लखनऊ: ...उफ ये सपाई रविदास जयंती। मंच पर मौजूद नेता रविदास के पद चिन्हों पर चलने और त्याग करने का बखान कर रहे थे, लेकिन मंच के पास 'एक रविदास' दर्द से तड़प रहा था। उसकी आवाज सियासी जलसे के शोर में गुम हो रही थी।
नेताओं में संत रविदास की तस्वीर पर फूल-माला पहनाने की होड़ मची थी पर उसके ठीक बगल में इलाज के लिए बिलख रहे इस 'रविदास' पर किसी का ध्यान नहीं गया। वह बिलख-बिलख कर अपने इलाज के लिए आवाज लगा रहा था। आखिरकार सियासत में यूं ही नहीं कहा जाता है 'करनी खाक की बात लाख की।'
नेता सिर्फ फूल माला चढ़ाने में मशगूल रहे
सपा मुख्यालय के लोहिया सभागार में सोमवार को संत रविदास जंयती समारोह का आयोजन किया गया। इसमें समाजवादी अनुसूचित जनजाति/जनजाति प्रकोष्ठ के नेताओं के अलावा जिलों से आए कार्यकर्ता शामिल हुए। मंच पर मौजूद नेताओं में संत रविदास की तस्वीर पर फूल माला चढ़ाने और फोटो खिंचवाने की होड़ मची थी। ठीक उसी समय सभागार में मंच के ही बगल में दादरी, गौतमबुद्धनगर निवासी प्रमोद कुमार (एक रविदास) दर्द से तड़प रहा था। वह इलाज के लिए नेताओं से गुहार कर रहा था। समारोह के शोर के बीच किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी।
85 फीसदी विकलांग, दवा तो दूर गुजर-बसर करना मुश्किल
पीड़ित प्रमोद 85 प्रतिशत विकलांग है। उसका एक पैर पूरी तरह से खराब हो चुका है। कुछ समय पहले उसका पैर भी खराब हो गया। उसकी दो बेटिया (6 और 7 साल) हैं। उसके लिए अब इलाज तो दूर गुजर-बसर करना मुश्किल हो रहा है।