प्रोफेसर शारदा प्रसाद तिवारी की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी का आयोजन, इस मुद्दे पर चर्चा
सोमवार को प्रोफेसर शारदा प्रसाद तिवारी की द्वितीय पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में एपी सेन मेमोरियल गर्ल्स डिग्री कालेज, लखनऊ एवं प्रो शारदा प्रसाद तिवारी मेमोरियल ट्रस्ट के सयुंक्त तत्वाधान में कॉलेज परिसर में गांधी और विकास के आयामों के अंतरसंबंध पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
लखनऊ: सोमवार को प्रोफेसर शारदा प्रसाद तिवारी की द्वितीय पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में एपी सेन मेमोरियल गर्ल्स डिग्री कालेज, लखनऊ एवं प्रो शारदा
प्रसाद तिवारी मेमोरियल ट्रस्ट के सयुंक्त तत्वाधान में कॉलेज परिसर में गांधी और विकास के आयामों के अंतरसंबंध पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिन्ह प्रदान कर किया गया। जिसके उपरांत दीप प्रज्वलन एवं प्रो एसपी तिवारी के चित्र पर पुष्पांजलि एवं माल्यार्पण किया गया। स्वागत भाषण देते हुए डॉ रचना श्रीवास्तव ने विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि प्रो मनोज अग्रवाल, अर्थशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय ने गांधी को कुशल आर्थिक चिंतक बताया। जिनके व्यवहारिक प्रयोग आर्थिक विचारों के इतिहास का महत्वपूर्ण अंग हैं। मुख्य वक्ताओं में सांख्यकी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रो शीला मिश्रा ने कहा कि गांधी के विकास की कल्पना गांव, गौ माता, गंगा से दूर होती हुई आधुनिक संस्कृति के दुष्परिणामों पर यदि गंभीरता पूर्वक विचार करें तो लगता है कि हमारी विकास प्रणाली को पुनः गांधी जी द्वारा प्रस्तावित ग्रामस्वराज्य पर पुनः मंथन एवं अनुकरण करते हुए नई चेतना के साथ आत्मसात करने की आवश्यकता है।
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डॉ ब्रजेन्द्र पांडेय, विद्यांत हिन्दू पीजी कालेज ने भारतीय राजनीतिक परंपरा एवं गांधी पर अपने विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने कहा कि भारतीय चिन्तन परम्परा में गांधी विकास की आधुनिक, प्रतिस्पर्धी और रेखीय अवधारणा के सर्वथा विपरीत ईश्वर, मनुष्य और प्रकृति के त्रिस्तरीय सन्तुलन पर आधारित एक अभ्युदयकारी, सामंजस्यपूर्ण और समेकित विश्व-दृष्टि प्रस्तुत करते हैं। भारतीय परम्परा में राजनीति का दायित्व इसी विश्व-दृष्टि का अनुरक्षण करना है।
लवली प्रोफेशनल विश्वविद्यालय फगवाड़ा पंजाब के डॉ विजय श्रीवास्तव ने स्वदेशी को अहिंसक एवं प्रासंगिक बताते हुए कहा कि गांधी और सरदार पटेल के कई आर्थिक विचारों को समग्र रूप में देख कर समतामूलक समाज की स्थापना की जा सकती है। काॅलेज की प्राचार्या शिवानी दुबे ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि गांधी जी की सरलता एवम सनातन पद्धति में विश्वास अविस्मरणीय है।
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संगोष्ठी की आयोजक ट्रस्ट की अध्यक्ष एवं अर्थशास्त्र विभाग की डॉ मंजुला उपाध्याय ने संगोष्ठी को सफल बनाने हेतु सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया और विषय की प्रासंगिकता पर बल देते हुए गांधी जी की प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में रुचि एवं प्रसार एवं धारणीय विकास के संदर्भ में गांधी जी के प्रयोगों की विस्तार से चर्चा की।