सिद्धार्थनगर: मशरूम की खेती के प्रति लोगों को कर रहे जागरूक, दी जा रही जानकारी

दीनानाथ ने बताया कि कुछ किसान ऐसे भी हैं जो रासायनिक खाद नहीं खरीद सकते हैं और ओ अपने खेत में नहीं डाल पाते हैं जो भी किसान है। वो सब जानवर भी रखते हैं और उनके गोबर से कम्पोस्ट खाद तैयार करवा कर खेत में डाला जाता है।

Update: 2021-02-22 09:52 GMT
सिद्धार्थनगर: मशरूम की खेती के प्रति लोगों को कर रहे जागरूक, दी जा रही जानकारी (PC: social media)

सिद्धार्थनगर: उद्योग विहीन जनपद सिद्धार्थनगर में अब होगी मशरूम की खेती। आपको बताते चले कि बढ़नी ब्लॉक के सेवरा गांव के निवासी दीनानाथ ने कुछ ऐसा सोचा कि किसानों को रोजगार दे सके और उनको कुछ सीखा और सीखाने का एक भी रुपए नहीं ले रहे हैं। जिनको भी सीखना है ओ बड़े ही आराम से सीखा सकें, बहुत कम ही लोग ऐसा होते जो किसानों की सीखाने का जज्बा रखते हैं। वहीं दीनानाथ कम्पोस्ट खाद भी तैयार कर रहे हैं और किसानों से भी करवा रहे हैं जिससे किसान को रासायनिक खाद की बुवाई ना करके कम्पोस्ट खाद की बुवाई करें।

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कुछ किसान ऐसे भी हैं जो रासायनिक खाद नहीं खरीद सकते हैं

दीनानाथ ने बताया कि कुछ किसान ऐसे भी हैं जो रासायनिक खाद नहीं खरीद सकते हैं और ओ अपने खेत में नहीं डाल पाते हैं जो भी किसान है। वो सब जानवर भी रखते हैं और उनके गोबर से कम्पोस्ट खाद तैयार करवा कर खेत में डाला जाता है। इतना ही नहीं दीनानाथ ने मशरूम की खेती भी करवाते है अलग अलग ग्राम पंचायतों की महिलाए समूह बना कर मशरूम की खेती कर रही हैं मशरूम का बीज बाहर से मंगवाते हैं और यहां किसानों को रोजगार दिया जा रहा है।

मशरूम तैयार करने में 20-25 दिन लग जाते है

उन्होंने बताया मशरूम तैयार करने में 20-25 दिन लग जाते है लेकिन कुछ मशरूम ऐसे होते है जो बाज़ार में नहीं बिकते हैं और बाज़ार में सबसे ज्यादा बटन मशरूम ही बिकता है बटन मशरूम की खेती सितंबर में की जाती है मशरूम तैयार करने के लिए आपको 1 किलो बीज में 20 किलो भूसा लगता है और उसमे 15-20 किलो मशरूम की पैदावार होती है।

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जब वही किसानों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा लग रहा है जो हम मशरूम की खेती एवं कम्पोस्ट बना रहे है और ऐसे में हम किसानों को सपोर्ट मिलता रहा तो हम भी बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती करने का प्रयास करेंगे। और अभी हम छोटे पैमाने पर मशरूम की खेती कर रहे हैं इसके पहले हम प्रदेश में रहते थे जहां हम नौकरी करके अपना जीवन यापन करते थे लेकिन आप हम अपने गांव में और अपने घर पर ही मशरूम की खेती करने की तरकीब सीख लिए हैं अगर हमें सरकार से ही मदद मिलती है तो आगे इसको हम और भी अच्छी तरीके से कर सकेंगे जिससे जाहिर है कि हमारी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।

रिपोर्ट- इंतज़ार हैदर

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