Sonbhadra News: सड़क निर्माण में 7.33 करोड़ का घोटाला, तत्कालीन एक्सईएन-जेई पर एफआईआर, विभागीय स्तर पर चुप्पी
Sonbhadra News: सोनभद्र में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के प्रखंड सोनभद्र की तरफ से वर्ष 2012-13 में कराए गए सड़़कों के निर्माण में 7.33 करोड़ का घपला सामने आने के बाद जहां हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
Sonbhadra News: सोनभद्र में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के प्रखंड सोनभद्र की तरफ से वर्ष 2012-13 में कराए गए सड़़कों के निर्माण में 7.33 करोड़ का घपला सामने आने के बाद जहां हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। वहीं, सतर्कता अधिष्ठान की तरफ से मामले में तत्कालीन एक्सईएन और तत्कालीन जेई के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का भी मामला हड़कंप मच गया है। बावजूद अभी इस मामले में विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई सामने नहीं है। मौजूदा जिम्मेदार भी इस बारे में किसी जानकारी से अनभिज्ञता जता रहे हैं।
2021 में सामने आया था मामला, सतर्कता अधिष्ठान से कराई गई थी जांच
वर्ष 2021 में यह मामला शासन के संज्ञान में लाया गया था, जहां से प्रकरण की जांच सतर्कता अधिष्ठान वाराणसी को सौंपी गई थी। इस मामले की जांच कर रहे सीओ विजयमल यादव की तरफ से 7.33 करोड़ का घपला जताते हुए, तत्कालीन एक्सईएन और तत्कालीन जेई के खिलाफ धारा 418, 409, 120बी, तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) ए और 13 (2) के तहत सतर्कता अधिष्ठान के वाराणसी स्थित थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस मामले में कई ठेकेदारों के भी संलिप्तता की चर्चा सामने आई थी लेकिन अभी जांच लंबित होने और विभागीय स्तर पर प्रकरण में चुप्पी की स्थिति होने से, सस्पेंस की स्थिति बनी हुई है।
ऐसे रची गई घपले की पूरी पटकथा
ब्ताते हैं कि डा. अंबेडकर ग्राम विकास योजना समाप्त होने के बाद, बची धनराशि को वापस भेजने की बजाय उससे नए सिरे से निविदा आमंत्रित की गई। इसके लिए किसी सक्षम अधिकारी से किसी तरह के अनुमति लेने की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। बताते हैं कि बगैर अनुमति 31 मई 2012 को सात, 10 सितंबर 2012 को चार, 28 सितंबर 2012 को 28 कुल 39 कार्यों की निविदा आमंत्रित कर ली गई। इसमें भी महज 27 का प्राक्क्लन तैयार कराया गया। उसमें भी पेंटिग के पांच कार्यों का, वित्तीय हस्त पुस्तिका के प्रावधानों का पालन किए बगैर ही विशिष्टियां/मानचित्र तैयार किए गए।
बगैर प्राक्कलन के ही गठित कर दिए गए 30 अनुबंध
इसी तरह तीन कार्यों के लिए कोई प्राक्कलन ही तैयार नहीं किया। अलबत्ता इसके एवज में 18 जून 2012 को पांच और 31 अक्टूबर 2015 में 25 अनुबंध गठित कर दिए गए। जांच में पाया गया कि संबंधित मद में नौ करोड़ 64 लाख चार हजार 250 रूपये की धनराशि प्राप्त हुई थी, जिसे समय से खर्च न किए जाने पर वापस करने की बजाय, उसमें से सात करोड़ तैंतीस लाख 54 हजार 241 रूपये के राजकीय धन व्यय संबंधी अवैध लेखा-जोखा तैयार कर लिया गया।
शासकीय धन को क्षति पहुंचाकर लाभान्वित होने का है आरोप
सतर्कता अधिष्ठान की जांच में दावा किया गया है कि जांच में तत्कालीन एक्सईएन और जेई न केवल वित्तीय प्रावधानों की अनदेखी के दोषी पाए गए हैं बल्कि उक्त योजना में प्राप्त धनराशि का उपयोग संपरिवर्तित करने और शासकीय धन को क्षति पहुंचाकर लाभान्वित होने के भी दोषी पाए गए हैं। उधर, इस बारे में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के मौजूदा एक्सईएन सतीश चंद राघवेंद्रम से फोन पर बातकी गई तो उन्होंने यह कहते हुए मामले में किसी तरह की टिप्पणी से किनारा कर लिया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।