बहुत जपा 'रामनाम', अब अयोध्या के महंतों को चाहिए बालू 'खनन का पट्टा'

अयोध्या का नाम सुनते ही पहला नाम जो दिलोदिमाग में आता है, वो है राम का और उसके बाद याद आती है सरयू। वो सरयू जिसने राम को बचपन से लेकर राजा राम का सफ़र तय करते देखा। जिसने देखा कैसे मंदिर के नाम पर दंगे हुए सैकड़ों अकाल ही काल के गाल में समा गए।

Update: 2018-12-27 07:15 GMT

अयोध्या : अयोध्या का नाम सुनते ही पहला नाम जो दिलोदिमाग में आता है, वो है राम का और उसके बाद याद आती है सरयू। वो सरयू जिसने राम को बचपन से लेकर राजा राम का सफ़र तय करते देखा। जिसने देखा कैसे मंदिर के नाम पर दंगे हुए सैकड़ों अकाल ही काल के गाल में समा गए। जिसने देखा संतों महंतों को पूण्य की गहरी डुबकी लगाते। लेकिन उसने कभी सोचा भी नहीं था कि डुबकी लगाने वाले ये संत महंत उसकी गोद उजाड़ने में लग जाएंगे....नहीं समझ में आया हम समझा देते हैं।

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महंत नहीं कारोबारी कहिए जनाब

अयोध्या के संत-महंत अब कारोबारी बनने की राह पर चल पड़े हैं। इसके लिए वो मां सरयू की बोली लगाने से भी नहीं चूक रहे हैं। दरअसल बालू खनन के लिए कई संत महंत परमिट मांग रहे हैं। किसी को 40 तो कोई 15 हजार घन मीटर खनन का पट्टा चाहिए।

कई प्रतिष्ठित संत महंत हैं लाइन में

खनन विभाग के पास 40 आवेदन आये हैं। फिलहाल सभी परमिट के लिए विचाराधीन हैं। लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि इनमें महंत रामशंकर दास, राघवेशदास वेदांती और धर्मदास के भी आवेदन हैं।

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क्या है महंतों का परिचय

राघवेशदास 30 हजार घन मीटर का पट्टा चाहते हैं। राघवेशदास रामजन्मभूमि न्यास के सक्रीय सदस्य हैं। हनुमान गढ़ी के महंत धर्मदास ने 15 हजार घन मीटर के पट्टे के लिए परमिट मांगा है। वहीं रामशंकर दास ने 40 हजार घन मीटर का पट्टा मांगा है।

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