Sonbhadra: सोनभद्र में सियासी उफान, दो क्षेत्र पंचायत सदस्यों के इस्तीफे से गरमाई राजनीति

Sonbhadra: चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के बहाने, दो सियासी धड़ों के बीच वर्चस्व की जंग सामने आई थी। हालांकि उपचुनाव में, प्रमुख अजीत रावत के लिए चुनौती बताए जा रहे खेमे को हार का सामना करना पड़ा था।

Update: 2022-08-12 15:10 GMT

Sonbhadra politics two Kshetra Panchayat members resigned block pramukh sonbhadra (Image: Newstrack)

Sonbhadra: राबटर्सगंज ब्लाक के प्रमुख पद पर निर्विरोध निर्वाचित होने में कामयाब रहे भाजपा अनुसूचित मोर्चा के काशी प्रांत अध्यक्ष अजीत रावत को अब उन्हीं के गढ़ में सियासी चुनौती मिलनी शुरू हो गई है। पिछले सप्ताह हुए उपचुनाव के बहाने जहां, उनके वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिश की गई थी। वहीं अब उनके उपर सीधे, कई आरोप लगाते हुए, दो सदस्यों के इस्तीफा देने के मामला सामने आने के बाद अचानक से सोनभद्र से लेकर वाराणसी तक सियासी गर्माहट बढ़ गई है। इस्तीफा देने वाले तथा उनके इस्तीफे को सही ठहराने वाले क्षेत्र पंचायत सदस्य, जहां इसके लिए प्रमुख के कार्य व्यवहार और चहेतों को कथित तरजीह को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं प्रमुख का कहना है कि उन्होेने अपनी तरफ से सभी सदस्यों के मान-सम्मान का ख्याल रखा है। अगर कोई इस्तीफा दे रहा है तो यह उसका व्यक्तिगत मामला है।

बताते चलें कि अभी कुछ दिन पूर्व ही तियरा बीडीसी चुनाव के दौरान, चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के बहाने, दो सियासी धड़ों के बीच वर्चस्व की जंग सामने आई थी। हालांकि उपचुनाव में, प्रमुख अजीत रावत के लिए चुनौती बताए जा रहे खेमे को हार का सामना करना पड़ा था। अभी इसे, चंद दिन नही बीत पाए कि पवंर बीडीसी संतोष और सलखन बीडीसी रेखा ने अचानक से इस्तीफा देकर एक बार फिर से जिले की सियासी गर्माहट बढ़ा दी। दिए गए इस्तीफे में व्यक्तिगत समस्याओं को कारण बताया गया है लेकिन दफ्तर के बाहर उन्हीं सदस्यों और उनके समर्थकों की तरफ से इस्तीफे के लिए प्रमुख के कार्य-व्यवहार और उनके द्वारा अपने चहेते क्षेत्र पंचायत सदस्यों को ही तरजीह देने के आरोप लगाए जा रहे हैं। वहीं चर्चाओं में, एक सियासी खेमे की तरफ से बैंकिंग की भी बात कही जा रही है।


विकास भवन में इस्तीफा लेकर पहुंचे क्षेत्र पंचायत सदस्यों एवं अन्य क्षेत्र पंचायत सदस्यों के साथ पहुंचे रामभरोसे मुसहर, पवन आदि का कहना था कि क्षेत्र पंचायत सदस्यों के सम्मान का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। प्रमुख पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके साथ और अन्य सदस्यों के साथ दुव्र्यवहार किया जाता है। काम को लेकर सदस्यों को कोई तरजीह नहीं दी जा रही है। वहीं सेलफोन पर पवंर बीडीसी संतोष का कहना था कि वह मसले को लेकर प्रमुख से मिलने गए थे लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। इस्तीफे में किसी तरह के आरोप की बजाय, व्यक्तिगत समस्याओं के जिक्र होने के सवाल पर कहा कि बीडीसी रहने का कोई मतलब नहीं रह गया है। इसलिए खुद को बीडीसी के दायित्य निर्वहन में असमर्थ बताते हुए इस्तीफा दिया है।

उधर, बीडीओ उमेश सिंह का कहना था कि दोनों के इस्तीफे मिले हैं। 15 अगस्त के बाद उसे, आवश्यक निर्णय लेने के लिए, सक्षम अधिकारी के पास भेज दिया जाएगा। वहीं सेलफोन पर प्रमुख अजीत रावत का कहना था कि जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं। वह गलत हैं। उन्होंने कभी कोई ऐसी बात या व्यवहार नहीं किया, जिससे किसी सदस्य के मान-सम्मान को ठेस पहुंचे। न ही उनका इस तरह का व्यवहार रहा है। इस्तीफा क्यों दिया जा रहा है, के सवाल पर कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है। यह उनका व्यक्तिगत मामला है, इस पर उनकी तरफ से कोई टिप्पणी उचित नहीं होगी।

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