Bundeli Lok Geet: बुंदेली लोकगीत की शानदार प्रस्तुति से अर्चना कोटार्या ने बांधा समां

Bundeli Lok Geet: कार्यक्रम में बुंदेलखंड की शान मुख्य बुन्देली गीतकार अर्चना कोटार्या, अतर्रा, बाँदा ने समां बांधकर सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया |

Report :  Vertika Sonakia
Update:2023-03-10 22:17 IST

Bundeli Lok Geet: अर्चना कोटार्या ने विभिन्न बुंदेली लोक गीतो से सभी दर्शको का मन मोह लिया |

“मिनट बुंदेली है भाषा अपनी,

बुंदेली है अपनी शान,

बुंदेली पर गर्व हमें हैं,

बुंदेली से अपना मान |”

भारतीय लोक परम्परा में पीढ़ी दर पीढ़ी लोक संस्कृति के महत्वपूर्ण तत्व लोकगीतों के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत के रूप में मिलते रहे हैं | फगुआ, चैती, बिरहा, गारी, आलह, सोहर तमाम रूपों में लोक गीतों का प्रस्फुटन होता रहा है जिसमें ग्रामीण अंचल के आम आदमी के दुख सुख -बहुत भावशाली ढंग से व्यक्त होते रहे हैं | उत्तर भारत के हिंदी पट्टी के समृद्ध लोक गीतों की इस परम्परा में बुंदेली लोकगीतों को एक महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ है |

आज इसी कड़ी में संगीत नाटक अकादमी की वाल्मीकि रंगशाला में बुंदेली लोक गीतों का कार्यक्रम आयोजित किया गया | कार्यक्रम में बुंदेलखंड की शान मुख्य बुन्देली गीतकार अर्चना कोटार्या, अतर्रा, बाँदा ने समां बांधकर सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया |

लोक गीतों की कड़ी में देवी गीत - “बड़ो नीको बनो शृंगार मोरी मैय्या |”

सोहर – अवध में श्री रामचन्द्रजी के जन्म का बधाई गीत , लोक भजन- बड़े चाव से पालत हूँ परिवार में हरी लोक गीत प्रस्तुत करे, बुंदेलखंड न्यारो लगे हमें प्रारण सो प्यारो की प्रस्तुति करी |

गायन शैली जिसमे झलकता है बुंदेलखंड के प्रति स्नेह

अर्चना जी ने अपनी मधुर ध्वनी से बुंदेली लोकगीतों को नए मुकाम तक पहुंचाया | इन्होंने लोकगीतों की मर्यादा को कायम रखते हुए उन्हें लोगों के दिलों में राज़ किया | इन्होंने बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विविधता और सभ्यता को अपने बुंदेली गीतों के माध्यम से जन जन तक पहुंचाया | इस रसमय कार्यक्रम को सभी दर्शको द्वारा खूब सराहा गया |

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