Sant Kabir Nagar News: बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन, 18 जनवरी तक काली पट्टी बांधेंगे

Sant Kabir Nagar News: संतकबीरनगर जिले में बिजली के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज किया है।;

Report :  Amit Pandey
Update:2025-01-15 22:08 IST

Electricity workers protested against privatization by wearing black bands (Photo: Social Media)

Sant Kabir Nagar News: यूपी के संतकबीरनगर जिले में बिजली के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज किया है। निजीकरण हेतु टेंडर प्रकाशित होने के बाद से बिजली कर्मचारियों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है, और इस विरोध को 18 जनवरी तक जारी रखने की घोषणा की गई है।

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के विरोध में बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं ने आज समस्त जनपदों और परियोजना मुख्यालयों पर विरोध सभा की और कार्य के दौरान काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताया। संघर्ष समिति के पदाधिकारी इं0 राजेश कुमार ने बताया कि बिजली कर्मचारियों में गुस्सा लगातार बढ़ रहा है, खासकर जब से निजीकरण के लिए टेंडर नोटिस प्रकाशित हुआ है। इसके विरोध में अब बिजली कर्मी सड़कों पर उतर रहे हैं और 18 जनवरी तक काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जारी रखेंगे।

18 जनवरी को आगे के कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी। इस विरोध अभियान में आज लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, नोएडा, मुरादाबाद, आगरा, अलीगढ़, कानपुर, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, जवाहरपुर, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा जैसे शहरों में बड़ी सभाएं आयोजित की गईं।

राजधानी लखनऊ में रेजिडेंसी, तालकटोरा, मध्यांचल मुख्यालय, पारेषण भवन, एसएलडीसी और शक्ति भवन पर भी विरोध सभा का आयोजन किया गया। संघर्ष समिति के अन्य पदाधिकारियों ने भी निजीकरण के खिलाफ कड़े शब्दों में विरोध जताया।

कर्मचारियों का कहना है कि आरएफपी डॉक्यूमेंट में वह सारी शर्तें लिखी गई हैं जो कर्मचारियों के खिलाफ हैं। निजीकरण के बाद हजारों कर्मचारियों को निजी कंपनियों के रहमों करम पर छोड़ दिया जाएगा। कर्मचारियों के सामने दो ही विकल्प होंगे- या तो निजी कंपनी की शर्तों पर काम करें, या फिर वीआरएस लेकर घर जाएं।

संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण का मतलब होगा 50,000 संविदा कर्मचारियों की नौकरी चली जाना और 26,000 नियमित कर्मचारियों की छटनी। निजीकरण को लेकर कर्मचारियों में गहरी निराशा है और उन्हें डराने-धमकाने के बावजूद वे निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे। संघर्ष समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि प्रबंधन यह समझता है कि डराकर बिजली कर्मचारियों पर निजीकरण थोप सकते हैं, तो यह उनकी गलतफहमी है। कर्मचारियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई का विरोध किया जाएगा और आंदोलन जारी रहेगा, जब तक निजीकरण की प्रक्रिया को वापस नहीं लिया जाता।

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