं मानी, क्योंकि उन्हें पता है कि मंदिर बन नहीं सकता। मस्जिद गिराने के बाद दोनों जगह सरकार बनी तो मंदिर क्यों नहीं बनाया? यह केवल वोट की राजनीति थी।

# उत्तर प्रदेश में आपकी पार्टी की सरकार है। यहां अच्छे काम की चर्चा कम और आलोचना ज्यादा हो रही है। ऐसा क्या है ?

= अच्छे काम की चर्चा नहीं होती। आलोचना तो ज्यादा होती है। अच्छे काम करने वालों की आलोचना होती है। आज मामूली काम हुआ है ? पांच साल का घोषणा पत्र सालभर में ही पूरा कर दिया। सच्चर आयोग की रिपोर्ट में बताया गया कि मुस्लिमों की दशा खराब है। हमने अल्पसंख्यकों की लड़कियों को हाईस्कूल पास करने पर 30 हजार, सामान्य को इंटर पास करने पर 30 हजार रुपए दिए। ताकि इससे आर्थिक स्थिति सुधरे। दवा मुफ्त चल रही है। शिक्षा मुफ्त हैं। बेरोजगारी भत्ता मिल रहा है। यह सबकुछ आम जनता को मिल रहा है। कोई अगड़ा-पिछड़ा नहीं, यह सबको लाभ मिल रहा है।

# कुछ मंत्री खुद को मुख्यमंत्री से बड़ा समझने लगे हैं। इस अवधारणा को कैसे बदलेंगे ?

= ऐसा तो नहीं है। ऐसा नहीं है। ऐसा कोई मंत्री नहीं है, जो अपने मन में क्या सोचता हो, यह तो नहीं कह सकते। लेकिन बाहर आकर ऐसा कहता हो या करता हो, यह नहीं हो सकता। हां, मुख्यमंत्री से उम्र में जरूर बड़े हैं। इसलिए भारतीय संस्कृति के मुताबिक उम्र का आदर तो है, लेकिन मुख्यमंत्री से ऊपर तो कोई नहीं है।

# क्या वजह है कि आपको अपनी ही सरकार की बार-बार आलोचना करनी पड़ती है ?

= हम आलोचना कर रहे हैं तो भी विपक्षी यह कह रहे हैं कि जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं, ताकि हमें आलोचना का मौका न मिले। कई साथियों ने लोकसभा के अंदर कहा कि आप चतुराई कर रहे हैं। आपने हमारा हथियार छीन लिया।

# समाजवादी पार्टी की अबतक कई सरकारें रही हैं। आप अपनी किस सरकार को अपने एजेंडे के सबसे करीब मानते हैं?

= अब तो सबसे अच्छी सरकार यही मानी जा रही है। इस सरकार ने बहुत जल्दी काम किए। हमारी सरकार जब थीं, तब इतना आर्थिक संकट नहीं था। अबकी तो बहुत आर्थिक संकट है। तब भी योजनाएं चल रही हैं। पहली बार आजादी के बाद सिंचाई के लिए हर नहर में पानी है। किसान परेशान नहीं है। किसानों की उपज की खरीद में भी सफलता मिली। कहीं से कोई शिकायत नहीं आ रही कि पक्षपात हो रहा है।

# आप रक्षा मंत्री रहे हैं। क्या चीन पर विश्वास किया जा सकता है?

= जहां तक हमारा सवाल है और सपा का है तो यह सही है कि हम चीन पर विश्वास नहीं कर सकते। उस पर विश्वास करके नेहरू ने धोखा खाया। उन्हें सदमा लगा, क्योंकि उन्होंने चीन को सबसे बड़ा मित्र माना था। हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा लगा। नेहरू का विश्वास सही था। उन्होंने पड़ोसी देश के नाते अच्छा संबंध बनाया। लेकिन चीन ने धोखा दिया। नेहरू जी पड़ोसी देशों से संबंधों के लिए हीरो बन गए थे, लेकिन हमला करके उसने नेहरू को धोखा दिया।

# अभी चीन के साथ एक समझौता हुआ। भारतीय विदेश मंत्री आपसे भी मिले थे, क्या है यह समझौता?

= हम विश्वास नहीं कर सकते चीन पर हम उससे अच्छे संबंध चाहते हैं। बड़ा देश है। पडोसी देश हैं, लेकिन हम समझते हैं कि उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए। चीन की निगाह हिंदुस्तान पर है। उसकी निगाह अच्छी नहीं है। जनता सावधान है, फौज सावधान है। पर सरकार नहीं। हम कह सकते हैं कि सरकार डर रही है। डर आदमी और सरकार दोनों को कायर चना देता है।

# समाजवादी पार्टी कभी जाति तोड़ो आंदोलन चलाती थी। आज जातीय सम्मेलन हो रहे हैं। राजनीति के इस बदलाव को आप कैसे देखते हैं?

= जातीय आंदोलन हो रहा है। सपा में जनेश्वर मिश्र रहे, माता प्रसाद पांडेय हैं। अल्पसंख्यक हैं। दलित हैं। पिछड़े हैं। सपा में सब वर्गों का सम्मान है।

# आपको क्या लगता है, राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस कितना आगे बढ़ सकती है?

= राहुल नौजवान हैं। लेकिन उसके बारे में हम कुछ नहीं कह सकते। उसने पिछले चुनाव में भी बहुत मेहनत की थी।

# भाजपा में आपको किसमें नेतृत्व करने की क्षमता दिखती है?

= हम नहीं कहेंगे। दोहराएंगे नहीं। हमारी पार्टी के कुछ लोगों की नासमझी भी थी। कभी भी किसी भी पार्टी ने ऐसा सवाल नहीं उठाया। हमारे पार्टी के ही नासमझ लोगों ने ऐसा सवाल उठाया। अगर विपक्ष की कोई आलोचना करे तो ठीक है। आलोचना सही हो तो सुधारिए। आडवाणी का भविष्य बीजेपी के हाथ है। मुझे बीजेपी के बारे में कुछ नहीं कहना।

#लोकसभा चुनाव में आपका एजेंडा क्या होगा?

= हम चुनाव घोषणा पत्र के मुताबिक ही चुनाव लड़ेंगे। पड़ोसी देशों से संबंध, महंगाई आदि मुद्दों को भी शामिल करेंगे।

# एफडीआई, प्रोन्नति में आरक्षण हटाने और 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के एजेंडे को आपकी पार्टी ने उठाया।

= यह तीनों एजेंडे हमारे हैं और रहेंगे।

# इन एजेंडों पर कांग्रेस आपका साथ नहीं देगी तो आप क्या करेंगे?

= और भी दल हैं। सब मिलकर साथ देंगे। प्रोन्नति में आरक्षण पर बीजेपी व बसपा ने भी एकसाथ काम किया। समाजवादी पार्टी को मजबूर होकर अकेले ही लड़ना पड़ा। जनता ने साथ दिया । प्रोन्नति में आरक्षण बहुत खतरनाक है।

# आप इसे लेकर जनता के बीच जाएंगे या राजनीतिक दलों के बीच?

= अब दूसरे दलों के नेता भी महसूस कर रहे हैं कि उन्होंने प्रोन्नति में आरक्षण का समर्थन करके गलती की। बीजेपी के लोग भी बाहर यह कहने लगे हैं। लेकिन संसद में कांग्रेस द्वारा लाए गए इस बिल का समर्थन किया।

# आपकी सरकार के बारे में कहा जाता है कि आप जो काम करते हैं, उसका लाभ नहीं ले पाते, क्योंकि आपके कार्यकर्ता अनुशासन तोड़ते हैं?

= जहां तक अनुशासन का सवाल है, इतनी अनुशासित कोई पाटी नहीं है। भाजपा, बसपा और कांग्रेस में इतना अनुशासन नहीं है। लेकिन आम जनता का इस बार हमारा कार्यकर्ता ध्यान रख रहा है। जनता के हित उसको पता है। सरकार के खिलाफ जनता में कहीं नाराजगी नहीं है। विपक्षी नेताओं को हो सकती है, लेकिन जनता की नहीं। अगर जनता को होती तो देवरिया में हम नहीं जीतते।

( मुलायम सिंह यादव का 16 May, 2013 को प्रकाशित साक्षात्कार।)

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