कभी खून से रंग गई थी ये जगह, आज है अमन-चैन और खुशहाली
जिन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों पर मुकदमे दर्ज करवाकर जमीनें दबंगों के कब्जे से मुक्त करा कर उन्हें वापस दिलाईं।
सोनभद्र: आज से ठीक एक साल पहले (17 जुलाई 2019) सोनभद्र जिले के जिस उम्भा गांव में जमीन पर कब्जे के खूनी खेल में 10 लोगों की जान गई थी। वहां आज अमन-चैन और खुशहाली का माहौल है। जिन जमीनों पर के लिए यहां दबंगों ने खून की होली खेली थी। उन पर आज उसके असली हक़दार क़बिज हैं। उम्भा कांड की बरसी पर वे सरकार को शुक्रिया अदा कर रहे हैं। जिन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों पर मुकदमे दर्ज करवाकर जमीनें दबंगों के कब्जे से मुक्त करा कर उन्हें वापस दिलाईं।
खूली खेल की जमीन पर अब है अमन-चैन
गौरतलब है कि कांग्रेस की नेत्री प्रियंका वाड्रा की काफी अग्रेसिव मोड ने इसे अंतराष्ट्रीय बना दिया था। सरकार की किरकिरी होते देख प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस जघन्य हत्याकांड के तुरंत बाद न सिर्फ दौरा किया बल्कि प्रकरण की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। समिति की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया था कि यहां आदिवासी समाज व कई अन्य गरीबों की जमीन पर कांग्रेस पार्टी से जुड़े कद्दावर नेताओं ने फ़र्ज़ी सोसाइटियां बना कर कब्जा कर रखा था। यह सारा कारनामा इस शातिराना ढंग से किया गया था कि कहने को तो ये सोसाइटी की ज़मीनें थीं, पर इन पर वास्तविक कब्जा इन नेताओं या उनके परिवार के लोगों का ही था।
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जांच के मुताबिक फर्जीवाड़े के पीछे कांग्रेस के एमएलसी रहे महेश्वर प्रसाद नारायण सिंह का नाम आया था। जिनकी पुत्री आशा मिश्रा ने यह ज़मीन दबंगों को बेच दी थी। इन दबंगों ने ही जमीन पर कब्जा लेने के चक्कर में 10 ग्रामीणों की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इस फर्जीवाड़े को छुपाने के लिए इन ज़मीनों से संबंधित 1955 के रिकॉर्ड तक गायब करवा दिए गए थे। इसी को लेकर यहां हिंसा का तांडव हुआ था। योगी सरकार ने घटना को बेहद गंभीरता से लेते हुए आरोपियों की धर-पकड़ के साथ ही करीब 860 बीघा जमीन ख़ाली कराई, साथ में इसे अनुसूचित जाति/जनजाति व अन्य कमजोर तबके के स्थानीय लोगों में बाँट दी।
उम्भा कांड की बरसी पर पीड़ित से मुलाकात करने जा रहे कांग्रेस अध्यक्ष को रोका
इसके साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा यहां 340 करोड़ लागत की कई योजनाओं का लोकार्पण करते हुए 256 ग्रामीणों को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत मकान दिए गए थे। सीएम ने मृतकों के परिजनों को दिए जाने वाली मुआवजा राशि 5 लाख से बढ़ाकर 18.5 लाख रुपये कर दी थी। साथ ही प्रत्येक घायलों को 2.5 लाख रुपये की राहत देने का एलान किया था। उम्भा कांड की बरसी पर पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने उम्भा जा रहा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को पुलिस-प्रशासन ने भदोही जिले के गोपीगंज में रोक लिया और उन्हें आगे नही जाने दिया।
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प्रदेश अध्यक्ष को हिरासत में लेकर पुलिस ने सीतामढ़ी गेस्ट हाउस में रखा है। खुद को भदोही में रोके जाने पर प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार तानाशाही पर उतारू है इसलिए उन्हें मौके पर जाने से रोका जा रहा है उम्भा जाने से रोकना सरकार की आदिवासी-दलित विरोधी मानसिकता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि उम्भा नरसंहार के बाद सरकार ने घोषणा की थी कि आर्थिक मदद और जमीन दिया जाएगा लेकिन अभी तक उन्हें कुछ नही मिला। पीड़ित आदिवासी अधिकारियों-मंत्रियों के यहां चक्कर लगा रहे हैं। मैं नरसंहार में शहीद हुए लोगों के यहां श्रद्धा सुमन अर्पित करने जा रहा था लेकिन सरकार वहां मुझे जाने से रोक रही है जबकि प्रदेश में अपराधी अपराध कर रहे हैं, जंगलराज का माहौल है लेकिन मुझे पकड़ने के लिए जो फोर्स लगाई जा रही है।
रिपोर्ट- सुनील तिवारी