सोनभद्र: जमीन विवाद में अभी और भी कई बड़ी कुर्सियां आ सकती हैं घेरे में
जमीन विवाद मैं अभी और भी कई बड़ी कुर्सियां जद में आ सकती हैं। क्योंकि ईमानदारी और गहराई से जांच की जाए तो निश्चित रूप से यह तथ्य सामने आ सकते हैं कि आखिर पूर्व में बैनामा हो चुके इस जमीन को किन परिस्थितियों में यह नही पता किया गया कि जमीन साफ सुथरी है या नही जबकि मामला शासन से जुड़े होने के जार्न पूरा राजस्व विभाग और रजिस्ट्रार इसमे सम्मिलित थे।
सोनभद्र: जिले में बनने वाले मेडिकल कॉलेज के लिए जिला प्रशासन द्वारा खरीदी गई जमीन के मामले में प्रथम दृष्टया ग्राम प्रधान और लेखपाल को दोषी पाये गये हैं। अपर जिलाधिकारी के द्वारा जांच के बाद यह बात सामने आई कि इन लोगों द्वारा तथ्यों को छुपाकर जमीन की रजिस्ट्री करवाई गई।
हालांकि इस जमीन विवाद मैं अभी और भी कई बड़ी कुर्सियां जद में आ सकती हैं। क्योंकि ईमानदारी और गहराई से जांच की जाए तो निश्चित रूप से यह तथ्य सामने आ सकते हैं कि आखिर पूर्व में बैनामा हो चुके इस जमीन को किन परिस्थितियों में यह नही पता किया गया कि जमीन साफ सुथरी है या नही जबकि मामला शासन से जुड़े होने के जार्न पूरा राजस्व विभाग और रजिस्ट्रार इसमे सम्मिलित थे।
प्रशासन ने आनन-फानन में इस सुकृति को देखते हुए जमीन की तलाश शुरू की
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इस मामले में जिलाधिकारी एस राज लिंगम का कहना है कि जांच रिपोर्ट को शासन को प्रेषित कर दिया गया है और शासन के निर्णय के बाद जो भी लोग इसकी जद में आएंगे उनके विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
पूरा मामला यह है कि सोनभद्र में मेडिकल कॉलेज खोले जाने के लिए शासन द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिला प्रशासन ने आनन-फानन में इस सुकृति को देखते हुए जमीन की तलाश शुरू की ऐसे में जिला मुख्यालय पर स्थित जिला अस्पताल से कुछ दूर लोधी गांव में वहां के लेखपाल द्वारा एक जमीन की संस्तुति की गई और बिना किसी गहरी छानबीन के जमीन की रजिस्ट्री भी करा दी गई।
रजिस्ट्री विभाग तहसीलदार एसडीएम तक भी इसकी जद में आ रहे हैं
बाद में यह पता आने पर कि जमीन किसी अन्य के नाम से बैनामा है प्रशासन के हाथ पांव फूल उठे। प्रशासन ने तत्काल रजिस्ट्री कार्यालय से लेकर राजस्व विभाग के उन कागजातों को खंगाला तो पाया कि वास्तव में यह जमीन पूर्व में किसी और के नाम से बिक चुकी है। इस मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए एक जांच समिति गठित कर जिलाधिकारी ने अपर जिलाधिकारी के माध्यम से जांच कराई।
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अपर जिलाधिकारी द्वारा जांच में सीधे-सीधे लेखपाल और ग्राम प्रधान को दोषी पाया जिन लोगों ने तथ्यों को छुपाकर प्रशासन को गुमराह कर जमीन रजिस्ट्री करवाई। हालाकी सूत्र बताते हैं इस जांच रिपोर्ट में न सिर्फ लेखपाल और प्रधान बल्कि रजिस्ट्री विभाग तहसीलदार एसडीएम तक भी इसकी जद में आ रहे हैं क्योंकि किसी भी जमीन की रजिस्ट्री या उसकी दाखिल खारिज में राजस्व विभाग के इन सभी लोगों की अहम भूमिका होती है। फिलहाल लेखपाल और प्रधान निलंबित है और जांच रिपोर्ट शासन को प्रेषित है। आगे कौन-कौन इसकी जद में आता है देखना शेष है।